A - यार, वो उस के टाइप की है।
B - उस के टाइप की मतलब?
A - वो थी न यार, उसी के टाइप की।
B - कैसे टाइप की थी वो?
A - अरे मतलब, उसी टाइप की यार।
B - उस टाइप के लोगों में अलग क्या होता है?
A - अब आप समझ जाओ यार।
B - नहीं बताओ, उसी टाइप की क्या सिर्फ लड़की होती है?
A - ना यार, लेकिन बहुतों के साथ हुआ उसका।
B - लड़कों का नहीं होता?
A - मतलब बहुत सैटिंग हुई उसकी।
B - बढ़िया है, उसकी पसंद हुई यार।
A - फिर भी यार।
B - फिर भी क्या, बर्दाश्त नहीं होता क्या?
A - ना यार, ऐसी बात नहीं है।
B - तो फिर कैसी बात है?
A - अब ये सब तो गलत हुआ न यार?
B - गलत सही का निर्धारण करने वाले हम कौन?
A - उसका बहुत जुगाड़ हुआ बल।
B - लड़कों का नहीं होता जुगाड़?
A - हाँ, लड़कों का भी होता है।
B - फिर तो ठीक ही हुआ।
A- उसका तो भयंकर चलने वाला हुआ यार कांड।
B - लड़के नहीं करते कांड?
A - लड़के भी करते हैं।
B - तो इसमें अलग क्या है?
A - लड़कों का पता नहीं चल पाता।
B - मतलब जो है, लड़कों का पता चलना चाहिए फिर।
A - नहीं यार, मतलब लड़कियों का ज्यादा फैलने वाला हुआ।
B - फिर तो लड़कों का भी फैलना चाहिए।
A - लड़कियों के ही चरित्र पर बात आने वाली हुई भाई।
B - लड़कों के चरित्र पर क्यों बात नहीं आती?
A - लड़कों पर कहाँ बात आएगी यार।
B - क्यों?
A - उनका कहाँ चरित्र का फर्क पड़ने वाला हुआ।
B - ये सही बात कही भाई आपने।
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