Wednesday, 4 January 2017

~ The theory of Happening ~

कल रात मेरे एक दोस्त ने फोन किया, रूआंसे अंदाज में कहने लगा कि उसकी जिंदगी में एक लड़की थी, लेकिन अब वो उसके साथ नहीं है। सीधे सरल लहजे में कहें तो इतने बड़े संसार में जहां ढेर सारे रंग हैं वहां एक स्थान विशेष में रिश्तों का ब्रेक अप हुआ है और मन टूटने लगा है और इसी टूटन की वजह से वो तमाम नासमझी की हरकतें करने लगा है। दोस्त ने मुझसे कहा कि ये प्यार वगैरह क्यों होता है यार, बड़ी परेशानी हो रखी है। तुम ही कुछ बता सकते हो, मुझे भरोसा है। और मैंने अपने दोस्त से एक दिन का समय मांगा।
               कभी-कभी लगता है कि अगर हम एक प्रेमी की बातों को तर्क से कूटने लगे तो हर दिन हंसने लायक सामग्री मिल जाएगी लेकिन होना ये चाहिए कि इन्हें गले से लगाकर कांधे में सुला लिया जाए और फिर कहा जाए कि आप दिन रात खुद को व्यस्त रखें और अगर फिर भी ये बात उसकी समझ से दूर जाती हुई दिखाई देती है तो उस व्यक्ति को कुछ समय के लिए उसकी स्थिति में छोड़ देना ही बेहतर है।
               अब मेरे दोस्त ने मुझसे ये सीधा सा सवाल पूछा कि प्यार क्यों होता है/दर्द क्यों होता है? सुनते ही मुझे लगा कि ये कैसा सवाल हुआ, अब मैं इसका क्या जवाब दूं। अब ऐसा है कि उसने महीने, साल भर या एक समय तक रिश्ता निभाया, शुरूआत दिनों में वो उस लड़की के साथ बहुत ज्यादा खुश भी होगा लेकिन आगे क्या होगा इसके बारे में उन दोनों में से किसी ने सोचा ही नहीं। उस लड़की और लड़के दोनों को इस बात का थोड़ा बहुत अहसास तो है कि कल जाकर तूफान उठेगा और तकलीफ दे जाएगा लेकिन वो अपने आज के एवज में सब कुछ नजर अंदाज कर जाते हैं। आखिर में फिर रोने लगते हैं और उनका ये नवोदित प्रेम उनको कभी-कभी हंसी का पात्र बना देता है। शायद उन्होंने कभी प्रेम को समझने की कोशिश ही नहीं की, ये तो बात करने, मिलने-जुलने,सुख-दुख बांटने में ही सिमटकर रह गये।
                 अब ये जो प्रेम रूपी समस्या है वो है कमाल की चीज, आप इसमें सामने वाले को ऐसे-ऐसे सपने दिखा देते हैं जो शायद आप कभी पूरा ही न कर पाएं। फिर भी आप दिखाते हैं क्योंकि ये आज के प्रेम का गुण है कि हमें खुद को ही धोखा देना है, झूठ बोलना है और वो सब कुछ करना है जो निकट भविष्य में लौटकर हमारे ही पास आएगा और तंग करेगा। बिस्तर में लेटे-लेटे भरी दुपहरी में सपने देखते, कविताएँ रचते लोगों के आसपास ऐसी कौन सी ताकत, कौन सा भगवान मंडराते रहता है ये मुझे भी नहीं पता।
                 ऐ मेरे दोस्त मैं तुम्हें ये कभी नहीं कहूंगा कि "होनी को कौन टाल सकता है" हां ये बहुत पुराना हो चुका है।
मैं इसके आगे की बात कह रहा हूं,
होनी को अनहोनी मत होने दो, होनी के हो जाने के इस दरम्यान तुम्हें हजारों संकेत मिलेंगे कि प्यारे रूक जाओ संभल के पांव रखो यहां, अब बार-बार गलती किए तो सीधे नीचे गड्ढे में गिर जाओगे। तुम कमर में रस्सी बांधना ही भूल गए, और आज तुम उल्टे मुंह गिरे। याद करो तुम मिल रहे होगे, बात कर रहे होगे, कहीं साथ में जा रहे होगे, तुम्हें आसपास की बहुत सी चीजों ने तंग किया होगा, हां ये सामान्य नहीं है। उन प्रतीकों ने कहा होगा कि रुको, रूक जाओ, मत बढ़ो आगे।
कहने का अर्थ ये कि होनी को देखा तो जा ही सकता है।
इंसान प्रेम में क्या पड़ता है वो देखना ही भूल जाता है, वो तो आंखे मूंद लेता है, हां वो आंखें बंद नहीं करता वो आंखें मूंद लेता है दोनों में फर्क है, भावनाओं का फर्क, क्रिया का फर्क और तभी ये दो अलग शब्द हैं। अगर उसने सच्चे मन से आंखें बंद की होती तो उसे वास्तविकता का ज्ञान हो जाता, लेकिन वो तो आंखें मूंदकर सपनों की एक अजीबोगरीब दुनिया में चला जाता है।
                मेरे दादाजी हमेशा एक बात कहा करते कि न तो कभी ज्यादा खुश होना न ही दुःखी। स्कूल टाइम में मुझे ये बात नहीं समझ आती थी। इस एक लाइन की बात को समझने में, अपनाने में मुझे लगभग दशक भर का समय लग गया। और जब खुद अपनाने लगा तो पता चला कि इस एक लाइन में जो एक सरल सी भावना बसी हुई है, दादाजी को उसमें महारत हासिल थी। उन्होंने पूरी तरह से इस एक वाक्य को अपने जीवन में उतार लिया था। अब मैं जब प्यार में संताप झेल रहे लोगों को देखता हूं तो सोचता हूं कि लोग आखिर इतनी बड़ी-बड़ी बातें कैसे कर सकते हैं या वे कैसे लिख देते हैं। इतनी सी उम्र में क्या सच में उन्होंने उस बात को जिया है सहा है या फिर वे गहराई में उतरे बिना ऐसे ही कह जाते हैं, बह जाते हैं क्यों, क्योंकि दुनिया भी ऐसी ही बहती है, इसी प्रारूप में प्रेम और रिश्तों का एक पुलिंदा तैयार कर देती है।

                  फिल्म Three Colors : Red में जो दिखाया गया है वो मैं यहां लिख रहा हूं। फिल्म में एक लड़का है जो अभी अभी वकील बना है, उसकी एक प्रेयसी है वो भी वकील है। दोनों अभी प्यार में पड़े हैं, वे रोज बात करते हैं। वो लड़की आए दिन लड़के से मिलती है कभी कोर्ट में तो कभी लड़के के घर पर। लड़के के घर के पास एक रिटायर्ड जज रहते हैं, जिनके पास एक रडार युक्त फोन टैपिंग मशीन है। उस मशीन की सहायता से वे रोज आसपास के लोगों की बातें सुनते हैं, जजसाहब अकेले रहते हैं और दिनभर यही करते हैं।                    एक दिन जज अपने कुत्ते को रोड पर छोड़ देते हैं, एक लड़की जो मॉडलिंग करती है वो अचानक अपनी कार से उस कुत्ते को ठोकर मारती है। और उसका इलाज कर वापस बूढ़े जज के घर पर देने आती है। आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा संयोग है, असल में बूढ़े ने कुत्ते के गले पर लगी पट्टी में इतनी जानकारी रखी होती है कि वो कुत्ता किसी सज्जन के हाथों वापस उन तक पहुंच ही जाएगा।
मॉडलिंग करने वाली लड़की दयालु सी है, वो जब कुत्ते को लौटाने पहुंचती है तो जज मना कर देते हैं,
और कहते हैं- मुझे ये नहीं चाहिए।
लड़की कहती है- तो क्या चाहिए।
जज- कुछ भी नहीं।
लड़की- सांस मत लीजिए फिर।
जज- अच्छा आइडिया है।
ऐसा कहकर जज साहब घर के अंदर चले जाते हैं। लड़की जज की बातें सुनकर चौंक जाती है। वो कहती है, क्या आपने सच में सांस लेना बंद किया, ऐसा पूछते हुए वो जज के घर में प्रवेश करती है, फिर जज उसे अपने घर पर बिठाते हैं और बताते हैं कि वो रिटायर्ड हैं और ये फोन टैपिंग करते हैं। लड़की कहती है कि ये तो गैरकानूनी है। जज कहते हैं- हां वो तो है। फिर वो उस लड़की को रिकार्डिंग सुनाते हैं, सनद रहे ये उस वकालत कर रहे लड़के और लड़की की रिकार्डिंग है जिनके बारे में ऊपर बताया गया है।

             जज टेप सुनाने के बाद कहते हैं - वो देखो सामने ये वही लड़का है जो अभी बात कर रहा था, लेकिन अब ये और ज्यादा दिन बात उस लड़की से बात नहीं कर पाएगा, तुम जाकर कह दो कि उस लड़की को वो हमेशा के लिए छोड़ दे।
वो लड़की कहती है - पर अभी तो मैंने इन्हें सुना, ये दोनों कितने प्यार से बात कर रहे थे, शाम को कहीं घूमने जाने की तैयारी भी कर रहे हैं।
जज- ये लड़का अभी जिस लड़की से बात कर रहा है वो लड़की उसके लायक नहीं है वो एक न एक दिन इस लड़के को धोखा देगी, किसी और के साथ चली जाएगी और फिर इस लड़के को बहुत तकलीफ होगी।
लड़की- आप किसी के लिए इतना बुरा क्यों कहते हैं? क्यों आप ये सब कर रहे हैं?
फिर जज कहते हैं - मैं महीने भर से इनकी बातें सुन रहा हूं।
तुम आज उस लड़के को इत्तला करो या न करो, मैं उनकी फोन टैपिंग करूं या ना करूं ,ये तय है कि आज नहीं तो कल उनकी जिंदगी नर्क बन ही जाएगी। अब तुम ही बताओ हम इसमें क्या कर सकते हैं, कुछ भी नहीं।हम कुछ नहीं कर सकते।

                  आखिरकार वही होता है लड़का लड़की को एक दिन फोन पर फोन लगाता है, लड़की फोन नहीं उठाती। लड़का तुरंत उस लड़की के घर चला जाता है, चुपके से खिड़की के सहारे चढ़ के लड़की के कमरे तक पहुंचता है, वहां लड़की किसी और लड़के के साथ समय बिता रही होती है। लड़का यह देखकर कांप उठता है, वो रोते हुए वहां से चुपचाप वापस चला आता है।

इस फिल्म की कहानी को एक उदाहरण के तौर पर ही देखिएगा कि आखिर वो कौन सी चीज थी कि लड़की के फोन न उठाने पर उस लड़के को ऐसा संदेह हुआ कि वो उसके घर तक चला गया। जब उसे ये महसूस हो रहा है कि उसका लड़की के प्रति विश्वास इतना मजबूत नहीं है फिर वो उस लड़की से दूर क्यों नहीं हुआ। उसे ये लग रहा है कि आगे खाई है फिर भी वो उस रास्ते चल निकला। न जाने कितनों ने उसे कितने अलग-अलग तरीके से रोकने की कोशिश की होगी पर वो नहीं रूका, वो नहीं समझ पाया। बस चलता गया, बहता गया।

शायद यही आज के जमाने का प्रेम रोग है और शायद यही मेरे उस दोस्त की समस्या भी है।

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