Tuesday, 15 September 2020

टेस्टिंग किट के संबंध में डाॅक्टर मित्र की जुबानी -

सरकार के पास इतनी मात्रा में तो किट है ही प्रतिदिन हर राज्य जिसकी अपनी जितनी जनसंख्या है, उसका एक चौथाई टेस्टिंग कर सकता है, इस हिसाब से रोज करोड़ों टेस्ट पूरे देश में हो सकते हैं। लेकिन एक एक किट के पीछे सरकारी पेंच और उस पर भी जो ऊपरी बंदरबांट है वो तो बस पूछो मत‌। गिध्द की तरह नोचने बैठने हैं बस। किट भले ही पड़े पड़े खराब हो जाए लेकिन उपयोग सरकारी तरीके से ही होगा और सरकारी तरीका कितना तेज होता है, हम सब देख ही रहे हैं। अभी पूरे भारत में अधिकांशतः कोरोना टेस्टिंग सरकारी हाथों में ही है, तब जाकर टेस्टिंग की संख्या इतनी है, तो सोचिए अगर सचमुच लोगों का स्वास्थ्य इनकी प्राथमिकता होती तो रोज करोड़ों की संख्या में आराम से टेस्टिंग हो जाते। लेकिन बस वही चीज है, नियत की कमी है। अभी भी करोड़ों टेस्टिंग हो जाएगा, लेकिन सरकार चाहती ही नहीं कि ऐसा हो, सिस्टम जो ऐसा बना हुआ है। इसलिए आप देखिएगा अगर साल दो साल बाद जब विश्व में कोरोना की वैक्सीन आ भी जाएगी, तब भी हम भारतीयों तक पहुंचने में बहुत देर लगेगी। जब पूरा विश्व कोरोना मुक्त होकर अपनी अर्थव्यवस्था को आगे ले जा रहा होगा, हमारे यहाँ लोग वैक्सीन लगवाने के जुगाड़ खोज रहे होंगे। सरकार के हाथ में पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन तो होगी, लेकिन लोगों को उसके लिए भी लाइन लगना पड़ेगा, अतिरिक्त पैसे चुकाने होंगे, प्रताड़ना झेलनी होगी, सब कुछ वैसा ही होगा जैसा अभी टेस्टिंग को लेकर हो रहा है।

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