अभी देश के अलग-अलग हिस्सों में धर्म आधारित मामले बनाए जा रहे हैं और उनको राष्ट्रीय मुद्दा बनाया जा रहा है। कोरोना वायरस, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, महंगाई यह सब तो धार्मिक मुद्दों के आगे वैसे भी किनारे हो जाते हैं तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। असल में हिजाब वाली घटना में मुझे दोनों पक्षों पर हँसी आ रही है। ये वही लोग हैं, जिनको यूट्यूब में भारत को आजादी कब मिली जैसे सवालों का गलत जवाब देते हुए युवाओं का वीडियो सच लगता है, WWE के रेसलर अंडरटेकर की मृत्यु और पुर्नजन्म की घटना भी इन्हें सच लगती है, तो एक प्रधानमंत्री के मगरमच्छ पकड़ने और एनसीसी कैडेट हो जाने की बात को भी सच मान लेने और उस पर बहस कर समय जाया किया ही जा सकता है। ऐसे महान दूरदर्शी नागरिकों को ही हिजाब वाले वीडियो का स्क्रिप्ट समझ नहीं आ रहा है। लड़की के स्कूटी से एंट्री मारने से लेकर नारे लगाने तक इतने प्यार से वीडियो शूटिंग हो रही कि प्री वेडिंग शूट वाला शरमा जाए। क्या इतना पिच्चर वेब सीरीज देखते हो यार, इतना नहीं समझ पा रहे। कोई उसमें हिन्दू मुस्लिम नहीं हैं, सब ससुरे एजेंट पहले हैं जो नेशनल मीडिया को बाइट दे रहे हैं। बाकी आपको तो इतना नजरबंद कर ही दिया गया है, और आपको दिमाग से इतना खाली, इतना नल्ला बना दिया गया है तो आप हिन्दू मुस्लिम एंगल पकड़ के ही खून गरम करते रहिए।
असल में यह धर्म आधारित माहौल सिर्फ यूपी चुनाव जीतने भर के लिए नहीं बनाया जा रहा है, यह तो एक बड़ा कारण है ही, साथ ही अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए धर्म से जुड़े हथकंडे फेंके जा रहे हैं ताकि आने वाले कुछ एक दशक ये टिके रहें। कांग्रेस के एक लंबे समय के शासन के बाद एक दूसरी पार्टी एक दूसरी विचारधारा के रूप में खुद को स्थापित कर 2014 में पूर्ण बहुमत की सत्ता हासिल करने के बाद भाजपा आई और इनका जो मजबूत नेटवर्क पूरे देश में कायम हुआ उसे पिछले एक दो साल में कोरोना और खासकर किसान आंदोलन ने काफी हद तक फीका कर दिया। कोई भी पार्टी इतने दशकों के बाद आती है और बहुमत से आती है तो देश भर में उसका एक सिस्टम बन जाता है जो इतनी आसानी से नहीं टूटता है, भाजपा हारे जीते फर्क नहीं पड़ता लेकिन उसका एक सिस्टम बन गया है, शायद आने वाले एक दो दशक यही राज करें तो जिन्हें समस्या है वे इनकी आदत डाल लें। भाजपा का अपना सिस्टम, उसकी जड़ें किसान आंदोलन के बाद कमजोर हुई हैं, ये धार्मिक मुद्दे उसी जड़ को मजबूत करने की तैयारी भर है। सोशल मीडिया की वजह से न्यूज फैलाव की वजह से ये हिजाब वाला मुद्दा बहुत बड़ा लग रहा होगा लेकिन पहले की सरकारों के समय इससे भी बड़े बड़े मामले हुआ करते थे, सत्ता लोभी सरकारों ने उस समय भी लोगों को बाँटने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी थी। जहाँ तक दंगे और धार्मिक उन्माद पैदा करने की बात है, आजादी के बाद से सबसे बड़े-बड़े दंगे तो कांग्रेस और वाम संचालित सरकारों के समय ही हुए हैं, आपको हमको पीछे जाकर यह सब देखना होगा। 1984 का दंगा ही याद कर लिया जाए, सोचिए आज भाजपा के शासन में जो किसान आंदोलन हुआ, यही अगर कांग्रेस के शासनकाल में होता तो आंदोलन और कितना बड़ा होता, पूरे देश भर में कांग्रेसियों को कूटा जा रहा होता, छुपने के लिए जगह न मिलती। चौरासी के दंगों के समय एक धर्म विशेष के लोगों के साथ कई-कई दिन तक खून की होली खेली गई थी, रेप हुए थे, लोगों ने अपनी पहचान बदलने के लिए अपने केश कटवा लिए थे, कुछ ऐसे भी रहे कि जान बचाने के लिए रातों रात धर्म ही बदल लिया, पंजाब से देश के अलग-अलग कोनों में बड़ी मात्रा में पलायन हुआ, जो दुबारा वापस ही नहीं लौटे। सोचिए कितना डरावना मंजर होगा, सोचिए आपके हमारे हाथ में तब इंटरनेट और सोशल मीडिया होता तो?? विडम्बना देखिए आज वही कांग्रेस पंजाब के जनमानस के लिए हितैषी बन गई है। भाजपा तो इनके काले कारनामों के सामने अभी कुछ भी नहीं है, इसलिए यह भी धर्म का कार्ड खुलकर खेलते हैं। यह सब करके ये भी देश हित में कुछ नया नहीं कर रहे हैं, देश को समाज को पीछे ही लेकर जा रहे हैं।
अभी शायद यूपी चुनाव तक धर्म से जुड़े कुछ और संवेदनशील मुद्दे राष्ट्रीय पटल पर आएंगे, बस हमें यह ध्यान रखना है कि हमारे भीतर हिंसा और नफरत कम से कम प्रवेश करे और हमें इतनी बेसिक समझ तो हो कि हम ऐसे वीडियो के पीछे की स्क्रिप्ट समझ जाएं।
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