Wednesday, 29 January 2020

वंचक मंत्रालय और बाबा के मध्य संवाद -

नोट : संस्था, पात्र आदि के नाम काल्पनिक हैं, संवाद में वास्तविकता के तत्व का आँकलन पाठक स्वयं करें।
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इंस्पेक्टर - आप बाबा बोल रहे हैं?

बाबा - जी बोलिए, कौन?

इंस्पेक्टर - बाबा, मैं सब-इंस्पेक्टर, वंचक मंत्रालय के पास के थाने से बोल रहा हूं।

बाबा - मेरा नाम नंबर कैसे पता आपको? किस संदर्भ में फोन किया आपने?

इंस्पेक्टर - बाबा, वंचक मंत्रालय से आपके खिलाफ पांच पेज का चार्जशीट दायर हुआ है, आपने वंचक मंत्रालय की अवमानना की है, अभी कागज मेरे पास है, आगे की कार्यवाई नहीं हुई है। इसी सिलसिले में आपसे बातचीत के लिए फोन किया है।

बाबा - जी, मैं किसी वंचक मंत्रालय को नहीं जानता, मेरा दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं, और आप खुल के बताएँ मैंने कौन सी अवमानना की। आप किस अवमानना की बात कर रहे हैं महोदय।

इंस्पेक्टर - बाबा, आपने वंचक मंत्रालय को इंटरनेट के एक प्लेटफाॅर्म में वेश्यालय कहा है‌। एक बार थाने आ जाएं, आपने और भी बहुत कुछ लिखा है कि यहाँ ऐसा होता , वैसा होता, मैं सब कुछ पढ़कर नहीं बता सकता, आप खुद एक बार आइए, एक बार देखिए, बैठकर बात करते हैं, इसको खत्म करते हैं।

बाबा - साहब, आपकी बातें मेरे सर के ऊपर से जा रही हैं। बोल के बताइए मैंने क्या लिखा है, मैंने किसको चोट पहुँचा दी?

इंस्पेक्टर - बाबा, मैं बोल के नहीं बता सकता, आप एक बार आकर देख लीजिए, इसको रफा दफा कर देते हैं। मुझे भी उधर मंत्रालय से प्रेशर है कि इसको जल्दी से खत्म करें, नहीं तो एफआईआर न हो जाए इसलिए मैं आपके भलाई के लिए कह रहा हूं। आप क्या पहले इस मंत्रालय से जुड़े हैं क्या, आपको इतने भीतर तक की खुफिया जानकारी कैसे मालूम, इसलिए वे बार-बार मुझसे पूछ रहे हैं।

बाबा - साहब, मैं फिर से कहता हूं, आपकी एक भी बात मुझे समझ नहीं आ रही। मैं किसी मंत्रालय को कुछ क्यों बोलूंगा। छोटा आदमी हूं, फलां शहर में रहता हूं, अपना काम करता हूं। मुझे किसी मंत्रालय के बारे में कोई जानकारी नहीं। 

इंस्पेक्टर - अच्छा एक काम करिए एक बार फ्लाइट लेकर ही आ जाइए न, ये क्या है फिर बाद में दिक्कत करेगा न, मैं एयरपोर्ट में ही आपसे मिल लूंगा, इसको खत्म करते हैं।

बाबा - अरे साहब जब मेरा इन सबसे कोई ताल्लुक ही नहीं, ऐसे कैसे आ जाऊं अपना काम धाम छोड़कर, और मैं गरीब आदमी, फ्लाइट का खर्च नहीं उठा सकता, अगर ये सेवा आप मुझे देना चाहें तो शायद एक बार के लिए मैं सोच भी सकता हूं।

इंस्पेक्टर - यार वो मंत्रालय के साहब लोग मेरे को कह रहे हैं, कि ये कौन है साला जो हमारे मंत्रालय के बारे में ऐसी उल्टी सीधी बातें कह रहा है, हमारे मंत्रालय की अपनी साख है, कौन हरामी ऐसा कह रहा है हमें। ये सब बोलके बहुत गुस्सा कर रहे थे। समझो न भाई मेरे ऊपर प्रेशर है।

बाबा - ओ! इंस्पेक्टर साहब गुस्सा वे कर रहे थे या आप कर रहे हैं। और सुनिए कौन है आपका साहब मुझे बताएँ, आप किसकी मुलत्वी कर रहे मैं भी देख लूं, मेरी बात कराएँ, मैं उनका मन शांत कर देता हूं, आप परेशान न होइए। दे दीजिए मेरा नंबर, कह दीजिए कि वे मुझसे संपर्क कर लें।

इंस्पेक्टर - अरे बाबा, ऊपर से आर्डर है, समझो। आपके ही इलाके का हूं मैं भी, इसलिए मैं नहीं चाहता आपको समस्या हो। इसलिए आपके भले के लिए मैं आपसे विनती कर रहा हूं कि एक बार आ जाइए।

बाबा - आ जाइए मतलब, ऐसे कैसे आ जाऊँ। अच्छा साहब ये बताइए, आपके मेरे बीच की बात हुई, ये वंचक मंत्रालय सच में ऐसा है क्या? मुझे तो पता ही नहीं था कि राजकीय मंत्रालयों की स्थिति आजकल ऐसी हो चुकी है। आप ही ने ये दिव्य ज्ञान दिया मुझे। आपके साहब लोगों के गुस्से से तो यही महसूस हो रहा कि स्थिति दयनीय है।

इंस्पेक्टर - मुझे ये सब जानकारी नहीं। मैं बस चार्जशीट से पूछताछ कर रहा हूं। आप मुझे कृपया बता दीजिए कि क्या आप कभी जुड़े रहे हैं वंचक मंत्रालय से। हाईकमान से प्रेशर है बाबा।

बाबा - आपकी पीड़ा समझता हूं इंस्पेक्टर साहब, लेकिन क्या आपको पता है मैंने कौन सी पढ़ाई की है।

इंस्पेक्टर - कौन सी पढ़ाई की है मतलब?

बाबा - मैं अभियांत्रिकी का छात्र रहा हूं, वो भी एक ऐसे काॅलेज से जहाँ लड़कियाँ अपने सलवार में दबा के फर्रा लेकर आ जाती थी। आपातकाल में लड़के शैम्पू से कुल्ला कर लेते, और एक बोतल पानी को फेंकते हुए हमारे शिक्षक हमें जल विज्ञान सीखा देते। हमारे शिक्षकगण हमें अपशब्दों से ही पूरा जीवन दर्शन सीखा देते। मैं ऐसे महान गौरवशाली परंपरा का हिस्सा रहा हूं। आप अंदाजा लगाइए हमारी ट्रेनिंग कैसे रही होगी।

इंस्पेक्टर - देखो बाबा ये सब ज्ञान हमें ना दो। हम भी पुलिस वाले हैं, दुनिया देखी है हमने।

बाबा - ठीक है, सुनिए मैं आपसे बस ये कहना चाह रहा कि ये सब खेल आप हमें ना सीखाएं और दुबारा परेशान मत करिएगा, आपको जिस विभीषण ने मुझे फोन करने के लिए कहा है, उसे कह दीजिएगा कि कोई दूसरा तरीका अपनाए, ये सब यहाँ काम नहीं करेगा।

और फिर इंस्पेक्टर साहब ने बाबा को दुबारा कभी फोन नहीं किया।

नोट : चार्जशीट नेपथ्य में है, विभीषण की तलाश जारी है। 

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