आयुष,
मैंने तुम्हारे नाम के सामने कोई संबोधन नहीं जोड़ा है। सिर्फ तुम्हारा नाम लिख दिया है। उम्मीद करता हूं कि तुम जब बड़े हो जाओगे तो तुम्हें इस बात का ध्यान हो कि तुम्हें इस नाम को अपने अर्थ तक पहुंचाना है। इस साल तुमने अपनी जिंदगी की पहली बर्फबारी देखी है। जानकर बहुत खुशी हुई, शायद कुछ महीने बाद तुम एक साल के हो जाओगे। फिर बोलने लगोगे, चलने लगोगे। इस बीच तुम्हारे मां-बाप और आस-पास के रिश्तेदार हर कोई तुम्हें बहुत लाड़-प्यार देंगे। हमेशा हंसायेंगे, तुम्हें खुश करेंगे। याद है पिछली बार जब तुम देर तक हंस रहे थे तो मैं तुम्हें देखकर शांत हो गया था फिर तुम भी मुझे देखकर शांत हो गए और फिर मैं जब धीरे से मुस्कुराया तो तुम भी मुस्कुराने लगे थे। हमारी बात हो रही थी, मेरे से बात करने का शुक्रिया आयुष।
आयुष! अभी तुम्हें बहुत कुछ देखना है, सीखना है। तरह-तरह के लोगों से घुलना-मिलना है। उनके चेहरे से चेहरा मिलाना है। उन्हें खुशी पहुंचाने के लिए हंसना भी है। मम्मी-पापा को ज्यादा परेशान मत करना। पता है कई बार तुम्हें गोद में लटकने का मन नहीं करेगा, फिर भी तुम लटकोगे क्योंकि तुम्हारे पास और कोई दूसरा उपाय नहीं है। तुम हंसते हुए सबको खुश रखना। किसी को मत बताना कि तुम क्या चाहते हो। तुम इस बीच किसी से मत घबराना, तुम्हें बहुत से चेहरे और बहुत से भाव दिखाई देंगे, तुम सबको ध्यान से देखते जाना, हमेशा निडर रहना और खूब सीखना। आयुष तुम किसी से शिकायत मत करना, तुम सबको खुश रखना, मैं तो हमेशा तुम्हारे आसपास हूं। मुझे कभी-कभी लगता है कि लोग जब तुम्हें खुश करने के लिए अलग-अलग तरीका अपनाते हैं तो तुम उन पर हंस रहे होते हो। तुम्हारे देवत्व से अनजान वे खुश होते हैं कि उन्होंने तुम्हें हंसाया। पता है जब कभी तुम मेरी ये चिट्ठी पढ़ने लायक हो जाओगे तो किसी को मत बताना कि बचपन में तुम आंखों-आंखों में चाचा से बात करते थे, क्योंकि वे यकीन नही करेंगे।
अभी तुम एक साल के होने वाले हो, कुछ साल बाद तुम बड़े हो जाओगे, चलने लगोगे और जब दौड़ने लगोगे तो खेल के मैदान में हाथों में फुटबाल लिए मैं तुम्हारा इंतजार करुंगा।
-तुम्हारा चाचा।
मैंने तुम्हारे नाम के सामने कोई संबोधन नहीं जोड़ा है। सिर्फ तुम्हारा नाम लिख दिया है। उम्मीद करता हूं कि तुम जब बड़े हो जाओगे तो तुम्हें इस बात का ध्यान हो कि तुम्हें इस नाम को अपने अर्थ तक पहुंचाना है। इस साल तुमने अपनी जिंदगी की पहली बर्फबारी देखी है। जानकर बहुत खुशी हुई, शायद कुछ महीने बाद तुम एक साल के हो जाओगे। फिर बोलने लगोगे, चलने लगोगे। इस बीच तुम्हारे मां-बाप और आस-पास के रिश्तेदार हर कोई तुम्हें बहुत लाड़-प्यार देंगे। हमेशा हंसायेंगे, तुम्हें खुश करेंगे। याद है पिछली बार जब तुम देर तक हंस रहे थे तो मैं तुम्हें देखकर शांत हो गया था फिर तुम भी मुझे देखकर शांत हो गए और फिर मैं जब धीरे से मुस्कुराया तो तुम भी मुस्कुराने लगे थे। हमारी बात हो रही थी, मेरे से बात करने का शुक्रिया आयुष।
आयुष! अभी तुम्हें बहुत कुछ देखना है, सीखना है। तरह-तरह के लोगों से घुलना-मिलना है। उनके चेहरे से चेहरा मिलाना है। उन्हें खुशी पहुंचाने के लिए हंसना भी है। मम्मी-पापा को ज्यादा परेशान मत करना। पता है कई बार तुम्हें गोद में लटकने का मन नहीं करेगा, फिर भी तुम लटकोगे क्योंकि तुम्हारे पास और कोई दूसरा उपाय नहीं है। तुम हंसते हुए सबको खुश रखना। किसी को मत बताना कि तुम क्या चाहते हो। तुम इस बीच किसी से मत घबराना, तुम्हें बहुत से चेहरे और बहुत से भाव दिखाई देंगे, तुम सबको ध्यान से देखते जाना, हमेशा निडर रहना और खूब सीखना। आयुष तुम किसी से शिकायत मत करना, तुम सबको खुश रखना, मैं तो हमेशा तुम्हारे आसपास हूं। मुझे कभी-कभी लगता है कि लोग जब तुम्हें खुश करने के लिए अलग-अलग तरीका अपनाते हैं तो तुम उन पर हंस रहे होते हो। तुम्हारे देवत्व से अनजान वे खुश होते हैं कि उन्होंने तुम्हें हंसाया। पता है जब कभी तुम मेरी ये चिट्ठी पढ़ने लायक हो जाओगे तो किसी को मत बताना कि बचपन में तुम आंखों-आंखों में चाचा से बात करते थे, क्योंकि वे यकीन नही करेंगे।
अभी तुम एक साल के होने वाले हो, कुछ साल बाद तुम बड़े हो जाओगे, चलने लगोगे और जब दौड़ने लगोगे तो खेल के मैदान में हाथों में फुटबाल लिए मैं तुम्हारा इंतजार करुंगा।
-तुम्हारा चाचा।
अति सुंदर छोटे भाई।।और आयुष की ओर से धन्यवाद ।।
ReplyDeleteshukiya
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