स्टैण्ड-अप काॅमेडी और हम -
आजकल मेगा सिटीज में स्टैण्ड-अप काॅमेडी की धूम मची हुई है। बुक माई शो में जब टिकट के रेट्स देखे तो पैरों तले जमीन खिसकने जैसी हालत हो गई। 499 रूपए से शुरू होकर 1499 रूपए तक की टिकट हैं। रंगमंच वाले भी डुबने के लिए कोई एकफुटिया नाला न खोज लें, कहता हूं। खैर...
इन काॅमेडियन की बात करें तो इनकी भी अपनी अनेक श्रेणियाँ हैं -
- अर्बन लाइफस्टाइल बेस्ड स्टैण्ड-अप काॅमेडियन,
- प्रेम/रिश्तों आदि पर काम करने वाले स्टैण्ड-अप काॅमेडियन,
- शहरों में आकर नौकरी करने वाले अंग्रेजीदां नौकरों के दर्द को प्रमुखता से पेश करने वाले स्टैण्ड-अप काॅमेडियन,
- स्कूल/काॅलेज की यादों को बांचने वाले स्टैण्ड-अप काॅमेडियन,
और एक बच जाते हैं पाॅलिटिकल स्टैण्ड-अप काॅमेडियन।
अगर एक बार के लिए कंटेंट पर बात ना भी करें तो आप सबको पचा लेंगे लेकिन ये पाॅलिटिकल स्टैण्ड-अप काॅमेडियन की जो कैटेगरी है, इनका उद्देश्य कभी-कभी समझ नहीं आता है कि आखिर ये करना क्या चाहते हैं, बोलना क्या चाहते हैं। इनकी काॅमेडी और जोक की तो परिभाषा ही अलग हो चली है। भाषा का संयम नहीं, लेकिन बदलाव पूरे संसार का चाहिए। हिंसा, व्यभिचार, वैमनस्यता इनकी अभिव्यक्ति का मूल तत्व है। इनमें एक गजब की खूबी यह भी रहती है कि ये कैफे, सेमिनार हाल से लेकर टीवी स्टूडियो और स्टेज में भी शानदार प्रदर्शन करते हैं। हम कारण चाहे जो भी निकाल लें, लेकिन इनकी डिमांड आजकल सबसे ज्यादा है।
टिकट के रेट्स देखकर आप भी अंदाजा लगाएं कि वे कौन लोग हैं जो इनका लाइव शो देखते हैं।
लेकिन जिन मोहतरमा का आपने फोटो लगा कर रखा है वो कॉमेडीयन नही हैं
ReplyDeleteआपको इतनी समझ तो होनी ही चाहिए कि मुझे इतनी बेसिक जानकारी होगी ही। फोटो लगाया है तो कुछ सोचकर ही किया होगा। आप यह क्यों नहीं समझ पाते हैं कि लोग काॅमेडियन की शक्ल में नेता बने फिर रहे। जैसे ग्रेटा जी बहरूपिया निकली। संदर्भ समझें।
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