- पहले लोग मिलकर चर्चाएँ करते थे आज आनलाइन ग्रुप चैट होता है ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले लोग दुकानों में जाकर पहले बातचीत करते एक दूसरे का हाल पूछते, फिर खरीददारी करते, आज वे व्यस्त हैं अपने खोखलेपन में, अब वे क्लिक कर अपने पसंद की चीजें मंगाते हैं और थोड़ा सस्ता पाकर एक पूरे समाज से अलग-थलग हो जाते हैं ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले लोग अपने मनोरंजन के लिए मिल-जुलकर इकट्ठे होकर मेलों में जाते, जादू का शो देखते, सर्कस की कलाबाजियां देखते, आज सब अकेले यूट्यूब देखते हैं, ये तो सभ्यता की ऊंचाइयां हैं।
- पहले लोग अगर थोड़ी सी पढ़ाई कर ज्ञान अर्जित करते तो उसका उपयोग देश, परिवार, समाज की भलाई में लगा देते। आज खूब सारी पढ़ाई कर, डिग्री एवं उपाधियां लेकर भी ज्ञान की उपयोगिता शून्य है, ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले लोग वर्तमान अव्यवस्थाओं को ठीक करने के प्रयास हेतु पढ़ाई-लिखाई करने का फैसला लेते, आज किताबों के सहारे व्यक्तिगत बुलंदियां हासिल की जाती है। ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले लोग मिट्टी और पेड़-पौधों के संपर्क में रहते थे, उनका जीवन सरल हुआ करता था, आज कांच से घिरे चिकने मार्बल के घरों में रहते हैं। शरीर का मिट्टी से कोई संपर्क ही नहीं। ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले लोग महीनों तक पैदल यात्राएं करते थे और अपनों को समय भी देते थे, आज घंटे भर में हजार किलोमीटर की यात्रा कर लेते हैं फिर भी समय का अभाव है, ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले लोग अधिक से अधिक खुली हवा में रहते, घरों में भी हवा के आने-जाने के लिए खुली जगह होती। आज लोग सीलपैक कमरों में खुद को बंद कर खुश हो लेते हैं। ये तो सभ्यता की निशानी है।
- पहले लोगों में अपने मत को लेकर कोई मनमुटाव होता तो वे एक दूसरे का चेहरा न देखते, बातचीत खत्म कर देते, आज लोगों में मनमुटाव या खींचातानी होती है तो वे एक-दूसरे को आज जगह-जगह से ब्लाक करते हैं। क्योंकि देखना, मिलना, बातें करना, इन सब चीजों की संभावनाएँ ही मर चुकी हैं। ये तो सभ्यता की चोटी मानी गई है।
- पहले लोगों के पास गांव में बड़ा घर होता था, आंगन और चौपाल होता था, लोगों का हूजूम इकट्ठा होता था, आज लोग बंद माचिस के डिब्बे जैसे घरों में रहकर खुद को ज्यादा सभ्य मान लेते हैं। ये तो सभ्यता की ऊंचाइयां हैं।
- पहले लोग अकेलेपन से या अभावग्रस्त जीवन में रहकर भी कुछ नया आविष्कार कर लेते, आज तमाम सुविधाओं के बावजूद तनाव के शिकार हैं। ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले जब लोग कुछ नया सीखते, जानते तो वे प्राप्त मूल्यवान तत्व को लोगों में बांटकर अपने हिस्से का आत्मिक सुख पा लेते और फिर से किसी नयी खोज में लग जाते। आज पहले पैटेंट और कापीराइट किया जाता है ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले जब लोग अपने मनोरंजन के लिए कोई खेल खेलते तो वह खेल मिट्टी, पानी,पेड़-पौधों से जुड़ा हुआ रहता, वे इसी के इर्द-गिर्द बने रहते लेकिन आज खेलने के लिए पैसा चुकाया जाता है, आत्मा का सौदा होता है, ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले जब लोग कुछ हासिल करने की जद्दोजहद में खुद को लगाते तो वे अपने मूल को बचाकर संजोकर रखते, आज अपनी आत्मा बेचकर सफलता नामक दीमक का स्वाद लिया जाता है। ये तो सभ्यता की निशानी है।
- पहले लोग दुकानों में जाकर पहले बातचीत करते एक दूसरे का हाल पूछते, फिर खरीददारी करते, आज वे व्यस्त हैं अपने खोखलेपन में, अब वे क्लिक कर अपने पसंद की चीजें मंगाते हैं और थोड़ा सस्ता पाकर एक पूरे समाज से अलग-थलग हो जाते हैं ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले लोग अपने मनोरंजन के लिए मिल-जुलकर इकट्ठे होकर मेलों में जाते, जादू का शो देखते, सर्कस की कलाबाजियां देखते, आज सब अकेले यूट्यूब देखते हैं, ये तो सभ्यता की ऊंचाइयां हैं।
- पहले लोग अगर थोड़ी सी पढ़ाई कर ज्ञान अर्जित करते तो उसका उपयोग देश, परिवार, समाज की भलाई में लगा देते। आज खूब सारी पढ़ाई कर, डिग्री एवं उपाधियां लेकर भी ज्ञान की उपयोगिता शून्य है, ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले लोग वर्तमान अव्यवस्थाओं को ठीक करने के प्रयास हेतु पढ़ाई-लिखाई करने का फैसला लेते, आज किताबों के सहारे व्यक्तिगत बुलंदियां हासिल की जाती है। ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले लोग मिट्टी और पेड़-पौधों के संपर्क में रहते थे, उनका जीवन सरल हुआ करता था, आज कांच से घिरे चिकने मार्बल के घरों में रहते हैं। शरीर का मिट्टी से कोई संपर्क ही नहीं। ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले लोग महीनों तक पैदल यात्राएं करते थे और अपनों को समय भी देते थे, आज घंटे भर में हजार किलोमीटर की यात्रा कर लेते हैं फिर भी समय का अभाव है, ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले लोग अधिक से अधिक खुली हवा में रहते, घरों में भी हवा के आने-जाने के लिए खुली जगह होती। आज लोग सीलपैक कमरों में खुद को बंद कर खुश हो लेते हैं। ये तो सभ्यता की निशानी है।
- पहले लोगों में अपने मत को लेकर कोई मनमुटाव होता तो वे एक दूसरे का चेहरा न देखते, बातचीत खत्म कर देते, आज लोगों में मनमुटाव या खींचातानी होती है तो वे एक-दूसरे को आज जगह-जगह से ब्लाक करते हैं। क्योंकि देखना, मिलना, बातें करना, इन सब चीजों की संभावनाएँ ही मर चुकी हैं। ये तो सभ्यता की चोटी मानी गई है।
- पहले लोगों के पास गांव में बड़ा घर होता था, आंगन और चौपाल होता था, लोगों का हूजूम इकट्ठा होता था, आज लोग बंद माचिस के डिब्बे जैसे घरों में रहकर खुद को ज्यादा सभ्य मान लेते हैं। ये तो सभ्यता की ऊंचाइयां हैं।
- पहले लोग अकेलेपन से या अभावग्रस्त जीवन में रहकर भी कुछ नया आविष्कार कर लेते, आज तमाम सुविधाओं के बावजूद तनाव के शिकार हैं। ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले जब लोग कुछ नया सीखते, जानते तो वे प्राप्त मूल्यवान तत्व को लोगों में बांटकर अपने हिस्से का आत्मिक सुख पा लेते और फिर से किसी नयी खोज में लग जाते। आज पहले पैटेंट और कापीराइट किया जाता है ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले जब लोग अपने मनोरंजन के लिए कोई खेल खेलते तो वह खेल मिट्टी, पानी,पेड़-पौधों से जुड़ा हुआ रहता, वे इसी के इर्द-गिर्द बने रहते लेकिन आज खेलने के लिए पैसा चुकाया जाता है, आत्मा का सौदा होता है, ये सभ्यता की निशानी है।
- पहले जब लोग कुछ हासिल करने की जद्दोजहद में खुद को लगाते तो वे अपने मूल को बचाकर संजोकर रखते, आज अपनी आत्मा बेचकर सफलता नामक दीमक का स्वाद लिया जाता है। ये तो सभ्यता की निशानी है।
Ek dum satya vachan ..
ReplyDeletedhanyawaad
DeleteShi pakde h
Deletethnku toshu
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