बैंगलोर प्रवास के बाद इन पिछले छह महीनों के दौरान कर्नाटक के विभिन्न इलाकों में जाना हुआ। इन अलग-अलग जिलों के भ्रमण के पश्चात् आज रायचुर में हूं। रायचुर में बारिश बहुत कम होती है, पेड़-पौधे ना के बराबर, पूरा पथरीला इलाका है, तेज धूप पड़ती है, लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि हवा खूब बहती है, इसलिए जगह-जगह पवन चक्कियाँ लगी हुई हैं। पथरीला इलाका तो कर्नाटक का कोप्पल जिला भी है लेकिन वहाँ इतनी हवा नहीं बहती है, अगर ऐसा होता तो पवन चक्कियाँ वहाँ भी जरूर होती। खैर....
ये सब बताने की असली वजह यह है कि आज इतने महीनों के बाद मुझे ये लग रहा है कि बैंगलोर में वाकई भयंकर वायु प्रदूषण है भले उतना समझ नहीं आता है लेकिन है, व्यक्ति महसूस करना चाहे तो साँस लेते हुए अलग से महसूस होता है। यह फर्क आज इसलिए इतना महसूस हुआ क्योंकि यहाँ रायचुर की हवा बहुत हल्की है, एक अलग सी ताजगी है इस हवा में जो अभी तक कर्नाटक में और कहीं नहीं मिली। मतलब ये कह लो कि बचपन के वे दिन याद आ गये, जब खुली हवा में गर्मी की रातों में तारे देखते हुए सोया करते थे।
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