Tuesday, 19 April 2022

मुझमें पूरा भारत बस जाए - एक कविता

मेरे हिस्से आए,
सुदूर हिमालय के चरवाहों जैसी जिजीविषा,
मध्य भारत के जंगलों में रहने वाले आदिवासियों जैसी फुर्ती,
वीरान रेतीले मरूस्थल में रहने वाले बाशिदों जैसी जीवटता,
समन्दर में नाँव चलाते तमिल मछुआरों जैसा अदम्य साहस,
मैं चाहता हूं‌ मुझमें पूरा भारत बस जाए।

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