सुनील शेट्टी, अक्षय कुमार, सुरेश रैना, अजय देवगन, शिखर धवन, अनिल कुंबले, रवि शास्त्री, रूद्रप्रताप सिंह, विराट कोहली, सचिन तेंदुलकर and so on...
सहूलियत के लिए तीन डाट लगा दिया हूं, कोई नया नाम हो तो जोड़ लीजिएगा।
ये चंद नाम हैं, सीधी बात कहें तो इन सब ने सरकार का समर्थन किया क्योंकि अंतराष्ट्रीय मंच पर नाक कट रही थी, लेकिन नाक तो कट ही रही है, कौन सा इन सेलिब्रिटियों के आ जाने से नाक कटना बंद हो जाएगा।
इस घटनाक्रम में एक झोल है, ऊपर जितने भी सेलिब्रिटी लोग हैं, इन्हें कंगना रनौत जैसी मुखर अभिनेत्रियों से कुछ सीखना चाहिए। मुझे जो चीज समझ नहीं आ रही वो ये कि ये तमाम अवसरवादी लोग इतने दिन से आखिर थे कहाँ , जब दूसरे देशों के लोग जिन्हें External Forces कहा गया, उन्होंने याद दिलाया तभी इनको याद आया कि भारत में किसान अपनी माँगों को लेकर धरना दे रहे हैं, इससे पहले कहाँ भांग पीकर सो रहे थे चोट्टों। उस एक सिंगर के ट्विट से ही तुमको याद आया क्या कि राष्ट्रभक्ति का झंडा बुलंद करना है। तब कहाँ थे जब इस देश के भीतर दो दो बार्डर बन रहे थे, तब तुमको भारत की संप्रभुता दिखाई नहीं दी, संप्रभुता की बात करेंगे गिरगिट कहीं के। इनको उस कंगना का ट्विट तक नहीं दिखा, जो लगातार किसानों को आतंकवादी कह रही हैं। मैं कंगना को इस मामले में इन ढोंगी लोगों से कहीं अधिक ईमानदार मानता हूं, भले नीचता के स्तर पर जाकर किसानों के लिए बुरा भला कह रही हैं लेकिन कम से कम उनका अपना स्टैण्ड क्लियर तो है। इनकी तरह कम से कम उनके पेट में दाँत तो नहीं है।
प्यारे तथाकथित सेलिब्रिटियों, इस बार बिल से बाहर आने के लिए तुम्हारा शुक्रिया तो बनता है, तुम्हारा सम्मान तो आने वाला समय करेगा। करो समर्थन लेकिन इस तरह भीगी बिल्ली की तरह मत करो, राष्ट्रभक्ति की आड़ लेकर मत करो, कम से कम संप्रभुता की दुहाई तो मत ही दो, खुलकर सामने आओ, ये बीच वाला काम मत करो, कंगना और अर्नब की तरह रेगुलर रहो ताकि इस देश के लोग आपको लेकर थोड़े और स्पष्ट हो जाएं कि तुम्हारा स्तर क्या है।
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