Wednesday, 20 April 2022

Day 127 of All India Solo Winter Ride -

3 मार्च 2021,
मैं गुजरात सीमा में प्रवेश कर चुका था। गुजरात चूंकि सूखा प्रदेश है, इस वजह से बढ़िया गर्मी पड़ने लगी थी, राजस्थान में तो रात होते-होते ठंडक मिल जाती है लेकिन गुजरात में तो वह भी नसीब होना मुश्किल था। कच्छ का रन होते हुए मैं अहमदाबाद पहुंच चुका था। अहमदाबाद में दोस्त ईशान के घर में दो दिन रूकना हुआ।

ईशान मुझे उत्तराखण्ड में घूमते हुए पहली बार मिला था। जब उसे पता चला कि अहमदाबाद से होते हुए गुजर रहा हूं तो उसने कहा कि मैं उसके यहाँ आऊं और मैं पहुंच गया। ईशान के कुछ और दोस्त भी मिलने वाले थे, उस दिन रात को उसके सब दोस्तों ने मिलकर म्यूजिकल नाइट का प्लान किया हुआ था, एक सितारवादक दोस्त को खास 250 किलोमीटर दूर उदयपुर से बुलाया गया था। ढोलक, सितार, तबला और गिटार के साथ सबने मिलकर जुगलबंदी शुरू कर दी, वहाँ उतने लोगों के बीच बस मैं ही अकेला था जिसे एक भी वाद्ययंत्र बजाना नहीं आता था, इसलिए मैं चुपचाप बैठकर सुन रहा था, वे सब मुझे बार-बार अपना वाद्ययंत्र हाथ में देकर बजाने‌ को कहते और मुझे सहज करते, इस तरह की वैल्यू शायद ही कभी जीवन में मिली हो।

रात भर अलग-अलग भाषाओं के गाना गाने का दौर भी चला, रात के 10 बजे से सुबह के 3 बजे तक हम सब तरह-तरह के संगीत का डोज लेते रहे। ईशान की एक महिला मित्र ने कहा कि मैं तुमसे प्रभावित हूं, हमको इस बात से मतलब नहीं कि तुम कौन सी जगह घूम रहे और कौन सी नहीं, हमारे लिए सबसे बड़ी चीज यह है कि तुम इतने अकेले इतने महीनों से अलग-अलग जगह घूमते हुए जिंदगी को एकदम करीब से जी रहे, जिंदगी जीने के लिए इतना समय निकाल रहे, यह बड़ी बात है और ऐसा कहने के बाद उन्होंने मेरे लिए कोई गाना डेडिकेट किया था, बीच-बीच में ईशान‌ बार-बार मेरे घूमने फिरने के किस्सों अनुभवों को सबसे शेयर करने को कहता रहा, वे बड़े ध्यान से सुनते मानो कोई बहुत कीमती बात हो, मुझ नाचीज के लिए तो यह सब सपने जैसा था क्योंकि वहाँ बैठे अधिकतर लोगों के लिए तो मैं एक गुमनाम अनजान चेहरा भर था। 

काफी देर हो चुकी थी, सुबह के 4 बजने वाले थे, अब हम सब बुरी तरह से थक चुके थे। सोने की बारी आई। मुझे भी खूब थकान लग रही थी। ईशान और उसकी एक खास महिला मित्र जो मेरी भी अच्छी मित्र हैं, वे दोनों एक साथ वहीं जमीन में एक ही बिस्तर पर सोने वाले थे, जबकि ईशान का एक खास लड़का दोस्त जो उसका बिजनेस पार्टनर भी है, उसे दूसरे कमरे में जाने को कहा गया, ईशान ने कहा कि इस कमरे में जो दूसरा बेड है, यहाँ तुम सो जाओ, भले वो मेरा बिजनेस पार्टनर है और मैं तुमसे एक दो बार मिला हूं लेकिन मैं इस मामले में तुम्हारे साथ ज्यादा सहज हूं। 

यह मेरे लिए जीवन का एक बहुत ही अलग अनुभव था, मुझे नहीं पता मुझमें यौन कुण्ठा नाम की चीज कितनी क्या है, लेकिन ईशान का भरोसा देख मुझे भी लगा कि मैं थोड़ी बहुत तो रिश्तों की कद्र करना जानता होऊंगा तभी उसने मेरे लिए इतनी बड़ी बात कही, इतना भरोसा जताया। 

कुछ लोगों को यह सब सुनकर बहुत अजीब लग सकता है कि एक कमरे में मैं एक तरफ अकेला सोया था, और दूसरे बिस्तर में ईशान और उसकी महिला मित्र (दोनों असल में कला संगीत फिल्म के क्षेत्र से जुड़े हैं और दुनिया के दर्जन भर से अधिक देशों में जाकर अपने स्किल के बूते ही जिंदगी जीते हैं और बीच-बीच में भारत आते रहते हैं) आराम से सो रहे थे, मुख्यधारा के समाज के अधिकतर लोगों को यह सब बहुत अटपटा लग सकता है, रिश्तों को एक सीमित खांचे में देखने वालों के लिए समझ पाना संभव भी नहीं है। लेकिन ईशान और उसकी दोस्त को पता था कि मैं किस सोच का इंसान हूं शायद वही एक बात रही कि हमारी इतनी अच्छी दोस्ती बन पाई। उन्हें पता था कि मेरी निगाह खराब नहीं है, मेरे मन में किसी तरह का चोर नहीं है, इतना तो वे दोनों मुझे जानते ही थे इसलिए चंद मुलाकातों के बाद ही मुझे लेकर इतना सहज थे। भारत घूमते हुए मिले यही बेशकीमती रिश्ते ही जीवन की असली कमाई है।

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