To all the people who came up with doubts before purchasing any bike -
1. बजाज की बाइक्स कूड़ा हैं, रद्दी हैं, कबाड़ हैं, सब। सब की सब। लेकिन खूब बिकती हैं क्योंकि भारतीयों को भारतीय कंपनी का कूड़ा पसंद है। और हाँ पल्सर महारद्दी है, इसलिए देखना सबसे ज्यादा बिकती है।
2. राॅयल इनफील्ड इस कूड़ेपने में दूसरे नंबर पर है, भारतीय कंपनी जो है। एक हिमालयन थोड़ी कम खराब है बाकी सब रद्दी। भंगार के भाव वाला मेटल क्वालिटी। लेकिन इसे भी भारतीय खूब पसंद करते हैं क्योंकि भंगार पसंद है। फूहड़ आवाज के दीवाने हैं।
3. टीवीएस, इसको चीटर कहूंगा तो लोगों को बहुत बुरा लग जाएगा लेकिन हकीकत यही है। इसने सुजुकी कंपनी को तो चीट किया ही, अपने कस्टमर को भी बढ़िया चीट करता है, लेकिन जितनी भी भारतीय कंपनियाँ हैं, उनमें ये अभी के समय में सबसे बेहतर काम कर रही है। ध्यान रहे बेहतर शब्द मैं सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए कह रहा हूं जिसमें खरीदी बिक्री, मेटल पार्ट गाड़ी की लाइफ सब कुछ आ जाता है।
4. हीरो, गाँव घर में रहते हो तो ले लो भाई। सस्ता और टिकाऊ है। इस एक पक्ष को देखें तो बाकी सारी भारतीय मोटरसाइकिल कंपनियों से बेहतर है। आम लोगों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए सामान देता है। होण्डा को इसने वैसा चीट नहीं किया जैसा टीवीएस ने सुजुकी के साथ किया इसलिए यह टीवीएस की तरह आगे नहीं बढ़ पाया। दोनों हीरो और होण्डा भारत में औंधे मुंह गिरे। एक हिसाब से देखें तो ये चीज भी अच्छी है कि टीवीएस की तरह सामंती चरित्र इस कंपनी का कभी नहीं रहा।
ये भी सोचने वाली बात है कि विदेशी कंपनियाँ भारतीय कंपनियों के साथ करार तो करती हैं, लेकिन सामंती मानसिकता को वे भी कब तक झेलेंगे, इसलिए एक समय के बाद अनुबंध खत्म कर लेते हैं। वो कहते हैं न नकल के लिए भी अकल चाहिए फिर वही होता है। गाड़ी की पूजा करके पूरी दुनिया में दुर्घटना में नंबर वन चलने वाले देश में विज्ञान अभी भी दूर की कौड़ी है।
ऊपर जिन भारतीय कंपनियों का जिक्र है, इनकी गाड़ियाँ भारत में खूब बिकती है, बहुत खराब भी होती है, रिपेयरिंग का खूब खर्चा पड़ता है, अपने कस्टमर को ये लोग खूब मूर्ख बनाते हैं। ध्यान रहे, गाड़ी खरीदने का खर्चा छोटा है, रिपेयरिंग का खर्चा बड़ा है। लेकिन कूड़ा पसंद भारतीयों को क्वालिटी कहाँ चाहिए होती है। हर जगह सस्ते के चक्कर में कबाड़ उठा लाते हैं।
Note : Thoughts expressed in this post is totally subjective, so if it is affecting someone's sentiment, it's your problem, i am not responsible for your dilemma.
Peace Out.
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