Tuesday, 17 May 2022

भारतीय समाज में महिलाओं द्वारा की जाने वाली सूक्ष्म हिंसा की घटनाएँ -

                        कल एक करीबी मित्र ने कहा कि जहाँ स्त्री पुरुष द्वारा किए गये हिंसा और शोषण की बात आती है, तो आप सिर्फ एक ही पक्ष पर जोर देते हैं कि पुरूष ऐसा है, पुरूष वैसा है। पुरुषों पर आपका ध्यान जाता है, पुरूषों द्वारा की गई गलतियाँ उनके द्वारा किए गए अपराध आपको दिखते हैं, वो ठीक है, एक-एक बात से सहमति है, लेकिन स्त्रियाँ भी गलत होती हैं, वह भी हिंसा करती हैं, इस पर आप कभी बात नहीं करते हैं। 

करीबी मित्र की बात पर संज्ञान लेते हुए चलिए आज बात कर ली जाए -

1. एक दोस्त की गर्लफ्रेंड रही, घर से संपन्न रही, इतनी तो संपन्नता थी ही कि अपनी बेसिक जरूरतों के लिए किसी से उसे उधार न लेना पड़े। उसकी एक आदत यह रही कि जब भी वह शापिंग माॅल जाती, जहाँ कैमरा न होता, वहाँ से कुछ छोटी-मोटी चीजें कपड़ों के भीतर छुपाकर ले आती यानी चुरा लाती और उनका कलेक्शन रखती। यह सब बड़े शौक से अपने प्रेमी को भी बताती। 

2. एक परिचित लड़की रही, उसे अपनी एक दोस्त से कुछ खुन्नस रही होगी, दोनों एक दुकान पर कहीं मिले होंगे, उसकी दोस्त ने कुछ सामान खरीदा होगा और दुकान की मालकिन जो कुछ देर के लिए अंदर गई थी उसे यह कह दिया कि पैसे यहीं रजिस्टर में दबा के रख दी हूं, इतना कहकर वह चली जाती है, दूसरी लड़की जिससे उसकी नहीं बनती थी, वह उसी समय वह पैसे चुरा लेती है और मालकिन  के आने के पहले दोनों चले जाते हैं, दुकान में चूंकि उनके अलावा और भी लोग मौजूद रहते हैं, तो चोर लंबे समय बाद पकड़ में आता है, तब तक वह लड़की अपने मकसद में कामयाब हो चुकी होती है कि मैंने उस लड़की के पैसे चुराकर उसको मानसिक रूप से तंग किया।

3. एक दोस्त की दीदी रही, हद महत्वाकांक्षी, क्लास में टाॅप करना उसके लिए मानो जीवन मरण का प्रश्न रहा, उसकी एक खास सहेली थी जो कि पढ़ाई के मामले में उसकी चिर प्रतिद्वंदी रही, बोर्ड परीक्षा आने के पहले उस अति महत्वाकांक्षी लड़की ने एक दिन क्लास में खुद को भूत पकड़ने का ढोंग किया, और रोते गिड़गिड़ाते बेहोश होकर लेट गई। उसकी सहेली खूब चिंतित रही, कई दिन उसके घर जाती, उसका हालचाल लेती, उधर वह लड़की जमकर पढ़ती रही, इधर उसकी सहेली चिंताविमुख होकर पढ़ाई में उतना ध्यान नहीं दे पाई। महत्वाकांक्षी लड़की ने परीक्षा में टाॅप किया, और एक दिन रोते हुए अपनी सहेली को बताया कि बहन मुझे जलन हुई तेरे से, इसलिए मैंने जानबूझकर ऐसा किया, मुझे कुछ नहीं हुआ था।

4. एक लड़की रही, उसके खूब सारे लड़के दोस्त रहे, वह अलग-अलग लड़कों से दोस्ती रखती, लड़कों से रोने धोने वाले दुखियारे अंदाज में प्यार भरी बातें करती, पता नहीं उसमें क्या जादू था, लड़के उसके पीछे ऐसे पागल होते कि बिना मिले ही शादी तक के लिए परेशान हो जाते, और लड़की बीच रास्ते छोड़कर भागती जाती। कई लड़के उसकी वजह से हाॅस्पिटलाइज हुए, कुछ एक पेशेवर शराबी बन गये, कुछ लोगों को उस मानसिक आघात से निकलने में लंबा समय लग गया। उसकी मीठी बातों से लोग इतना खौफ खाते कि पलटकर उसे जवाब भी देते या गुस्सा भी करते तो उन्हें फिर माफी माँगने का म‌न हो जाता। बाद में पता चला कि उस लड़की को अलग-अलग तरह के लड़कों के दिमाग से खेलने में मजा आता था। उसकी वजह से इतने सारे लोग व्याकुल होते हैं, इस बात से उसके इगो को संतुष्टि मिलती थी।

5. एक औसत दिखने वाली काॅलेज की लड़की रही, वह अपने से अधिक सुंदर दिखने वाली छरहरी काया वाली लड़कियों से खूब चिढ़ती। ऐसी लड़कियों की वह खूब तारीफ करती, उनकी मदद भी करती, उनके लिए खुद को समर्पित करती, बड़ी दीदी या माता-पिता की तरह भूमिका अदा करती लेकिन भीतर से उनके प्रति खूब ईर्ष्या रखती, कई बार तो उनका चेहरा अच्छा न दिखे, खराब हो जाए, उस उद्देश्य से ऐसे क्रीम पाउडर लोशन में कुछ मिलावट भी कर जाती। हमेशा उनके दिमाग से खेलती, उनको कमजोर करती, उनको अपने हिसाब से संचालित करती, किससे दोस्ती करनी है, किससे प्रेम‌ करना है, माता-पिता से क्या कैसे बात करना है, सब कुछ कंट्रोल करने लगती। वह कहती कि चूंकि वह औसत दिखती और उसे कोई न पूछता तो उसे बाकी लड़कियों जिनको हर कोई तवज्जो देते, उन्हें प्रेम में और बाकी दुनियावी चीजों में हारा हुआ देखकर, निराश हताश देखकर उसको बहुत बेहतर महसूस होता था, यह बात उसने खुद स्वीकारा।


                    असल में हम जिस समाज में रहते हैं, वहाँ अधिकांशः लड़कियाँ ऐसे ही सूक्ष्म तरीके से जमकर बड़ी-बड़ी हिंसा की घटनाओं को अंजाम दे जाती हैं, अभी उनके माता बनने के बाद की जाने वाली हिंसा की बात ही नहीं की जा रही है, सिर्फ एक लड़की रहते हुए वह कितनी हिंसा करती है, अभी उसी की बात की जा रही है, और यह तो सिर्फ छुटपुट हिंसा और द्वेष वाले उदाहरण ही मैंने प्रस्तुत किए हैं जो आपमें हममें से बहुत लोगों ने अपने आसपास देखा होगा लेकिन संज्ञान में नहीं लिया होगा। असल में यही सब आगे जाकर ज्वालामुखी बनकर फटता है।

                      जिनका जिक्र किया गया है, ऐसी लड़कियाँ फिर आगे परिवार भी सँभालती हैं, बच्चे पैदा करती हैं, बच्चों को तालीम के नाम‌ पर वही मिलता है, जो माता के पास देने को होता है। बच्चे बचपन से सबसे ज्यादा अपनी माँ के साथ ही रहते हैं, तो वे खूब हिंसा का शिकार होते हैं, और आगे जाकर यही बच्चे अलग-अलग रूपों में हिंसा दिखाते हैं। इसी तरह इस हिंसात्मक मानसिकता का हस्तांतरण पीढ़ी दर पीढ़ी होता रहता है। 
                       ऊपर जितने उदाहरण लिखे हैं, कहीं कम कहीं ज्यादा, समाज ऐसे ही लोगों से अटा पड़ा है, ऐसे उदाहरणों की रेल बनाई जा सकती है, 101 कहानियाँ जैसी पुस्तक तैयार की जा सकती है, लेकिन स्त्री विमर्श कमजोर न हो जाए, इसलिए इन सब से परहेज ही करता हूं, बाकी अपनी-अपनी सोच है।

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