Thursday, 10 September 2020

कोरोना पाॅजिटिव मित्र की जुबानी - 3

आज तेरह दिन हो चुके, कोरोना वाकई मजेदार बीमारी है। मजेदार इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि ये कब जाएगा और कब फिर लौट कर आएगा कह नहीं सकते। शरीर को बस अपने हिसाब से नचा रहा है, और इस नाच गान के एवज में पता नहीं क्या-क्या तोड़-फोड़ कर रहा होगा। गरम पानी का जैसा मैंने कहा था यह असल में शरीर को राहत दे रहा है, इसका अर्थ यह नहीं कि ये कोई दवाई या कोरोना भगाने का इलाज है, बस यह है कि सामान्य पानी पीने से बेहतर इंसान गरम‌ पानी पी ले।

शारीरिक लक्षणों की बात की जाए तो कुछ अलग चीजें हाथ लगी है, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कोरोना की वजह से जो मुंह का स्वाद जा रहा है इसमें सामान्य बुखार की तरह उतना अधिक मुंह का स्वाद नहीं गया है, सामान्य बुखार तो शरीर को पूरा कमजोर कर देता है, कुछ भी नहीं खिलाता है, लेकिन इसमें ऐसा है कि अगर आपने मजबूती से मन बना के खाना शुरू किया तो आप जी भर के खाना खा सकते हैं। एक बड़ा फर्क और बताता हूं फल बहुत अधिक स्वादिष्ट लग रहा है जो कि सामान्य बुखार में सबसे अप्रिय लगता है खिलाता ही नहीं है। मुझे नहीं पता कितनों के साथ ऐसा हुआ है लेकिन आप यकीन मानें मैं कुछ लोगों का फिडबैक लेकर ही बता रहा, यानि ये तो अच्छा है न कि हम फल का सेवन अधिक से अधिक करें, सेहत अपने आप दुरूस्त होती रहेगी।

शारीरिक लक्षणों में दूसरा ये कि जब भी शरीर कोई गतिविधि कर रहा है, यानि पैदल चल रहा है या सीढ़ी चढ़ उतर रहा है तो ऐसा लगता है मानो बीस तीस किलो का वजन पैरों में और कंधों में किसी ने लाद दिया हो, अलग ही किस्म की कमजोरी है। और ये कमजोरी इतनी अलग है कि आपको महसूस ही नहीं होने देगी कि आपको कोरोना या कोई बीमारी है, न शरीर में तपिश न कोई तापमान में खास बदलाव। कोरोना आपको रहेगा लेकिन इतने इसके लक्षण इतने सूक्ष्म हैं कि पकड़ना बड़ा मुश्किल है।

शारीरिक लक्षणों में तीसरा यह कि नींद खूब आ रही है, इतनी लंबी नींद आप लेंगे और उठने के बाद भी इतनी थकावट मानो आप पिछले दिन पत्थर तोड़कर आए हों। थकान भी रूक-रूक के महसूस होती है। आप लेटे हुए हैं तो लेटे ही हुए हैं, उठने की ताकत ही पैदा नहीं हो रही है। आप बैठे हैं तो सिर्फ बैठे हैं, उठ के खड़े होने का मन नहीं करेगा। उठ के खड़े हो गये तो लगेगा अरे मुझे तो कुछ भी नहीं हुआ, ऐसा धोखा दे रहा है कोरोना। आपको महसूस ही नहीं होने दे रहा कि वो आपके भीतर छुपा हुआ है। और जैसे ही आप पैदल चलने लगेंगे आपको लगेगा इतना भारी शरीर ये पैर कहाँ लेकर जाएगा, ध्यान रहे ये लक्षण बेहद ही सूक्ष्म हैं, सामान्य नहीं हैं, इसलिए बड़े आराम से अवलोकन करे इंसान, तभी पकड़ में आ रहा है।

शारीरिक लक्षणों में एक चीज और ये कि आँखे हमेशा मुरझाई सी दिखती है, चेहरे में ताजगी ही नहीं है, भले आप कितना भी आराम‌ कर लें या फिर नियमित रूप से भोजन इत्यादि करें, शरीर में फुर्ती महसूस नहीं होती है, इसलिए चेहरा बीमार सा लगता है।

मन मस्तिष्क की बात करें तो जैसे जीभ के स्वाद में परिवर्तन महसूस हो रहा है, ठीक कुछ ऐसा तंत्रिका तंत्र के साथ भी है, ऐसा लगता है दिमाग भी थोड़ा बहुत सुन्न हो जाता है, हमें पता ही नहीं चलने दे रहा है, शारीरिक लक्षणों में ही उलझा रहा है, जबकि शरीर मन से ही तो जुड़ा हुआ है, इच्छाशक्ति से ही जुड़ा हुआ है, इच्छाशक्ति अगर सुन्न न होने दिया जाए फिर तो इस कोरोना को शरीर को झेल ही लेना है। 

सुझाव के तौर पर यह कि जैसे गरम‌ पानी ले रहे, वैसे ही फल का रोजाना सेवन किया जाए, क्योंकि इन दो चीजों से शरीर को फायदा तो होना ही है, चाहे कोरोना की मात्रा कम ज्यादा जो भी हो, लेकिन फल को शरीर अच्छे से स्वीकार कर रहा है, इसलिए एक कोरोना पाॅजिटिव व्यक्ति के लिए तो फल लेना निहायत ही जरूरी है।

नोट - इसे आखिरी सत्य मानकर न चलें, यह चंद लोगों के अनुभव मात्र हैं, आपको अलग अनुभव भी हो सकते हैं। निवेदन है कि अपने और अपने आस पास के लोग जो कोरोना पाॅजिटिव हैं उनकी पूछ परख करते रहें और उनमें हो रहे शारीरिक मानसिक बदलाव को नोटिस करें।

धन्यवाद।

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