Tuesday, 13 December 2016

ऐसे दिन भी होंगे

ऐसे दिन भी होंगे,
जब तुम्हें मुस्कुराते चेहरे नहीं दिखाई देंगे,
छोटे बच्चों की अठखेलियां नहीं सुनाई देगी।
ट्रेन तुम्हारे सामने से गुजरता रहेगा,
पर आवाज कानों तक नहीं पहुंच पायेगी।

जब चाय की चुस्कियां भी काम नहीं आयेगी,
जब भोर का सूरज भी अंधकारमय लगेगा।
जब शांत हवा के झोंके भी महसूस नहीं होंगे,
तब तुम्हारी पूरी क्षमता टुकड़ों में बिखर जायेगी।

नहीं पता कहां रूकना है और कहां जाना है,
सारा मन/ह्रदय फिर से सुन्न पड़ जायेगा।
कुछ समय में ये ठीक हो भी जायेगा,
लेकिन तुम्हारे अंतर में कहीं बचा रहेगा।
जो कभी भी जाग सकता है,
तुम्हें फिर से बिखेरने के लिए।

प्यारे! तुम कीमती हो, यही तुम्हारा सब कुछ है,
इसीलिए तो कहता हूं, तुम्हें पीछे नहीं हटना है।
ये तकलीफें आयेंगी और चली जायेंगी,
पर ऐसे दिनों का तुम्हें डटकर सामना करना है।

ऐसे दिनों के लिए तो तुम्हारे पास कल है,
ये कल जो सारे घाव भरने को तैयार खड़ा है।
सारे अनसुलझे सवालों के जवाब लिए,
उम्मीदों और सपनों की लौ जलाये खड़ा है।

तुम बहुमूल्य हो, इसलिए तुमसे मेरा वादा है,
कल फिर एक नई सुबह होगी,
और तुम अपनी जंग जीतने लगोगे।




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