Farmers Protest
Day 80
Total Death - 233
किसान आंदोलन को आज दिल्ली में 80 दिन हो चुके हैं, जब 50 दिन हुए थे तो कुल मौतों की संख्या 67 थी। आज 80 दिनों में कुल मौतों की संख्या 233 है यानि पिछले एक महीने में ही 166 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। आप यह कहेंगे कि आंदोलन में आने वाले किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि ज्यादा लोग आ गये हैं इसलिए मृत्यु की संख्या बढ़ी है। मैं पिछले एक महीने से हर दिन कोरोना वेबसाइट देखने की तरह रोज मृत्यु के आँकड़ों की एक विश्वसनीय वेबसाइट है उसे देखता आ रहा हूं। जिनकी मौतें हुई हैं उसमें अधिकतर ऐसे लोग हैं जो इस आंदोलन में पहले दिन से जुड़े हुए हैं और उसमें भी अधिकतर लोगों की मौत का पहला बड़ा कारण हार्ट अटैक है और दूसरा बड़ा कारण ठंड है।
हम कितनी भी सुविधा खड़ी कर लें सड़क में सोना और घर में सोना दोनों बहुत अलग चीज है, वह भी सड़क में अपनी माँगों को लेकर आना, मानसिक शारीरिक अपमान, प्रताड़नाएँ झेलते हुए टिके रहना। आप मानसिक शारीरिक दोनों तरीके से थक रहे होते हैं, मानसिक रूप से प्रताड़ित होते रहते हैं तो शरीर पर भी इसका प्रभाव लगातार पड़ता रहता है। इतने सारे लोग हार्ट अटैक से ही क्यों मर रहे हैं, इस पर भी एक बार सोचिएगा। सरकार से कहिएगा कि डायग्नोसिस करवाए और पता करवाए कि इनके ह्रदयघात के पीछे आखिर क्या कारण था। एक चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार से अपने ही देश के नागरिकों के लिए इतनी उम्मीद तो की ही जा सकती है।
महीने भर से लगातार आंदोलन स्थल में जा रहा था तो मैं भी उनके बीच का ही हो गया था, तो मुझे भी यह चीज महसूस होने लगी। ये जो बहस, ये नकारात्मकता, टीवी में और सोशल मीडिया में लोगों की ये हिंसा, कई बार यह सब देखकर मन मसोस कर चुप हो जाने का मन करता। कितने बार आँसू आने वाली स्थिति हुई, अब बताने का कोई तुक नहीं। कुछ दिन के लिए अपने दोस्त के घर चला गया था, तब मुझे समझ आया कि अधिकतर किसान रोटेशन में आना जाना क्यों करते हैं। दोस्त के घर गया, वहाँ मेरे दोस्त ने कुछ इसी तरीके की बात कही कि बस शरीर से उसके घर घूमने आया हूं, मन से आंदोलन स्थल में ही हूं। दोस्त ने यह भी कहा कि मुझे इतना नहीं सोचना चाहिए। मैं कोशिश कर रहा हूं कि दोस्त की बात रख लूं और उस भाव से बाहर आ जाऊं।
और जिस तरीके से सरकारी मशीनरी और मीडिया की ओर से हिंसा का प्रवाह अनवरत जारी है, उसे देखकर किसी का भी मन बिखर जाएगा कि कोई कैसे अपने ही देश के लोगों पर जो शांतिपूर्ण तरीके से अपनी माँग रखने के लिए आज सड़कों पर हैं, उन्हें देशद्रोही आतंकवादी कह देता है, उन पर इतनी बर्बरता से हिंसा करता है। भले कुछ लोग बदले में सरकार को सोशल मीडिया के माध्यम से जवाब देने की कोशिश करते हैं, मजाक बना लेते हैं लेकिन कुछ लोग होते हैं जो यह सब देख देखकर खामोश होते रहते हैं, और एक दिन वे इतने खामोश हो जाते हैं कि फिर कभी हमें दिखाई नहीं देते हैं।
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