Wednesday, 25 August 2021

धर्मशाला गुरूद्वारों की तर्ज पर मुफ्त क्यों नहीं हो सकता -

धर्मशालों में मुफ्त रहने की व्यवस्था करने की बात मैंने एक बार छेड़ी थी। फिर समझ आया कि यह उतना भी आसान नहीं है। 

पहले गुरूद्वारे के बारे में बात कर लेते हैं, गुरूद्वारे में रहना खाना मुफ्त होता है, आप मुफ्त में रहिए, लंगर खाइए। स्वेच्छा से लंगर में आप बर्तन धोने या खाना बाँटने की सेवा दे सकते हैं, या फिर आगंतुकों का चप्पल रखने की सेवा भी दे सकते हैं, या फिर गुरूद्वारे में झाडू़ पोछा साफ सफाई वाला काम कर सेवा कर सकते हैं, आप मुफ्त में रहने खाने के बदले कुछ नहीं भी करते हैं तो भी कोई समस्या नहीं। ऐसा करने वाले लोग भरे पड़े हैं। कई बार आपका चप्पल उठाने वाला या आपकी थाली माँजने वाला अरबपति भी हो सकता है। 

अब धर्मशाला के बारे में बात करते हैं, अमूमन धर्मशाला अलग-अलग जाति के लोगों ने जिनमें व्यापारी वर्ग बहुत आगे रहा उन्होंने ही बनाया, जो मंदिरों या तीर्थस्थानों से संबध्द धर्मशाले रहे उन्हें वहीं के पुरोहित संचालित करते रहे। हरिद्वार ऋषिकेश जैसी जगहों में तो लगभग हर जाति का अपना धर्मशाला है। धर्मशालों में ऐसा कुछ भी सिस्टम नहीं होता जिससे लोग एक जगह जुड़ते हों, लंगर जैसी व्यवस्था नहीं होती तो साथ खाने, साथ बर्तन माँजने जैसी व्यवस्था भी संभव नहीं है।

रहने की बात पर अब आते हैं, धर्मशालों में बढ़िया कमरे बने होते हैं, कहीं कहीं होटल के बराबर सुविधा होती है जबकि गुरूद्वारों में अमूमन ऐसी सुविधा नहीं होती है, आप कहीं भी पसर जाइए, बेडिंग का सामान जरूर मिल जाएगा। कमरे और होटल जैसी सुविधा कई बार मिलना मुश्किल होता है। लेकिन मजे की बात देखिए, गुरुद्वारों में चूंकि सेवा का भाव सर्वोपरि होता है तो साफ सफाई खूब होती है जबकि धर्मशालों में सेवा का भाव नदारद रहता है इसलिए आप पाएंगे कि वहाँ ज्यादा गंदगी देखने को मिलती है, जिम्मेदारी का भाव रहता ही नहीं है कि साफ सफाई रखनी चाहिए। शराब और नाॅनवेज को लेकर तो सख्ती रहती है, लेकिन ये सख्ती गूड़ाखू, तंबाखू, गुटके वालों पर कभी लागू नहीं होगी, जगह-जगह दीवार भगवा किए जाते हैं। 

धर्मशाला भी हिन्दुओं के लिए मुफ्त हो सकता है, अभी के लिए सिर्फ उन्हीं धर्मशालों की बात करते हैं जो मंदिरों से संबध्द हैं। हमने देखा कि अधिकांशत: हिन्दू खूब दान करते हैं, चाहे कारण आस्था का हो या कुछ और लेकिन दान के मामले में हिन्दू सिखों से भी एक कदम आगे हैं। इतना बड़ा देश, हिन्दुओं का इतना बड़ा प्रतिशत, मंदिरों में करोड़ों लोग जाते हैं, इतने लोगों का दान, इतना बड़ा सहयोग, आराम से उनके लिए मुफ्त निवास और मुफ्त भोजन की व्यवस्था की जा सकती है। लोग ऐसे में दिल खोलकर दान भी देते हैं, वैसे भी देते ही हैं, सुविधा मिलेगी तो देंगे ही देंगे। वैष्णो देवी ट्रस्ट इस मामले में सही काम कर रहा है, उसमें भी एक मजे की बात ये कि वैष्णो देवी ट्रस्ट में सिख समुदाय का बड़ा योगदान है।

तस्वीर : धर्मशाले के इस कमरे का एक दिन का किराया 600 रूपए था, पंडिज्जी ने मुझ सोलो ट्रेवलर को 400 रूपए में दे दिया। कमरे में टीवी भी था, साफ सफाई भी बढ़िया, खिड़की खोलते ही बाहर गंगा नदी की कल-कल करती जलधारा। इस कमरे में 2 डबल बेड हैं, यानि बहुत ही आराम से 4 लोग रूक सकते हैं, बिल्कुल किसी होटल की तरह एक बड़ा सा बाथरूम भी था।



No comments:

Post a Comment