अपवाद लोग ही दुनिया को रास्ता दिखाते हैं,
अपवाद सरीखे लोगों के पास सबसे कोमल और सबसे कीमती कुछ होता है,
तो वह है अपना व्यक्तित्व और उस व्यक्तित्व को हर हाल में जिंदा रखने की जिद,
यह जिद उनके लिए फूल भी बिछाती है,
तो साथ में काँटे भी दे जाती है।
ऐसे लोग किसी प्रकाश पुंज की तरह होते हैं,
जो सिर्फ अपने लिए ही रास्ता नहीं बनाते,
बल्कि अपने पीछे एक पूरी पीढ़ी को दिशा दे रहे होते हैं।
दिशाहीन लोगों के लिए मरहम बनने का काम करते हैं,
उनके लिए ये लोग आशा की किरण की तरह होते हैं।
जो लोग एक चलते फिरते प्रकाश पुंज होते हैं,
उन्हें उनके सामने झुकना पसंद नहीं होता,
जिनके पास अपनी खुद की रोशनी तक नहीं है,
वे ऐसे बुध्दिविहीन लोगों को अस्वीकार करते हैं,
हजारों सालों से बनी बनाई सत्ता और व्यवस्था को इससे चोट पहुंचती है,
छलकपट और अहंकार से तैयार हुई सत्ता की जड़ें हिलने लगती है।
सत्ता पर आसीन लोग इन प्रकाश किरणों के पीछे हाथ धोकर लगे रहते हैं,
ताकि इनके व्यक्तित्व की चमक फीकी पड़ जाए,
इनके ज्ञान का प्रकाश सीमित हो जाए।
लेकिन जो अपने भीतर के प्रकाश से प्रकाशमान होते हैं,
वे इन सब से अप्रभावित होकर अपना काम करते रहते हैं।
हम ऐसे लोगों के लिए अगर कुछ कर सकते हैं,
तो वह यह कि उनके नाम का दीपक अपने भीतर हमेशा प्रज्वलित रखें,
ताकि उनके विचारों का ताप, उसकी अग्नि हम तक पहुंचती रहे,
और हमें जीवन रूपी इस यात्रा में हमेशा सही दिशा मिलती रहे।
अपवाद सरीखे लोगों के पास सबसे कोमल और सबसे कीमती कुछ होता है,
तो वह है अपना व्यक्तित्व और उस व्यक्तित्व को हर हाल में जिंदा रखने की जिद,
यह जिद उनके लिए फूल भी बिछाती है,
तो साथ में काँटे भी दे जाती है।
ऐसे लोग किसी प्रकाश पुंज की तरह होते हैं,
जो सिर्फ अपने लिए ही रास्ता नहीं बनाते,
बल्कि अपने पीछे एक पूरी पीढ़ी को दिशा दे रहे होते हैं।
दिशाहीन लोगों के लिए मरहम बनने का काम करते हैं,
उनके लिए ये लोग आशा की किरण की तरह होते हैं।
जो लोग एक चलते फिरते प्रकाश पुंज होते हैं,
उन्हें उनके सामने झुकना पसंद नहीं होता,
जिनके पास अपनी खुद की रोशनी तक नहीं है,
वे ऐसे बुध्दिविहीन लोगों को अस्वीकार करते हैं,
हजारों सालों से बनी बनाई सत्ता और व्यवस्था को इससे चोट पहुंचती है,
छलकपट और अहंकार से तैयार हुई सत्ता की जड़ें हिलने लगती है।
सत्ता पर आसीन लोग इन प्रकाश किरणों के पीछे हाथ धोकर लगे रहते हैं,
ताकि इनके व्यक्तित्व की चमक फीकी पड़ जाए,
इनके ज्ञान का प्रकाश सीमित हो जाए।
लेकिन जो अपने भीतर के प्रकाश से प्रकाशमान होते हैं,
वे इन सब से अप्रभावित होकर अपना काम करते रहते हैं।
हम ऐसे लोगों के लिए अगर कुछ कर सकते हैं,
तो वह यह कि उनके नाम का दीपक अपने भीतर हमेशा प्रज्वलित रखें,
ताकि उनके विचारों का ताप, उसकी अग्नि हम तक पहुंचती रहे,
और हमें जीवन रूपी इस यात्रा में हमेशा सही दिशा मिलती रहे।
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