Saturday, 31 December 2016

~• Happy New Year 2017 •~

कुछ एक लोगों ने हमें ये तीन शब्द कह दिए..हमने बदले में " घर में सब कैसे हैं?" ऐसा भेज दिया है।
सामने वाले को लग रहा है कि हमने ये भूलवश भेजा होगा, हमें भी यही लग रहा है कि उन्होंने भूलवश हमें हैप्पी न्यू ईयर भेज दिया।

खैर अतुल को इन सब से क्या वो तो शराब पहले से खरीद चुका है। अतुल अभी कालेज में है, साउंड सिस्टम तो कापी किताब खरीदने से पहले ही उसने खरीद लिया था, इस बार अतुल की लड़ाई नवीन से है। आखिर किस चीज की लड़ाई, दरअसल ये लड़ाई है शराब पीने की। दोनों ने एक दूसरे को चैलेंज किया है कि कौन ज्यादा शराब पियेगा। रात के 11 बज चुके हैं, कांच के ग्लास और शराब की बोतलें सज चुकी है। दोनों पीना शुरू करते हैं, इतना पी लेते हैं कि चिल्लाने लगते हैं, अतुल प्रेम में मिली किसी वर्षों पुरानी विफलता को याद कर एक लड़की के नाम खूब फब्तियां कसने लग जाता है। वहीं नवीन अपनी मां को याद करते हुए भावुक हो जाता है। उनके आसपास बैठे उचक्कु दोस्त उनको या तो सांत्वना दे रहे हैं या उत्साहवर्धन कर रहे हैं। एक लड़का जो उठकर फोन पर बात करने लगता है उसने आज एक ही दिन में अपनी प्रेयसी से जीवन भर के वादे कर दिए हैं। लड़की को भी पता है कि लड़के की बातें खोखली है लेकिन फिर भी वो इस झूठे दिलासे से खुश हो लेती है ताकि बात न बिगड़े। इसी बीच अतुल होश खो बैठता है और शराब की एक बोतल वहीं पटक देता है, कांच के छोटे-छोटे टुकड़े फर्श पर बिखर चुके हैं। तभी उसी गोल घेरे में बैठा एक लड़का चटाई में उल्टी कर देता है। जिन्हें होश है, उनमें से एक उल्टी और बिखरे कांच की सफाई कर रहा है। दूसरा नशे में चूर लोगों को कांधे पर पकड़कर बिस्तर में सुलाने ले जा रहा है। इन सब के बीच किसी ने इस बात की खबर नहीं ली कि शराब पीने का ये चैलेंज किसने जीता।

                 खैर जिसने भी जीता हो रामसिंग को इससे क्या, वो आज जल्दी से घर जाना चाहता है। उसका एक बच्चा और उसकी बीवी दोनों उसके इंतजार में है। आज उसका छ: साल का बच्चा जागा हुआ है कि पापा कुछ लेकर आयेंगे इस एक उम्मीद से उसने भी खाना नहीं खाया। रामसिंग काम खत्म कर देशी शराब की दुकान पर जाता है एक बोतल देशी शराब की अपने झोले में डालकर जल्दी से घर की ओर निकलता है। रास्ते में उसने बच्चे के लिए चाकलेट ले लिया है। बारह किलोमीटर की दूरी को अब वो जल्दी से खत्म कर देना चाहता है, साइकल चलाते-चलाते जब थकान रामसिंग के सिर तक प्रवेश कर जाती है तो वो रास्ते में रूकता है और आधी शराब पी लेता है, फिर वापस घर की ओर जाने के लिए वो साइकल में बैठता है अचानक ही वो साइकल से उतरता है और बची शराब भी पी लेता है। घर पहुंचकर देखता है कि बेटे को नींद आने लगी है, रामसिंग बेटे को उठाता है और चाकलेट उसके हाथ में देता है। बेटा खुश हो जाता है, पर जैसे ही वो चाकलेट दांत से फाड़ने लगता है, जोर से चिल्लाकर कहता है कि बदबू मार रहा है। रामसिंग को इस बात का पता ही न चला कि शराब पीते वक्त कब ऊपर जेब में रखे इस चाकलेट की झिल्ली पर कुछ बूंदे गिर गई होगी। मां तुरंत अपने बच्चे के पास जाती है और हाथ से फाड़कर बेटे को चाकलेट खिलाती है।

              लेकिन शाहिन की उत्सुकता आज चरम पर है। उस छोटी बच्ची को तो आज बारह बजने का इंतजार है। स्कूल में उसकी सहेली जो उसके ठीक पड़ोस में रहती है, उसने शाहिन को चाइनिज बलून(लैम्प) दिखाया और कहा कि 31 की रात को इसे हम आसमान में छोड़ेंगे। तुम देखने छत पर आना। शाहिन ने भी अब अपने पापा से जिद की और पापा ने शाहिन के लिए चाइनिज लैम्प ला दिया है। उसने अपनी सहेली को नहीं बताया है कि उसने भी मंगवा लिया है। शाहिन चाहती हैं कि वो अपनी सहेली को आश्चर्यचकित कर देंगी। रात के नौ बज चुके हैं,  शाहिन के पापा ने सबको कहा कि आज बाहर खाना खाने जायेंगे। शाहिन बार-बार पापा से पूछ रही है कि जल्दी आ जायेंगे न। रेस्तराँ में खाना खाते ग्यारह बज चुके हैं। शाहिन ने ढंग से कुछ खाया भी नहीं है। वो बार-बार इतने देर से सबको टाइम पूछ रही है। रेस्तरां से घर पहुंचने के बीच रास्ते में कहीं पटाखे फूटने लगते हैं, शाहिन को लगता है कि बारह बज गये होंगे, वो फूट-फूट कर रोने लगती है। शाहिन की अम्मी उसके आंसू पोछती है और टाइम दिखाते हुए बार-बार कहती है कि बेटा अभी 11:45 हुआ है देखो, देखो इधर। बड़ी मुश्किल से शाहिन शांत होती है और अम्मी को गले से लगा लेती है।

                    इधर सूरज और बंटी दोनों अलग ही दुनिया में मस्त हैं। दोनों अभी 7th क्लास में है। एक क्लास कप्तान है तो समझो दूसरा छोटा कप्तान। दोनों जो अब तक स्कूल के ब्लैकबोर्ड के एक किनारे में उपस्थिति और अनुपस्थिति संख्या लिखा करते थे आज वे चूने का घोल तैयार कर रहे हैं। ये दोनों भी बारह बजने के इंतजार में है, आज तो दोनों ने कसम ली है कि शुभकामनाओं और मंगलकामनाओं से कालोनी के इस रोड की पुताई कर देंगे। दोनों ने एक कागज में अपना लिखा नोट कर लिया है साथ ही ब्रश का भी बंदोबस्त कर लिया है।

                सुजीत आज पेट्रोलिंग पर है। नये साल में उपद्रवी तत्वों पर लगाम लगाई जा सके इसलिए प्रशासन ने अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती कर रखी है उसमें सुजीत भी है सुजीत की ये पहली नाइट ड्यूटी है। अभी-अभी तो वो सब-इन्स्पेक्टर बना है। उसने तो अभी तक किसी पर हाथ उठाना भी नहीं सीखा है। वो जिस काम में है वहां तो टेढ़ापन जरूरी है। लेकिन सुजीत अभी तक इस नये माहौल में नहीं ढल पाया है। नये साल की मध्यरात्रि में कार से गुजरते लड़के-लड़कियों को देखता है और अपने कालेज के दिन याद करने लग जाता है। एक समय वो जिन पुलिसजनों को देखते हुए अपशब्द बोला करता था, आज वो परीक्षा पास कर उसी विभाग में आया है तो कहता है कि मुझे लगता है मैंने दुनिया का सबसे बड़ा काम हाथ में लिया है।

              दस बज चुके हैं और जितेंद्र आफिस के लिए निकल रहा है हां आज उसकी रात की शिफ्ट है। आज आफिस में ज्यादा काम नहीं है तो बोरियत मिटाने वो सोशल मीडिया पर आ जाता है। केक से सनी हुई नये साल की तस्वीरें देखता है, प्रतिक्रिया देता है और बाहर आ जाता है। जब वो मैसेज और नये साल की ये तस्वीरें देख कर ऊब जाता है तो अपने कुछ पुराने दोस्तों को फोन लगाता है। इत्तफाक से कोई फोन नहीं उठाता। कुछ देर बाद उसका फोन बजता है, चहकती हुई चिड़िया की तरह वो फोन की ओर लपकता है। उठाते ही आवाज आती है- सर जी नये साल की बधाई। जितेंद्र कहता है- यार पहचाना नहीं। कौन बोल रहे हैं?
उधर से आवाज आती है- अरे! क्या सर, परसों ही आपका नंबर लिया था, भूल गये आप, आपके पड़ोस में अभी-अभी शिफ्ट हुआ हूं।

                    रात के 8 बज चुके हैं, पुड़ी-सब्जी और खीर तैयार हो चुकी है। सन्नी हर साल की  तरह गुरूद्वारे की परंपरा का निर्वहन करते हुए अपने दोस्तों के साथ इस बार भी तय समय पर रेल्वे स्टेशन के सामने पहुंच चुके हैं। स्टेशन में ही गुजर-बसर करने वालों को उन्होंने एकत्र करना शुरू किया और लाइन से बिठा दिया है। इस बार उनके इस ग्रुप में दो नये लोग शामिल हुए हैं। सन्नी ने अपने साथियों के साथ खाना परोसना शुरू किया ही था कि उन दो नये लड़कों में से एक ने अपने फोन से कुछ एक तस्वीरें ली, सन्नी उस वक्त खीर बांट रहे थे, खीर की बाल्टी उन्होंने वहीं छोड़ी और वे तेजी से चलते हुए उस फोटो खींचने वाले लड़के के पास गए और उसे जोर का एक थप्पड़ जड़ दिया।

                     पर आज वसुंधरा सबसे ज्यादा खुश नजर आ रही है। वो दीवाली की छुट्टी के इतने दिनों बाद आज अपने घर जा रही है। ये तो सामान्य बात हुई, असल में खुशी की वजह कुछ और है। चंडीगढ़ से काजा तक जाने के लिए वो जिस नाइट बस में बैठी है। उसे चलाने वाले कोई और नहीं उसके पिता हैं। उन्होंने वसुंधरा के लिए सामने वाली सीट बुक कर दी है। एक तारीख की सुबह 6 बजे दोनों बाप-बेटी साथ घर पहुंचेंगे और वसुंधरा की मां कुल्हड़ की चाय के साथ दोनों का इंतजार कर रही होगी।

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