पत्रकार मुकेश चंद्राकर का एक अपराधी आज दुनिया के सामने है, जिसे आप और हम सुरेश चंद्राकर के नाम से जानते हैं। असल में सुरेश चंद्राकर का क़द बहुत बड़ा हो गया था। हर तरफ़ उसकी पकड़ मजबूत होती जा रही थी। कांग्रेस के समय भी मोटी फंडिंग किया था, अब भाजपा के समय भी इसने अपना वर्चस्व बना लिया। पूरे बस्तर अंचल में इसके बराबर का मजबूत नेता कोई नहीं था।
अब इस उभरते नेता को किनारे करना था तो जिस घटना की रिपोर्टिंग एनडीटीवी के माध्यम से हुई, जिसमें मुकेश केवल स्ट्रिंगर था। मुकेश तो इसमें प्रत्यक्ष रूप से था ही नहीं। लेकिन उसे फँसाया गया क्यूंकि जाना पहचाना चेहरा है और साफ़ बेदाग़ छवि का है।
मुकेश को सुरेश की अनुपस्थिति में उसी के एक घर में मारना, मारने के बाद सेप्टिक टैंक में दफ़न करना और पुलिस को मारने के तुरंत बाद पता भी चल जाना। और तो और मुकेश के शरीर में भयानक चोट मिलना, शरीर की हड्डियां तोड़ना, लिवर और गले की हड्डी तक तोड़ना आदि। यह सारी बातें इशारा करती हैं कि इस कहानी की स्क्रिप्ट बहुत अच्छे से तैयारी के साथ लिखी गई है। और इस पूरे घटनाक्रम की ये स्क्रिप्ट भी इतनी कमजोर है कि एक दसवीं पास छात्र भी डिकोड कर लेगा। मुझे लगता है थोड़ा इनको रशियन माफियाओं से क्राइम सीन के शुरुआती दाँव पेंच सीखने चाहिए।
वैसे इसमें टारगेट तो मुकेश को भी किया ही गया है चाहे एक तीर से दो निशाने मारने को किया हो और मुकेश को बेरहमी से मारकर दुनिया के सामने यह कहानी पेश किया गया कि एक बेरहम ठेकेदार ने बुरी तरह से एक ईमानदार पत्रकार को मार दिया। जबकि कहानी कुछ और ही है। और सबसे मजे की बात सुरेश के ख़िलाफ़ केवल एक ही सबूत है कि उसके घर में पत्रकार को मार दिया गया, पूरी कहानी ही फिल्मी है।
असल में सुरेश के बढ़ते क़द को कम करने के लिए, दुनिया के सामने उसे एक कुख्यात अपराधी बनाने के लिए बड़े सुनियोजित तरीक़े से उसी के घर में एक ईमानदार पत्रकार को मारा गया, जो केवल एक अप्रत्यक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से जुड़ गया, उसे ही आधार बनाकर सुरेश को टारगेट किया हुआ है। इस पूरी घटना के केंद्र में सुरेश है, जिसे अपराधी बनाने के लिए मुकेश को चारे की तरह इस्तेमाल कर लिया गया।
एक तीर चला और तीन निशाने हो गए। खोजी पत्रकारिता कर बेईमान लोगों के लिए मुश्किलें पैदा करने वाला मुकेश हमेशा के लिए शांत हो गया, बस्तर अंचल का स्थानीय व्यक्ति जिसका क़द राजनीति से लेकर पूरी व्यवस्था में बड़ा होता जा रहा था, उसे रातों रात दुर्दांत अपराधी बना दिया गया, तीसरा यह कि बस्तर में बाहरी लोगों के आतंक के लिए रास्ता साफ़ हो गया।
नोट : ये बातें कोई पत्रकार टीवी कभी दिखाएगा भी नहीं, सबको अपना घर परिवार देखना है।
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