Sunday, 28 February 2021

And We Met Again in Udaipur

जैसलमेर से रात 3 बजे बिना सोए 500 से अधिक किलोमीटर गाड़ी चलाकर उदयपुर आना। उदयपुर में बैकपेकर हाॅस्टल बुक करना, और उसी हाॅस्टल में केरल में साथियों का मिल जाना, इत्तफाक शायद इसे ही कहते हैं।

बाकी मैंने कान पकड़ लिया है कि आज के बाद कभी बिना नींद लिए इतना लंबा सफर नहीं करूंगा, आज क्या हुआ कि बाइक चलाते हुए ही झपकी लग रही थी और पता भी नहीं चल रहा था, एक बार तो गाड़ी रोड ट्रैक से बाहर पथरीले रास्ते में चली गई वो तो अच्छा है इस गाड़ी के टायर की ग्रिप अच्छी है तो इसने हमेशा की तरह मुझे बचा लिया, वरना अनहोनी हो जाती।

आज उदयपुर में कुछ लोग और मिले। आज से 90 दिन पहले यानि Day 30 में तुंगनाथ चंद्रशिला ट्रैक पर गया था, वहाँ मुझे अहमदाबाद के विवेक और राधिका मिले थे, कल रात को ही उनके अपडेट से पता चल गया था कि वे एक‌ दिन के लिए उदयपुर आए हैं, हमारी कल ही बात हो गई थी कि उदयपुर में मिलते हैं, ये भी एक गजब इत्तफाक हो गया, उनके साथ की तस्वीर अभी मेरे पास नहीं है, इसलिए उस बारे में अलग से बताऊंगा।


जब मैं इन्हें यानि हमारे केरल के साथियों को उस दिन रात को स्टेशन छोड़ने गया था तो इन्होंने बताया था कि जैसलमेर से अजमेर जा रहे हैं, इससे ज्यादा इस बारे में बात नहीं हुई थी कि आगे कहाँ जाएंगे क्योंकि मेरा भी कोई ऐसे फिक्स प्लान नहीं रहता है कि कब कहाँ जाऊंगा। आज ये लोग उदयपुर में मिल गये, गजब ही हो गया, सच में दिन बन गया, इतना लंबा बाइक चलाने की थकान मानो छूमंतर सी हो गई। ठीक उस दिन की तरह आज रात को इनकी ट्रेन है, यहाँ से आगे जाएंगे। यहाँ से फिर अब हम नहीं मिलेंगे, मैं मध्यप्रदेश की ओर निकल जाऊंगा, और वे महाराष्ट्र की तरफ जाएंगे‌। 


आज सुबह ही मेरे व्हाट्स एप्प में अपडेट को देखकर इन्होंने मैसेज किया कि हम भी उदयपुर में है, आओ मिलो। फिर पता चलता है कि उसी हास्टल में है। मैं जैसे ही पहुंचा, लड़की ने मेरी पीठ थपथापाई और कहा, बहुत बढ़िया बहुत बढ़िया, बिना सोए इतना लंबा सफर किए हो। और किसी परिवार के सदस्य की तरह पहले मुझे खाने के आप्शन के बारे में बताया, फिर मुझे रेस्ट करने को कहा और शाम को मिलने के लिए कहा। 


मैं सो गया था, ठीक-ठाक दो-तीन घंटे की नींद हो गई थी। उठा ही था कि फोन में बार-बार मैसेज का बीप बज रहा था, जैसे ही फोन देखने के लिए उठा सामने मेरी डोरमेट्री में ये दोनों बैक टांगे हुए खड़े मिले कि चलो हम जा रहे हैं हमने ही मैसेज किया है अभी, चैक मत करो और तुम आराम‌ करो। हम बाय कहने आए थे। मैंने कहा रूको मैं आ रहा हूं मेरी नींद हो गई है। उन्होंने पहले ही उदयपुर में बाइक रेंट में ली थी, तो फिर हम अपनी-अपनी बाइक में रेल्वे स्टेशन गये।


रेल्वे स्टेशन में आज हमारी बात किसान आंदोलन को लेकर ही हुई, लड़का अपने किसी काम में व्यस्त था तो हमेशा की तरह हम दोनों की ही बात हुई। ट्रेन आने में एक घंटे का समय था, उन्होंने कहा कि अगर जाना हो तो जा सकते हो, कुछ उदयपुर में घूम लो। मैंने कहा - मेरे लिए लोग तीर्थ हैं, जगह नहीं भाग रहा है, कभी भी देखा सकता है, पत्थर की कलाकृतियों से कहीं अधिक इंसान मेरे लिए मायने रखता है। उन्होंने यह सुनकर फिर दुबारा जाने के लिए नहीं कहा। मुझे ये बात बड़ी अच्छी लगी कि थोड़ी बहुत भाषाई बाध्यता होने के बावजूद हमारी अच्छी चर्चा होती रही, इन कुछ दिनों में बढ़िया बाॅंडिंग जैसी बन गई।


तो किसान वाले मुद्दे को लेकर ही चर्चा हो रही थी, मैंने अपने पूरे एक महीने के अनुभवों को थोड़े में उस लड़की से साझा किया और मूल बातों को उसके सामने रखा। वो यह सुनकर इतनी भावुक हो गई कि उसकी आंखों से आंसू गिरने लगे, फिर थोड़ी देर बाद शांत हुई तो उसने कहा - इसी देश के लोग इसी देश के लोगों के लिए इतने असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं, मुझे समझ नहीं आता है, इतना कहकर वह चुप सी हो गई। फिर थोड़ी देर बाद उसने मुझे अपने फोन में यूट्यूब खोलकर दिखाया कि वो किसान एकता मोर्चा का चैनल फाॅलो करती है। मुझे यह जानकर बेहद खुशी हुई कि वे अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, दूर से ही सही इस आंदोलन से जुड़े हुए हैं। मैंने पूछा कि किसान एकता मोर्चा के चैनल में अभी तो अधिकतर वीडियो पंजाबी में होते हैं, समझ लेती हो? उसने कहा - हाँ, भाव समझ आ जाते हैं, केरल में लोग खूब पंजाबी और हिन्दी गाने सुनते हैं, मैं तो हिन्दी पढ़ भी लेती हूं, लेकिन कई बार भाव समझ नहीं आते हैं।


जाते-जाते आज  गले‌ मिलने के बाद उन्होंने कहा - We will Miss You, Will Surely visit your place someday.






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