तुम्हारे घर लौटने की खबर पाकर,
वे सिर्फ इंतजार नहीं करते थे,
उतने समय में वे जिंदगी को जी रहे होते थे।
एक समय ऐसा आ जाता है,
जब हम जिंदगी को जीने के लिए वजह खोजने लगते हैं,
तुम उनके लिए जिंदगी जीने का एक बहाना बन गयी थी।
भले वे कहते न होंगे, जाहिर न कर पाते होंगे,
क्योंकि इस्पात सा उनका व्यक्तित्व रहा,
लेकिन मन उतना ही कोमल उतना ही मासूम,
घर के मुखिया जो रहे, इसलिए अडिग बने रहते।
असल में उनके लिए हँसने मुस्कुराने का बहाना थी तुम,
वे तुम्हें सामने पाकर अपने सारे गम भुला देते थे,
तुम्हें देखकर उनका पाव भर खून बढ़ जाता था,
इसलिए शायद तुम्हारे दूर होने से बैचेन से हो जाते थे।
गुमसुम से होकर तुम्हें खोजने लगते थे,
तुम्हारे जीने में ही अपना जीना ढूंढते फिरते थे।
इसलिए सुबह से शाम इतनी फिक्र किया करते थे।
जितना जीवन उन्होंने जिया, उसके बाद
दुनिया जहाँ की उपलब्धियों से बड़ी बन गई थी तुम,
इसलिए व्याकुल हो जाते थे तुम्हें लेकर।
तुम्हारे सुख में ही सुख खोजते,
तुम्हारी खुशी में ही आसमान भर खुशी पा लेते।
उनके लिए तुम साँस की तरह थी,
जीने की वजह बन गई थी तुम।
वे सिर्फ इंतजार नहीं करते थे,
उतने समय में वे जिंदगी को जी रहे होते थे।
एक समय ऐसा आ जाता है,
जब हम जिंदगी को जीने के लिए वजह खोजने लगते हैं,
तुम उनके लिए जिंदगी जीने का एक बहाना बन गयी थी।
भले वे कहते न होंगे, जाहिर न कर पाते होंगे,
क्योंकि इस्पात सा उनका व्यक्तित्व रहा,
लेकिन मन उतना ही कोमल उतना ही मासूम,
घर के मुखिया जो रहे, इसलिए अडिग बने रहते।
असल में उनके लिए हँसने मुस्कुराने का बहाना थी तुम,
वे तुम्हें सामने पाकर अपने सारे गम भुला देते थे,
तुम्हें देखकर उनका पाव भर खून बढ़ जाता था,
इसलिए शायद तुम्हारे दूर होने से बैचेन से हो जाते थे।
गुमसुम से होकर तुम्हें खोजने लगते थे,
तुम्हारे जीने में ही अपना जीना ढूंढते फिरते थे।
इसलिए सुबह से शाम इतनी फिक्र किया करते थे।
जितना जीवन उन्होंने जिया, उसके बाद
दुनिया जहाँ की उपलब्धियों से बड़ी बन गई थी तुम,
इसलिए व्याकुल हो जाते थे तुम्हें लेकर।
तुम्हारे सुख में ही सुख खोजते,
तुम्हारी खुशी में ही आसमान भर खुशी पा लेते।
उनके लिए तुम साँस की तरह थी,
जीने की वजह बन गई थी तुम।
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