प्रतिनिधत्वकर्ताओं से स्पष्ट शब्दों में बस इतना ही कहना है कि हमारा शरीरापक्ष और मनसापक्ष दोनों आज आपसे विराम चाहता है। हम पूरे होशो-हवाश में कहते हैं कि हमारी इंद्रियाँ, ग्रंथियाँ, हमारा पूरा ये शरीर, इस शरीर के सारे अंग और साथ ही हमारा मस्तिष्क आपके और आपके लोक-व्यवहार के खिलाफ खड़ा है। अब चूंकि हम आपको सिरे से नकार रहे हैं इसलिए आप मेरे देशवासी, मेरे दर्शक, मेरे फैन्स, मेरे सवा सौ करोड़ लोग ऐसा कहकर हमारा इस्तेमाल करना बंद कीजिए। हम आपसे आपका यह अधिकार वापस लेते हैं।
इस मुल्क के वाशिदों से इतनी सी इल्तजा है कि थोड़े तो अपने और अपने देश समाज के लिए कुछ संवेदनशील हो जाइए। आनलाइन प्रतिक्रिया देकर लोकतंत्र की रक्षा करने वालों से आग्रह है कि अगर आप सचमुच कुछ ईमानदार जैसे हैं तो अपने आकाओं पर कटाक्ष करने, जोक बनाने या इनकी खामिया गिनाने के लिए भी इनका नाम मत लीजिए, न ही इनकी आवाज सुनाकर, इनकी तस्वीरें लगाकर इन्हें पेश करने की कोशिश कीजिए, इन्हें प्रचारित करना बंद कर दीजिए। अब जब आपको इनकी हरकतें इतनी ही नापसंद हैं तो इन्हें संज्ञा रूप में नकारिए, व्यक्तिगत न होकर संपूर्णता में नकारिए। वीडियो, फोटो, नाम, न्यूज, लिंक आदि का सहारा लेना बंद कर दीजिए। बता दीजिए कि अब हजम नहीं होता है, कहिए कि आप इन्हें पूरी तरह अस्वीकार करते हैं, कहिए कि इस मुल्क में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है जैसा चलना चाहिए, दिखा दीजिए कि आपको इनकी बातों में थोड़ी भी दिलचस्पी नहीं है। अगर आपको सच में इस देश की या इस देश के लोगों की थोड़ी भी चिंता है तो दिखा दीजिए इस महामारी रूपी आपातकाल में इन सेलिब्रिटियों, नेताओं, अभिनेताओं/अभिनेत्रियों, मीडियाकर्मियों आदि को कि आप इन्हें सुनना, देखना, और यहाँ तक इनके साथ क्या-क्या हुआ यह जानना तक नहीं चाहते। इनके समर्थन विरोध में ट्विट करना, लिखना बंद कर दीजिए, इनके प्रचार का टूल बनना बंद कीजिए, अगर सचमुच नकारना है तो अच्छे से नकारिए। साफ-साफ बता दीजिए कि वे आपको नापसंद हैं, उनके तौर-तरीके हिंसक, असंवेदनशील, अमानवीय एवं अलोकतांत्रिक हैं, उनकी अभिव्यक्ति से, विचारों से आपको पीड़ा होती है, आप शर्मसार हो जाते हैं, इसलिए आप इनका खंडन करते हैं। दर्शाइए कि आप एक स्वस्थ लोकतंत्र के हिमायती हैं। अगर वास्तव में आप सोशल मीडिया और आनलाइन प्लेटफार्म का सदुपयोग करते हैं तो इसे सही दिशा में घुमाइए।
और मुद्दे ट्रेंड कराने से अगर देश का भला होता है तो इस प्रचलित अलोकतांत्रिक व्यवहार के खिलाफ कुछ ट्रेंड कराइए ताकि रोज-रोज के इस शोर शराबे से इस देश के आमजन को मुक्ति मिले।
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