Friday, 27 January 2017

Translation work - Rajiv Malhotra Books


~ Multiple intelligence ~

 
         हार्वर्ड के प्रसिद्ध विचारक ऐरल गार्डनर कुछ साल पहले भारत आए थे। बैंगलोर में इंफोसिस की टीम को संबोधित कर रहे थे। असल में उन्होंने एक नयी थ्योरी इजात की जिसका नाम था "Multiple intelligence" यानि intelligence कई प्रकार के होते हैं जैसे कि:- artificial intelligence, spatial intelligence, emotional intelligence, rational intelligence आदि आदि। जो कि व्यक्ति विशेष के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक होते हैं।
और ऐरल गार्डनर की इस थ्योरी ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी।
                       ऐरल गार्डनर की इस थ्योरी को तथ्यों/प्रामाणिकताओं के अभाव में विश्व भर से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, खैर ये तो होना ही था क्योंकि गार्डनर के पास कोई ठोस अनुभवजन्य साक्ष्य थे ही नहीं। और तो और जब कुछ भारतीय इस नये विचार की उत्पत्ति से संबंधित जानकारी जुटाने लगे तो यह बात सामने आई कि हेरल गार्डनर का यह नया विचार श्री अरबिन्दो के "Plains and parts of being" से आया है। जहां श्री अरबिन्दो कहते हैं कि एक व्यक्ति(being) से संबंधित उसके कई plains और parts हो सकते हैं,  यानि  "Different level of intelligence" हो सकते हैं जो आगे जाकर उसके संपूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं।
               ऐरल गार्डनर ने कुछ नये Jargons जोड़ के जिस Multiple intelligence थ्योरी को जन्म दिया वह ज्यादा कुछ नहीं, श्री अरबिन्दो के विचारों का एक फीका और सरलीकृत रूप  है।




- संस्कृत - एक वैज्ञानिक भाषा -


               भारतीय दर्शन और पाश्चात्य दर्शन में संस्कृत के शब्दों को लेकर एक बड़ा अंतर है। स्पंदन का विशेष गुण लिए संस्कृत के शब्द जिनका अनुवाद संभव नहीं है। क्योंकि कुछ शब्द ऐसे होते हैं जैसे कि सेब उसका किसी दूसरी भाषा में सीधा सा अर्थ है जो सेब की ओर ही इंगित करता है। लेकिन कुछ ऐसे शब्द हैं जिनका हम भौतिक स्वरूप देखने पर ये पाते हैं कि वे शब्द एक अनुभव विशेष पर आधारित हैं। और जिस सभ्यता के पास वो अनुभव नहीं हैं, उनके पास शब्दों के अनुवाद भी नहीं हैं। इसलिए संस्कृत के कुछ शब्दों को, जो किसी दूसरी भाषा में भले ही वे एक जैसे लगेंगे लेकिन वे होंगे कुछ और, क्योंकि संस्कृत के शब्दों का अपना स्पंदन है जो अपने मूल में विशिष्ट है और इसलिए इन शब्दों का अनुवाद असंभव है।
जैसे कि योग, आप इसे कसरत, व्यायाम या प्रार्थना नहीं कह सकते।योग जैसे और कुछ संस्कृत के शब्द हैं जो अपनी प्रकृति में विशिष्ट हैं।
                संस्कृत में भर्तृहरि एवं पाणिनी ने इसे और स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि बौध्दिक अर्थों में संस्कृत के इन शब्दों का सबसे बड़ा महत्व इनके उच्चारण ध्वनि से प्राप्त स्पंदन है। दूसरे अर्थों में कहा जाए तो एक ऐसी पध्दति जिसमें स्पंदन है और वो स्पंदन प्रकृति में हमें स्थूल परिणामों के रूप में प्राप्त होता है।
इन शब्दों की ध्वनियां जो अपनी प्रकृति में विशिष्ट हैं, वे किसी दूसरे शब्द से जिसकी अपनी एक अलग ध्वनि है, धुन और गुणधर्म भी अलग हैं, संस्कृत के शब्दों की जगह नहीं ले सकते।
                संस्कृत दर्शन बहुत ही स्पष्ट और साथ ही विशिष्ट भी है क्योंकि इसमें कुछ बुनियादी बीज मंत्र हैं जिनका अनुवाद असंभव है क्योंकि इन मंत्रों के उच्चारण में एक विशेष स्पंदन का गुण है।




~ Relaxation Response and Lucid Dreaming ~


                    1960-1970 का समय।महर्षि महेश योगी अपने "Transcendental Meditation" की वजह से प्रसिद्ध हो चुके थे। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के हर्ब बेन्सन ने महर्षि महेश योगी से यह तकनीक सीखी और बहुत सारा पेपरवर्क करके जोड़ घटाना कर Relaxation Response नाम से एक नयी थ्योरी दे दी साथ ही अपने नाम से पेटेंट भी करा लिया और खूब नाम कमाया। और तो और हार्वर्ड में उन्होंने एक नया रिसर्च एंड डेवलपमेंट थिंक टैंक स्थापित किया और उनके इस काम के लिए सरकार से उन्हें करोड़ों डालर का अनुदान भी मिला।
                    आप इस बदमाशी की बानगी देखना चाहें तो यूट्यूब में Relaxation response नाम से देख सकते हैं, सैकड़ों वीडियो मिल जाएंगे।
आज महर्षि महेश योगी नदारद हैं, और नकल करने वाला विश्वप्रसिद्ध।
      
                    स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के स्टीवन लबर्ज के साथ भी कुछ ऐसा ही मामला है। स्टीवन लबर्ज एक जाने-माने न्यूरोसाइंटिस्ट हैं। इन्होंने "Lucid dreaming" नाम की नयी थ्योरी दी। लेकिन जब स्टीवन के इस थ्योरी की पड़ताल की गई तो उन्होंने खुद बताया कि उन्होंने भारत आकर एक गुरू से योग निद्रा सीखी थी। वहीं से ये lucid dreaming निकल कर आया।
                अभी कुछ साल पहले मेरे एक दोस्त ने बड़े फैंसी अंदाज में मुझे lucid dreaming के बारे में बताया था कि यूट्यूब में वीडियो देखना इसका और एक बार आजमाना। मैंने देखा भी और आजमाया भी। और देर सबेर जब मुझे योग निद्रा के बारे में पता चला तो लगा कि कैसे हमारी संस्कृति,हमारी विरासत को बड़ी चालाकी से घायल किया जा रहा है। खुद मुझे योग निद्रा के बारे में इतने देर से पता चला, पहले ही Lucid dreaming का घूंट जो पी लिया था।
                  योग निद्रा हमारे लिए old-fashioned हो जाता है और lucid dreaming हमारे लिए किसी Fantasy से कम नहीं। क्योंकि गूगल/यूट्यूब ही अब हमारे ज्ञान का साधन है, जहां योग निद्रा से संबंधित कुछ ज्यादा नहीं मिल पाता लेकिन Lucid Dreaming से जुड़ी हजारों चीजें मिल जाएंगी जिसका निर्माण योग निद्रा को ही पचाकर किया गया है।

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