Sunday, 28 June 2020

Review of current chhattisgarh Government


पद धारण करने के पश्चात व्यक्ति, व्यक्ति कम और पद से अधिक जाना जाता है। पद की माँग भी न्यूनतम होती है कि व्यक्ति समयानुसार उस पदभार के साथ सहज होना सीख जाए। फर्क एक मर्यादाविहिन और मर्यादित का ही तो है। अगर एक मुख्यमंत्री के कार्यकाल में रहते हुए ही बिना किसी विशिष्ट घटना के बावजूद ही जनता का मोह भंग होने लगे और जनमानस पुराने मुख्यमंत्री को, उसकी व्यवहारकुशलता को याद करने लग जाए तो तत्कालीन मुख्यमंत्री और उनसे संबध्द हितसमूहों के लिए यह एक सोचनीय विषय है। भ्रष्टाचार ठीक है, हर कोई करे, कोई समस्या नहीं, लेकिन बदमाशी और लंपटगिरी की कोई एक सीमा भी तो हो। गुंडे मवालियों के भी अपने कुछ सिध्दांत संस्कार होते हैं, उनसे आप एक बार उम्मीद रख भी सकते हैं लेकिन इन तथाकथित आकाओं से नहीं। न तो भाटगिरी कर रहे मरगिल्ले पत्रकारों से उम्मीद कर सकते हैं कि इन हुक्मरानों के लिए दो शब्द बोल लें, उनके कुशासन पर कुछ लिख मारें। मूल बात यह है कि राज्य बहुत पीछे जा रहा है, दृष्टिबाधित लोग खुद तो दृष्टिबाधित होते हैं, अपने आसपास के सभी लोगों को वैसा बनाने लगते हैं, ताकत उनके पंजों में रहती है तो सब उनके मुताबिक होने भी लगता है। बात किसी पार्टी की नहीं है, राज्य को पीछे ले जाने वाले अड़ियल सिरफिरे लोगों को इससे फर्क ही नहीं पड़ेगा कि राज्य पीछे जाए या आगे, क्योंकि इनके पास नियत ही नहीं है। नीचता की हद तक असंवेदनशील लोगों की मानो एक पूरी फौज बैठी हुई है। स्थिति को बयां करने के लिए शब्द वाक्य सब कम‌ पड़ रहे हैं। अंत में बस यही कि डाकुओं और माफियाओं में एक चीज बराबर रहती है और वह है उनकी मर्यादा। जिसकी वे आजीवन पालना करते हैं।

#Chhattisgarh

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