Thursday, 15 December 2016

~ Three Colours ~

Three colours एक फिल्म है। वैसे एक नहीं तीन फिल्मों का समुच्चय है जिसे "Three colours trilogy" कहा गया।1993 में निर्मित ये फिल्में खास इसलिए है क्योंकि ये नीले, लाल और सफेद इन तीन रंगों पर ही बनी है।
फिल्मों का नाम भी यही है-
Three colours : Blue
Three colours : Red
Three colours : White

ये तीन रंग ही क्यों?
वो इसलिए कि ये तीन रंग या यूं कहें कि ये तीन बीज फ्रांसिसी क्रांति से निकले हैं। जहां नीला रंग स्वतंत्रता(Liberty) का प्रतीक है, लाल रंग बंधुत्व(Fraternity) का और सफेद रंग समानता(Equality) का प्रतीक है।
फ्रांसिसी क्रांति(French Revolution) के बारे में जानना सिर्फ उनके लिए जरूरी नहीं है जो बी.ए. कर रहे हैं या जो यूपीएससी, पीसीएस, बैंकिंग की तैयारी कर रहे हैं। ये उन सब के लिए है जो अपनी जिंदगी संवारना चाहते है, यहां जिंदगी संवारने के मायने सबके अपने अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन ऐसा महसूस होता है कि इस क्रांति से निकले भाव को जानना, इस फल के स्वाद को ग्रहण करना शायद सबके लिए जरूरी है।ठीक उसी तरह जैसे सबका अपना एक बंधा बंधाया अधिकार है कि भई मैं ये काम आजादी से कर सकता हूं, ये बात मैं लोगों के सामने रख सकता हूं, अपने मन मुताबिक कहीं आना-जाना कर सकता हूं, घूम सकता हूं, कमा सकता हूं, अपने हिसाब से कुछ खरीदी-बिक्री कर सकता हूं , शौक पूरे कर सकता हूं। साफ खान-पान, अच्छे शांत इलाके में घर, एक अच्छी नौकरी, तमाम ऐसे सपनों को एक सांचे में ढाल सकता हूं।
और न जाने ऐसी कितनी ख्वाहिशें जो सिर्फ और सिर्फ हमारी होती है। इन सबके लिए ये खुली हवा आखिर हमें कहां से मिली?
हां ये फ्रांसीसी क्रांति की देन है जिसने पुरानी हवा को साफ किया, नये हवा के लिए जगह बनायी, अधिकारों,मूल्यों को परिभाषित कर उनमें जान डाल दी, इसलिए फ्रांसीसी क्रांति बहुमूल्य है, कालजयी है।

आखिर फ्रांसिसी क्रांति इतनी खास क्यों है?
उसकी कुछ वजहें हैं एक ये कि ईसा मसीह के जन्म के बाद अब तक धरती में मानव-जाति ने जितने कदम उठाए हैं उनमें जो सबसे महत्व का काम हुआ तो वो फ्रांसिसी क्रांति थी..भले क्रांति अपूर्ण रह गई लेकिन चीज तो ऊंची रही। इसने मानवता को पुनीत किया, बेड़ियों से जकड़े लोगों को राहत दी, सभी अनजाने सामाजिक मूल्यों को मुक्ति दी, उमंगों को मधुर बनाया, लोगों को शांत किया, मनाया, प्रबुद्ध बनाया और धरती पर एक सभ्यता का अवतरण कर लहरें उठा दी। कुल मिलाकर चीज बड़ी शानदार रही।

दूसरी महत्व की चीज क्या है ये आपको समझने के लिए पूरी फिल्म देखनी पड़ेगी।
फिल्म में आपको ऐसा लगेगा कि डायरेक्टर ने मानो रंगों को जी लिया है। ऐसा गजब का Colour Rendition( रंगों की व्याख्या) कि कहीं कहीं लगता है कि अभिनयकर्ता को यहां कुछ बोलने की जरूरत ही नहीं है, ये रंग इतनी बातें कर रहे हैं कि शब्दों की कमी पूरी हो गई है।
जैसे कि फिल्म three colours : blue है। उसमें कोई व्यक्ति सड़क किनारे चलते हुए जा रहा है उसी वक्त एक नीले रंग की कार उसके पास से गुजर रही है, और तो और आसमान और वातावरण में एक नीले रंग का प्रकाश बिखरा हुआ है, आफिस में फाइल सामने रखा जा रहा वो भी नीला। फिल्म देखते हुए आप महसूस करेंगे कि लोगों के पहनावे में नीले रंग का कपड़ा चाहे वो उनका कालर हो या जैकेट वो बाकी रंगों से कुछ हटकर नोटिस हो जाता है। आधी रात में खिड़कियों से चमकती नीली रोशनी, जो चेहरे पर पड़ते ही एक नीलाभ प्रतिछाया के रूप में दिखाई देती है और इन सब परिदृश्यों के बीच पिरोया गया है इस नीले रंग के अर्थ को यानि 'स्वतंत्रता', एक अर्थ जो इस रंग के माध्यम से और अधिक गौरवान्वित हो जाता है, अपने मूल को पा लेता है।
              शेष दो फिल्में Red और White में भी ठीक ऐसा ही सिनेमा दिखाया गया है, जैसा Blue में है। एक सिनेमा जो हमें बांधे रखता है और जो कई बार हमारे  धैर्य की परीक्षा भी ले लेता है, जब कैमरे की आंख कुछ सेकेंड के लिए एक ही जगह रूक जाती है, जो शायद हमसे एक आग्रह कर रही होती है कि हम इस थोड़े से समय में दर्शित भाव प्रवणता को समझें, विचार करें।
तीनों फिल्मों में तीन अलग-अलग कहानियां हैं जिसके माध्यम से डायरेक्टर ने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के अर्थ को लोगों के सामने रखा है।



Three colours : blue



 Three colours : White


Three colours : Red
 

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