Monday, 4 May 2020

कोरोनाकाल में मदिरालय -

वर्तमान में जब कोरोना वैश्विक महामारी ने विकराल रूप धर‌‌ चारों ओर तांडव मचाया हुआ है तो मदिरालय का खुलना कितना आवश्यक?

पूरा देश विषम परिस्थितियों का सामना कर रहा है और जान‌ है तो जहान है कि सोच में आम से खास सभी ने अपनी रोजी-रोटी का कार्य बंद कर दिया है ऐसे में अपने राजस्व प्राप्ति की व्यवस्था के लिए लाखों/करोड़ों परिवारों की जान जोखिम में डालना कहाँ तक सही साबित होगा?

अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने के लिए छोटे-बड़े कदम बढ़ाने निश्चित ही आवश्यक है,परंतु किसी अन्य विकल्प को‌ टटोलने के बजाय क्या मदिरालय‌ का‌ चयन सरल विकल्प दिखाई देता है। मुझमें अर्थव्यवस्था की समझ में कमी हो सकती है परंतु जान बचाने के लिए घर में अर्थ की कमी के बावजूद भी व्यवस्था बनाए रखने और घर में रहने की हिदायत भी शासन‌ ने ही दी थी।

यदि शासन/प्रशासन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए मदिरालय में वितरण करता है तो क्या खरीदी के पश्चात मदिरा सेवन की भी व्यवस्था की जाएगी और यदि नहीं तो खरीदने पश्चात उसके सेवन के लिए सेवनकर्ता कहां जाएगा। वह अकेला ही कहीं सेवन करें तो बाहर ‌लोगो‌ की भीड़ कहां तक जाएंगे और यदि समूह में करें तो लॉक डाउन कितना सफल हो पाएगा। क्या ऐसे में महामारी के फैलने की संभावना बढ़ नहीं जाएगी और यदि प्रशासन लॉक डाउन का पालन करवा कर उन्हें बाहर सेवन की अनुमति नहीं देते तो क्या सेवन कर्ता अपने घर आकर सेवन करेगा। ऐसे में उनके परिवार की मानसिक स्थिति कहां तक सही होगी।जिन्होंने कल तक उन्हें सेवन करने पश्चात देखा था,आज वह उसका सेवन करते हुए देखेंगे(बेटा-मां के सामने,पिता-पुत्र/पुत्री के सामने, भाई-बहन के सामने,पति-पत्नी के सामने) इसका उन‌ पर क्या प्रभाव होगा।क्या सामाजिक सीमा का उल्लंघन नहीं होगा। क्या परिवार की स्थिति इसके पश्चात कभी पूर्व की तरह हो पाएगी।और यदि social distancing का पालन कराते हुए सेवन की व्यवस्था की जाती है तो भी नशे में व्यक्ति सफाई या किसी भी सुरक्षा का ध्यान रख पाएगा?

मदिरा की डिलीवरी घर तक देना कहां तक सही दिखाई पड़ता है।अभी जब कई घरों में आवश्यक सामग्री की पूर्ति मे भी कठिनाई हो रही ऐसे में जिसे मदिरा की लत हो वह कहां तक खुद को रोक पाएगा।मरता क्या नहीं करता ‌की परिस्थितियों में क्या(गहनों या अन्य सामग्रियों की बिक्री से) घरेलू हिंसा बढ़ती हुई नजर नहीं आएगी।पूर्व में ही परेशानी झेल रहे परिवार जन इस नई परेशानी का सामना करने में कैसे समर्थ होंगे। ऐसी स्थिति में अपराधों का बढ़ना सहज है।

चुनाव के समय शराबबंदी जैसे वादे करते हुए भविष्य में आने वाली सरकार को चाहिए की वह पूर्व में ही उससे हो रही राजस्व की समीक्षा कर ले क्योंकि चुनाव जीत जाने के पश्चात उसको बढ़ावा देना‌‌ जनता को प्रत्यक्ष छलने‌ जैसा है यह जनता में सरकार के प्रति रोष को बढ़ावा देती है और नवीन सरकार के प्रति विश्वास में कमी लाती है। नहीं तो चुनाव आयोग को‌ सफलतापूर्वक चुनाव संपन्न कराने के साथ-साथ सरकार की घोषणा पत्र पूर्व में ही समीक्षा करें और यदि वह सही प्राप्त होता है तभी उस घोषणापत्र को जारी किया जाए एवं शपथ की तिथि से आधिकारिक तौर पर मान्य करने के आदेश दिया जाए। जिससे चुनाव में भाग लेने वाली सभी पार्टियां पूरी जागरूकता के साथ घोषणा पत्र जारी करें और वादों की गरिमा बनी रहे।

सभी परिस्थितियों के बीच यदि इसकी वजह(मदिरालय) से महामारी बढ़ने का खतरा 1% भी बढ़ता है तो क्या सही है और यदि अनुमान सत्य सिद्ध हुआ तो इसकी जिम्मेदारी क्या शासन लेगा?

"मंदिरों मस्जिदों में कोरोना फैल जाएगा परंतु मदिरालय का खुलना जरूरी है।"

- आकांक्षा ठाकुर

No comments:

Post a Comment