Tuesday, 23 June 2020

सुसाइड -

A - यार बहुत हैवी हो रहा अब।
B - क्या हो गया?
A - तू तो जानता ही है प्राॅब्लम।
B - हाँ। 
A - लग रहा अब नहीं बर्दाश्त होगा।
B - क्या चल‌ रहा है दिमाग में?
A - सोचती हूं सुसाइड कर लूं।
B - पागल है क्या।
A - यार ऐसे जीने का क्या फायदा।
B - पहले भी अटेम्ट कर चुकी है अब डरा मत तू।
A - अब अटेम्ट नहीं करूंगी। आर या पार।
B - यार, मत बोल मुझे ये सब।
A - मैं सच में कर लूंगी यार। मजाक मत समझ।
B - मजाक में नहीं ले रहा हूं।
A - नहीं, बस बता रही।
B - क्या बोलूं अब, मैं तो कुछ नहीं करता इसमें।
A - वो भी है।
B - एक बात बोलूं?
A - बोल..
B - ऐसा करना, जब लगे कि अब नहीं जिया जा रहा तो कर लेना।

1 साल बाद -

A - साले! तेरे सुसाइड कर लेने वाले कांसेप्ट ने बचा लिया मुझे।
B - हाहाहा, बचा लिया मतलब?
A - जी रही हूं, खुशी नहीं है तुझे?
B - बिल्कुल है, मजा आ रहा होगा अब?
A - क्या जीने में?
B - हाँ जीने में ही ? क्यों अभी जिंदगी नहीं जी रही क्या?
A - जी रही हूं, मजे का नहीं पता लेकिन अब सब बढ़िया है।
B - फिर कभी मन कर गया तो? मतलब सुसाइड का?
A - सोच रही हूं कुछ रूककर मरूं।
B - जीने की वजह खोज ली क्या?
A - तो क्या।
B - और मरने की?
A - नहीं, फिलहाल जिंदगी जीने में ही व्यस्त हूं। 

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