अपनी बात कहूं तो लक्षण बहुत ही सूक्ष्म हैं, यानि मौसमी सर्दी बुखार और कोरोना के कारण हो रहे सर्दी बुखार में फर्क वही कर सकता है तो ध्यान से देखना शुरू करे। एक चीज इसमें यह भी है कि कोई भी काढ़ा एंटीबायोटिक कुछ भी इसमें काम नहीं कर रहा है, कुछ भी नहीं, ये वायरस इतना ताकतवर है कि सबको काट दे रहा है, सब लेकर देख चुका हूं इसलिए भरोसे से कह रहा हूं, कुछ फर्क नहीं पड़ना है इन सब से, इस बीमारी से शरीर अपनी इच्छाशक्ति से लड़ गया वही सहारा है। आज लक्षण आते हुए तीसरा दिन है, टेस्टिंग जानबूझकर नहीं करा रहा हूं क्योंकि मैं स्पष्ट हूं कि ये सामान्य सर्दी बुखार नहीं है, कोरोना ही है, इसलिए दो तीन बार और संक्रमित होने से या कुछ और लोगों को संक्रमण देने से बेहतर घर पर ही रहा जाए। मेरे एक नानाजी निपट गये, कोई भी लक्षण नहीं, लेकिन टेस्ट हुआ तो पता चला कोरोना पाॅजिटिव थे। एक चीज इसमें यह भी समझ नहीं आती कि लोग पाॅजिटिव होने के बाद लक्षण नहीं आने पर खुश क्यों हो रहे हैं, या लक्षण आ भी रहा तो उन सूक्ष्म लक्षणों को गोलियों, काढ़े आदि से दबाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं। ये अजीब किस्म की बीमारी है, ऐसा नहीं है कि ये है ही नहीं या सीधे जान लेकर मानेगा, लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ अंदर बदल तो नहीं रहा, एक कंफ्यूजन सा है, मतलब कुछ भी स्पष्ट कह नहीं सकता उस वायरस के बारे में। शरीर कुछ अलग ही तरीके से रियेक्ट कर रहा है, थोड़ा सा जीभ का स्वाद भी गया है शायद यह सब के साथ न भी होता हो, कुछ अलग महसूस हो रहा है, अलग तरह की कमजोरी है, सामान्य बुखार से बिल्कुल अलग है, जिसे स्पष्ट शब्दों में बता पाना संभव ही नहीं है।
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