Tuesday, 2 March 2021

Day 123 of all india solo winter ride

जब से घूमने निकला हूं, बहुत से घूमने वाले मिले हैं, जो मेरी तरह ही महीनों से घूम रहे हैं, लेकिन एक भी ऐसा नहीं मिला जो सिर्फ घूम रहा हो, एक भी नहीं। यानि जो भी मिले हैं, अधिकतर work from home वाले ही हैं, कुछ एक Freelancers हैं, कुछ न कुछ काम भी कर रहे हैं और साथ में घूम भी रहे हैं। भले कुछ घंटे का काम करते हों लेकिन दिमाग में तो दिनभर एक काम वाली चीज बनी रहती है, इतना तो मैं समझ गया हूं। मुझे भी इस all India ride के बीच एक freelance काम मिला था, लेकिन मुझे कुछ हजार रूपयों के लिए परेशान होना सही नहीं लगा, मैं पूरी स्‍वतंत्रता से घूम नहीं पाता, ये स्वतंत्रता कितनी कीमती है न यह आप समझ सकते हैं, न मैं आपको समझा सकता हूं।


मुझे ऐसा लगता है कि लोग रुपयों के मकड़जाल में बहुत बुरे तरीके से फंसे हुए हैं, वे बहुत अधिक डरते हैं कि कहीं उन्होंने कुछ समय के लिए रूपये का साथ छोड़ दिया तो वे जी नहीं पाएंगे, एक नशे की तरह वो चीज उनके साथ चिपकी हुई है। वे रूपये को अपने हिसाब से नहीं नचाते बल्कि रूपया उन्हें मन मुताबिक नचाता है।


सिर्फ घूमना और कुछ छोटा मोटा काम करते हुए घूमना दोनों में जो बड़ा अंतर महसूस किया हूं उससे मुझे इस बात को लेकर बहुत खुशी हुई है कि मैं सिर्फ घूम रहा हूं।




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