Sunday, 6 February 2022

लव जिहाद के फर्जीवाड़े और हमारा हिंसक समाज -

तो हुआ यूं कि नेपाल में एक 18 साल की हिन्दू लड़की को और एक मुस्लिम लड़के को एक-दूसरे से प्यार हो गया। लड़का पहले से शादीशुदा था, लड़की के जानकारी में यह बात पहले से थी, लड़का का अपना रिश्ता शायद ठीक ना चल रहा हो, पहली पत्नी से शायद बच्चा भी है। लेकिन इस युवा लड़की और लड़के को किसी चीज ने बाँध लिया तो वह है प्रेम, जाति-धर्म की बेड़ियों को चीरता हुआ प्रेम। लड़की ने लड़के का हाथ थाम लिया और अब वह लड़के को छोड़ना नहीं चाहती है, उस लड़के की पहली शादी से हुए बच्चे को भी स्वीकारने से भी उसे गुरेज नहीं है, माँ-बाप मिलना चाहते हैं तो उनसे भी नहीं मिलना चाहती है, सीधे मना कर देती है कि मैं इन्हें नहीं जानती हूं। माता-पिता हलाकान परेशान, रो-रोकर बुरा हाल है। सब करके देख लिया, लेकिन लड़की झुकना ही नहीं चाहती, घर लौटना ही नहीं चाहती। थक हारकर माता-पिता ने सामाजिक धार्मिक संगठन और पुलिस का सहारा ले लिया। मेरा मजबूती से मानना है अपने बच्चे के लिए बिना हिंसा और प्रतिशोध की भावना के कोई माता-पिता ऐसा कदम नहीं उठा सकते हैं। ऐसे संवेदनशील मामले ही तो लव जिहाद जैसे मुद्दे बनाने के लिए खाद पानी का काम करते हैं।
तो ये बेसिक बातें हुई है जो अभी मार्केट में चल रही है। जिन बातों को लोग नहीं सोच पा रहे हैं, अब मैं उस पर बात करता हूं। लड़की की उम्र महज 18 साल है, बालिग हो चुकी है लेकिन जानबूझकर ऐसा फैलाया जा रहा है कि नाबालिग है और इसे धर्म विशेष के लोगों ने बहलाया फुसलाया है, जबकि लड़की ने खुद अपनी मर्जी से लड़के का हाथ थामा है। दूसरा झूठ यह फैलाया जा रहा है कि लड़के की बहुत सी पत्नियाँ थी, बहुत लोगों के साथ धोखा किया गया, जबकि सब बेबुनियाद बातें हैं। हिन्दू संगठनों द्वारा इस मुद्दे को अच्छा भुनाया जा रहा है। कुछ-कुछ स्कूली लड़कियों का, उस लड़की की दोस्तों का फेक इंटरव्यू तक लिया जा रहा है, और उसमें यह प्रोजेक्ट किया जा रहा है कि लड़का अपराधी है, गाँजा तस्कर है, लड़कियों को शादी का झांसा देकर उनका जीवन बर्बाद करता है आदि आदि। यूट्यूब चैनल में यह सब न्यूज बनाकर खूब प्रचारित किया जा रहा है, देखकर ही समझ आ रहा कि प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा है। इस मुद्दे को जान बूझकर हिन्दू बनाम मुस्लिम का एंगल दिया जा रहा है जो कि बहुत ही दु:खद है। जिस यूट्यूब चैनल से वीडियो वायरल किया जा रहा है, वह चैनल यूपी का है अब कौन सा संगठन है थोड़ा सा दिमाग आप भी लगाइएगा। बाकी हमारे अपने घर-परिवार समाज की सढ़न इन सब तरीकों से नहीं छुपने वाली है, ये बात हमें नहीं भूलनी चाहिए।
एक महिला मित्र ने जब यूट्यूब में इस मुद्दे का वीडियो देखकर पहली बार मुझे इस बारे में बताया था और कहा था कि माँ-बाप रो रहे हैं और उस लड़की पर कोई असर नहीं हो रहा, मेरा तो मन कर रहा है कि जाकर उस लड़की को दो थप्पड़ मारूं‌। मुझे तब तक इस मुद्दे के बारे में कुछ नहीं पता था फिर भी मैंने उस वक्त उनसे कह दिया था कि बिना पूरी बात जाने उस लड़की के खिलाफ हिंसा करने का सोच कैसे सकती हो, लड़की अपनी मर्जी से प्रेम संबंधों को जी रही होगी या और भी कोई बात हो सकती है। और सिर्फ लड़की पर हिंसा क्यों, लड़की के माता-पिता पर हिंसा क्यों नहीं। बच्चे कुछ कदम उठाते हैं, उसमें हम माता-पिता का योगदान कैसे नहीं देख पाते हैं, यह समझ नहीं आता है। 
एक बहुत जरूरी पहलू जो इन सब मामलों में हमसे छूट जाता है, वह है माता-पिता और बच्चों का आपसी संबंध। हमारे समाज में इस हद चीजें उलझी हुई हैं कि फिल्टर करने में लंबा समय लग जाता है। आज हम खुद से सवाल करें कि हममें से कितने लोग अपने माता-पिता से खुलकर अपने मन के भीतर चल रही बातों को रख पाते हैं, अपने जीवन के फैसलों, प्रेम संबंधों इन जरूरी चीजों पर उनसे खुल कर चर्चा कर पाते हैं। क्या माता-पिता हमें वैसा अनुकूल माहौल बनाकर देते हैं, या क्या हम अपनी ओर से वैसा अनुकूल माहौल बनाने का प्रयास करते हैं, इन सब चीजों को सोचे बिना उस लड़की की स्थिति को नहीं समझा जा सकता है। हमें सोचने की जरूरत है कि एक 18 साल की लड़की कैसे अपने माता-पिता के खिलाफ जाकर शादी कर एक लड़के के साथ रहने लग गई। ऊपर-ऊपर से यह दिख रहा है कि माता-पिता की लाडली बेटी है, लाड़ प्यार से पाला पोसा है। माता-पिता को भी लगता है कि बच्चों को अच्छा खाना देना, स्कूल भेज देना, उनकी जिद पूरी करना, उनके लिए बाजार से चीजें खरीदना ही परिवरिश है, इससे आगे माता-पिता सोच भी नहीं पाते हैं, एक बाल मन क्या कितना सोचता है इस पर वे मेहनत नहीं करना चाहते हैं, खिला-पिलाकर बड़ा करना ही उनको पैरेंटिंग लगती है। बच्चों के साथ कभी बैठकर बात करना तक जरूरी नहीं समझते हैं, अपने ही बच्चों से कैसे सहज मित्रवत संबंध स्थापित करना है, इस पर कभी काम नहीं करते हैं। यह काम बच्चा नहीं करेगा, माता-पिता को ही अपनी ओर से प्रयास करने होते हैं। 
इस मामले में मोटा-मोटा दो पक्ष है - एक पक्ष ऐसा है जो इस मुद्दे को लव जिहाद मानकर लड़के को सूली पर चढ़ा देना चाहता है, जबकि उनके खुद के घर-परिवार में, उनके अपने जीवन में तमाम तरह विद्रूपताओं का पहाड़ होता है, फिर भी दूसरों के ऊपर तलवार चलाने के लिए तैयार बैठे रहते हैं। दूसरा पक्ष वह है जो लड़की को दोषी मान रहा है, लड़की के चरित्र पर सवाल खड़ा कर रहा है, वह बचपन से थोड़ी ऐसी थी, वैसी थी और इस तरह की तमाम बातें कही जा रही है। 
मुझे इन दोनों पक्षों को लेकर कोई आश्चर्य नहीं हो रहा है, मैं जानता हूं समाज में किस हद तक चरणबध्द तरीके से हिंसा घुसी हुई है, दूसरा लड़कियों को यह समाज किस नजरिए से देखता है, वह भी किसी से छुपा नहीं है, लोगों का बस चले तो ऐसे प्रेम करने वालों को जीने ही न दें, इस हद तक तो लोग अपने भीतर हिंसा लेकर घूम रहे हैं। 
आज इन धर्मांध लोगों ने लव जिहाद के विरोध प्रदर्शन के एवज में थाना घेराव का असफल प्रयास लिया और बहुत से मुस्लिम लोगों की दुकानों में गाली-गलौच करते हुए जबरन तोड़-फोड़ मचा दिया। आज पहली बार इस शहर में दंगे जैसा माहौल है, इन सब से इतने सालों तक अछूता था पर अब नहीं रहा। लोगों को बाँट दिया गया। असामाजिक तत्व हथियार आदि लेकर घूम रहे हैं, एक्स्ट्रा फोर्स बुला दी गई है, लोगों को सचेत रहने कहा गया है। जिस बात का डर था वही हो रहा है, धर्म की राजनीति करने वाले सफल हो रहे हैं, आम आदमी धर्म के अंधेपन में बारंबार मूर्ख बनता जा रहा है।

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