Saturday, 16 April 2022

एक स्त्री जब कहेगी अपने मन की बात - एक कविता

सब कुछ कितना अच्छा लगता है,
चारों ओर दिखती है खुशहाली,
परिवार और समाज के सारे फलक,
नजर आते हैं शुध्द और पवित्र।

लेकिन जब कोई बताता है,
अपने जीवन के कटु अनुभव,
जब कोई कह देता है,
अपने मन के भीतर की बात,
तो सारी स्थापनाएँ ध्वस्त होने लगती है।
समाज परिवार रूपी स्तंभ,
रिश्तों के तमाम रूप,
दरिंदगी और नीचता रूपी गाँठो से अलग होकर,
एकाएक टूटने लगते हैं
बिखरने लगते हैं।
लेकिन क्या कोई कह पाता है,
अपने मन के भीतर की सारी बात?
जिस दिन एक‌ स्त्री अपने मन की बात कहेगी,
नदियों का प्रवाह थम जाएगा,
हवाएँ रूक जाएंगी,
सारे जीव जंतु पशु पक्षी,
शर्म से मौन धारण कर लेंगे,
आसमान का रंग फीका पड़ जाएगा,
चारों ओर खामोशी छा जाएगी,
दुनिया कुछ देर के लिए थम जाएगी।

1 comment:

  1. बहुत बेहतरीन, कविता।

    ReplyDelete