उदयपुर में मेरा तीसरा दिन था। जिस हॉस्टल में रूका था, वहाँ एक कर्नाटक का भाई मिला, वो भी मेरी तरह भारत के अलग-अलग कोनों में अकेले घूम रहा था, घूम क्या रहा था, लोकेशन बदल बदल के काम कर रहा था, अधिकतर ये वर्क फ्राॅम डेस्टिनेशन वाले ही मुझे मिले। सप्ताह के पाँच दिन लैपटॉप के सामने और बाकी दो दिन इधर उधर घूमना और इसी में लोकेशन चेंज करने का काम भी करते हैं। मेरा घूमना अलग तरह का था, मैंने जिन्दगी से अपने हिस्से के 135 दिन चुराए थे।। खैर...।
शाम ढलने के बाद कर्नाटक के उस दोस्त के साथ हम गणगौर घाट गये। गणगौर घाट में जा ही रहे थे कि रास्ते में वहीं कुछ लड़के घाट पर बैठे थे वे ब्राउन मुण्डे गाना गा रहे थे, मैंने तो ध्यान नहीं दिया था। कर्नाटक वाले दोस्त ने ही कहा - अखिलेश भाई तुमने नोटिस किया कुछ। मैंने कहा - नहीं। उसने फिर बताया कि वे लड़के उसके रंग को देखकर जान बूझकर ये गाना गाकर बुली कर रहे थे, मैं भी सोचने लगा कि ब्राउन मुंडे गाना गाने से किसी के साथ रंग के आधार पर विभेद कैसे हो। फिर दोस्त ने जवाब में कहा- यार मैं बहुत फेस किया हूं, तुम फेस नहीं किए हो इसलिए नहीं समझ पाओगे कि कौन से शब्दों का इस्तेमाल कर बुली किया जाता है।
वापसी में गणगौर घाट से हम जाने लगे, लड़कों का झुण्ड वहीं था, दोस्त ने कहा कि भाई दूसरे रास्ते से चलते हैं, अगर उस रास्ते गये फिर उन्होंने कुछ कह दिया, मेरा और दिमाग खराब होगा, क्या पता मारपीट झगड़ा भी कर लूं और अभी झगड़ा करने का मन नहीं है, चलो कहीं और सुकून से बैठा जाए। और फिर हम अम्बराई घाट चले गये।
#allindiasolowinterride2020
No comments:
Post a Comment