पिछले 11 महीने के आंदोलन में सैकड़ों ऐसे लोग देखे जो किसानों के मुद्दे को लेकर देश भर में लंबी लंबी यात्राएं कर रहे हैं, कोई कार से जागरूकता फैला रहा है, किसान काफिला नाम की टीम रही जिनकी कार छह महीने से अधिक किसानों के मुद्दों को लेकर भारत के कोने-कोने में जाकर लोगों को जागरूक करती रही, कोई मोटरसाइकिल से निकल गया ( गिलहरी योगदान मैंने भी देने की कोशिश की ), कुछ लोग साइकिल से निकले, ऐसे लोग बहुत रहे, मित्र सोनू भाई भी इनमें से एक हैं जिन्होंने महीनों तक किसानों के मुद्दे को लेकर भारत भ्रमण किया, कुछ समय पहले असम का एक लड़का गुवाहाटी से सिंघु बार्डर यानि आंदोलन स्थल तक की दूरी महीने भर में तय किया। और कुछ लोगों ने महीनों तक कलश लेकर पैदल यात्राएँ भी की, कोई महाराष्ट्र से, कोई मध्यप्रदेश से, तो कोई केरल तमिलनाडु से। विदेशों से हर महीने, तीन महीने में भारत आकर आंदोलन स्थल में रहकर सेवा करने वाले लोग भी बहुत हैं। ऐसे तमाम लोगों की लंबी लिस्ट बनाई जा सकती है।
इनकी तस्वीर इसलिए भी साझा कर रहा हूं क्योंकि इनकी यात्रा मेरे देखने में अभी तक की सबसे लंबी पदयात्राओं में से एक है। इसके अलावा भी देखें तो पंजाब हरियाणा राजस्थान से आए दिन लोग पैदल यात्रा करके आते रहते हैं, 300-400 किलोमीटर तो अब आम हो गया है, क्या बच्चे क्या बूढ़े कितने लोग ऐसा योगदान दे चुके हैं, बहुत से अपाहिज लोगों ने अधेड़ उमर में अपनी ट्राईसाइकिल तक में आंदोलन स्थल तक की दूरी कई-कई सप्ताह में पूरी की है। हर कोई अपने खर्चे से कर रहा है, ऐसे लोगों के उद्देश्य को देखकर, इनकी जिजीविषा को देखकर लोग स्वेच्छा से मदद भी करते हैं, वो बात अलग है विरोध करने वालों की भी संख्या उतनी ही है।
आंदोलन के ऐसे बहुत से जीवंत पहलू हैं, आंदोलन दिल्ली की सीमाओं में कोई किसान नेता नहीं चला रहा है, आप सारे किसान नेताओं को आज हटाकर बात करिए, फिर भी आंदोलन खत्म नहीं होगा और वो इसलिए क्योंकि किसान आंदोलन भारत के आम लोग चला रहे हैं, चाबी उनके हाथ में है, किसान आंदोलन को खत्म करना है तो जो निःस्वार्थ भाव से पैदल और साइकिल में लंबी दूरी तय कर रहा है उनके हौसले को खत्म करिए, जो लोग वहाँ 11 महीने से सड़कों पर हैं, मौसमी मार और सरकारी मार झेलते हुए इस्पात जैसा हौसला लिए टिके हुए हैं, गोली तक खाने से परहेज नहीं कर रहे कि इससे आने वाली नस्लें बर्बाद हो जाएगी, इनके हौसले को आप जाकर खत्म कर लीजिए, आंदोलन कल क्या आज ही खत्म हो जाएगा। बहुत लोग मुझे पिछले क ई महीनों से घर बैठे कहते आ रहे हैं कि अब तो आंदोलन खत्म हो जाएगा, आज मैं उनसे कह रहा हूं कि आप ये बात 163 दिनों से किसानों के लिए पैदल यात्रा कर रहे उस इंसान को जाकर समझा दीजिए। भारतीय उपमहाद्वीप से कहीं दूर दूसरे महाद्वीप में बैठे लोगों को भी समझ आ गया है कि यह आंदोलन अपना मुकाम हासिल किए बिना खत्म नहीं होगा, लेकिन आप नहीं समझ पा रहे हैं क्योंकि आपने अभी तक महसूस ही नहीं किया है।
किसानों को इतने लंबे समय तक टिके रहने का हौसला कहाँ से मिल रहा है, यह आपको अगर अभी तक नहीं समझ आया है तो इसे जानने के लिए आपको उस जगह में जाकर वहाँ की आबोहवा को महसूस करना पड़ेगा, स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा अहिंसक आंदोलन चल रहा है। हो सके तो वहाँ बैठे लोगों से मिलकर आइए, उनसे बात करिए, क्योंकि किसान देश बचाने निकले हैं।
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