Thursday, 26 May 2022

सोशल मीडिया के आने से लड़कियों की स्वतंत्रता बढ़ी है -

सोशल मीडिया के होने से लड़कियाँ मुखर हुई हैं, उन पर हिंसा की मात्रा कुछ हद तक कम हुई है, या इस तरीके से कह सकते हैं कि जिस तरह की हिंसा पहले होती थी, अब वह नहीं होती है। 

आज से पंद्रह साल पहले जब सोशल‌ मीडिया प्रचलन में नहीं आया था तब एक लड़की के लिए अपनी पहचान अपनी तस्वीर लोगों के सामने रखना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात होती थी, खतरा ही समझते थे। मेरे जानने में अधिकतर लड़कियाँ ऐसी रही कि जिनकी कोई तस्वीर किसी के पास है, तो उन्हें अपने चरित्र को लेकर एक अजीब किस्म का अपराधबोध होता था, इस अपराधबोध के चलते वह लड़कों से बात तक कर लेती थीं कि वह उनकी क्लोज फोटो फेंक दे या डिलिट कर दे। 

तब उस समय आरकुट था, कैमरे वाले फोन भी नहीं थे, उस समय जो अपनी तस्वीरें शेयर करतीं, उनको बहुत एडवांस, चंट, फार्वर्ड न जाने क्या क्या कहा जाता। जब आरकुट मृत्यु की कगार पर था, और फेसबुक अपने पाँव पसार रहा था, तब एक तूफान सा आया, जिसमें लड़कियाँ खुलकर अपने आपको प्रस्तुत करने लगी, यानि सिर्फ लड़के ही क्यों सोशल मीडिया में मौज काटें। तब का समय याद है, इंटरनेट इतना सुलभ नहीं हुआ करता था, 3G भी नहीं था, लोग कैफे में घंटों बैठकर अपने स्कूल कालेज की लड़कियों की तस्वीरें देखकर ही चौड़े हो जाया करते। कुछ नल्लों का यही काम रहता कि वे तस्वीरों का कलेक्शन रखा करते। 

तब का समय देखिए, और आज, आज तो ऐसा हो गया है कि अब किसी को अगर कोई लड़की पसंद है तो उसे अलग से देखने के लिए घर के पास राउंड मारने तक की जरूरत नहीं है, कहीं घूमने जा रही हो तो पीछे जाकर छुपकर देखने का झंझट ही खत्म। लड़कों को अब वन टच में सोशल मीडिया में सीधे तरोताजा रील ही देखने मिल जाता है, लड़कियों के लिए भी चीजें थोड़ी आसान हुई है। लड़कियों ने खुद ही खुलकर अपने आप को सोशल मीडिया में अपडेट करते हुए लड़कों को बहुत हद तक शांत किया है, चीजें बहुत हद तक नार्मलाइज हुई हैं। अब किसी को किसी लड़की का फोटो चोरी करने, या सेव करने की जरूरत ही नहीं है, अब तो इतनी सारी जानकारी आसानी से उपलब्ध हैं कि किसी की तस्वीर का स्क्रीनशाॅट भी लेने‌ की आवश्यकता नहीं, निजता का भले भूस बन चुका हो फिर भी मैं इसे सकारात्मक रूप में देखता हूं।

लेकिन, लेकिन अटैक तो आज भी उतने ही हैं जितने पहले थे, पहले लड़के सामने फूल पत्र दिया करते, किसी दोस्त से बुलवाते या फिर जैसे किसी अनजान का पीछा करते, वैसे यह आज भी होता है, लेकिन आजकल सोशल मीडिया में इनबाक्स में हमले ज्यादा बढ़ गये हैं। कैसे भी एक बार चेहरा देख लेने की चाह ने व्हाट्सेप्प और रील तक की दूरी तय की है। इस दरम्यान लड़कियों ने लड़कों के भीतर की हिंसा को कुण्ठा को बहुत हद तक कम किया है। लड़कियों को साधुवाद। 

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