Monday, 22 June 2020

धमकी भरे फोन -


आपने बहुत से लोगों को देखा होगा जो लगातार फेसबुक में कुछ न कुछ लिखते रहते हैं। यह भी देखा होगा कि कई बार ये लोग पोस्ट लिखकर बताते फिरते हैं कि ये लिखा तो ऐसा हुआ, मुझे धमकियाँ मिली। मुझे यह सब देखकर पहले खूब हँसी आती थी, मैं सोचता था यह सब पब्लिक डोमेन में बताने की क्या ही जरूरत है। मुझे तो कई बार यह सब पब्लिसिटी स्टंट भी लगता था, अक्सर कुछ लोग ऐसा कर भी जाते होंगे लेकिन आज लगता है कि भारत में अधिकतर लोग वास्तव में ऐसे हमलों के शिकार होते हैं।

तो हुआ यूं कि मुझे भी एक फोन आया, बिल्कुल अलग ही तरह का मामला था, मतलब धमकी जैसा तो नहीं था लेकिन किसी की अभिव्यक्ति पर साफ साफ हमला कह सकते हैं। मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि कभी ऐसा फोन आ सकता है, क्योंकि मैंने तो कभी किसी पक्ष वाद आदि के लिए कभी कुछ उलूल जूलूल बातें वैसे भी नहीं कही है। लेकिन फिर भी मेरे साथ ये अलग सा मामला हो गया। जैसे अधिकांश: लोगों के साथ क्या होता है कि राजनीति आदि पर लिखते रहते हैं तो उन्हें स्पष्ट रहता है कि फलां राजनीतिक पक्ष से संबंधित व्यक्ति ने ही फोन लगवाया होगा। उन्हें फोन करने वाले के बारे में एक स्पष्टता रहती है लेकिन मेरे साथ अलग ही समस्या हो गई, क्योंकि मुझे समस्या भी तो अलग-अलग तरह के लोगों से रहती है, कभी हिमालय और नदियों को बेचने वालों से समस्या हो जाती है, तो कभी गरीबों का खून चूसने वाले कुख्यात डाकूसरीखे वंचक अधिकारियों से, तो कभी सरकारी तंत्र से, कभी गैर-सरकारी तंत्र से, कभी मरगिल्ले समाजसेवियों से तो कभी डाॅक्टर इंजीनियर से, कभी फर्जी मास्टरों से तो कभी फर्जी साहित्यकारों से। मतलब यूं समझिए कि समस्या का क्षेत्र व्यापक होता रहा, अनवरत तरीके से सबको सूतियाना जारी रहा। अब इस प्रक्रिया में कितने अलग-अलग लोगों को नाराजगी होती होगी, यह फिर पता करना असंभव हो जाता है, एक अबूझ पहेली सी बन जाती है, अभी भी वह पहेली बनी ही हुई है, शायद कभी पता भी न चले कि मुझे मिलने वाली उस एकमात्र विचित्र सी धमकी के पीछे आखिर कौन होगा। 

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