Gannaur to Bhatinda
Total travel - 320+ kms.
आज भटिंडा आते समय संगरूर के पास रूका था। किसान वाला जो झंडा लगाया था, उसकी पकड़ ढीली हो गई थी तो बाँध रहा था, उतने ही समय प्राइमरी स्कूल के बच्चों की एक बस गुजरी, बस की खिड़की से एक बच्चे ने सिर निकालते हुए मुझे झंडे के साथ देखा और मुस्कुराया फिर जोर से किसान एकता जिंदाबाद के नारे लगाया, साथ ही उस बस में बैठे बाकी बच्चों ने भी जिंदाबाद कहा।
आज 320 किलोमीटर का लंबा सफर था इसलिए जनसंपर्क ज्यादा नहीं हो पाया। बाकी गाड़ी में झंडा बांधकर चलने में थोड़ा सा रिस्क है, क्योंकि किसानों के खिलाफ जिस तरह का देश में माहौल है कहीं किसान विरोधी गुट घेर के तोड़ फोड़ ना कर दे। फिर भी इतना रिस्क लिया जा सकता है क्योंकि मुझे इसमें यह भी लगता है कि जब तक हम खुद किसी को हिंसा का मौका नहीं देते, कोई हमारे साथ हिंसा नहीं कर सकता है, अपवाद घटनाओं की बात अलग है। गाड़ी में एक दो झंडे और स्टीकर लगने अभी बाकी हैं। साथ ही बहुत से पोस्टर स्टीकर बैच लेकर चलने की योजना है ताकि जो भी आमजन या किसान भाई रास्ते में मिले, उनसे मिला जाए और उत्साहवर्धन के लिए उन्हें एक भेंट रूप में यह दिया जाए, बाकी बुकलेट का काम भी कुछ दिन में हो जाएगा। किसान देश के लिए इतना कुछ करता है, उनके लिए इतना तो किया ही जा सकता है।
अभी एक दो दिन पंजाब में हूं। आज से सात महीने पहले यह आंदोलन जहाँ से शुरू हुआ उस मिट्टी को महसूस करने आया हूं। यहाँ की मिट्टी अपने बैग में लेकर चलूंगा, जब तक मेरी गाड़ी चलेगी, ये मिट्टी मेरे बैग में आखिर तक मेरे साथ रहेगी। इस मिट्टी को साथ लेकर पूरे देश में इस आंदोलन के ताप को पहुंचाया जाएगा।
#farmersprotest
#allindiasolowinterride2020
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