Friday, 11 December 2020

My take on Backpacker Hostel and homestay -

अभी पिछले 40 दिनों की यात्रा में एक मित्र की संगत में 2 दि‌न एक बैगपैकर हाॅस्टल टाइप के होमस्टे में रहना हुआ।‌ मेरे लिए तो काफी महँगा हो गया। मेरा अपना अनुभव यह कहता है कि अगर आप बहुत ज्यादा बजट ट्रेवल कर रहे हैं, कुछ भी खा सकते हैं, कहीं भी सो सकते हैं, तो ये आपके लिए ये उतने अच्छे आॅप्शन नहीं हैं। ये खासकर उन लोगों के लिए है जो विदेश से आते हैं, विंटेज वाली, गाँव वाली लाइफ देखना चाहते हैं या फिर उन लोगों के लिए है जो शहरों में रहकर महीने का लाखों रूपया कमाते हैं, और जीवन में थोड़ा सुकून चाहिए होता है, तो उनके लिए ये आॅप्शन बहुत किफायती भी मालूम होता है, इसी में एक श्रेणी यह भी जोड़ लीजिए कि ये उनको भी बहुत पसंद आता है जिन्होंने कभी अपने जीवन में गाँव घर की जीवनशैली नहीं देखी होती है। अब मैं इनमें से एक भी श्रेणी में नहीं आता हूं, वैसे मैंने हर तरह का जीवन जिया है, मेट्रो सिटी वाली जीवनशैली से लेकर धूर आदिवाली इलाके की गाँव वाली जीवनशैली, जहाँ लोग रहने में भी कन्नी काटते हों, ऐसी जीवनशैली में लंबे समय तक प्योर देहाती की तरह रहना हुआ है। तो मुझे अभी तो इस बजट ट्रेवल में होमस्टे, बैगपैकर हाॅस्टल टाइप की जगहें पसंद नहीं आ रही है, जिक्र इसलिए कर रहा हूं क्योंकि जब घर से निकला था तो सोचा यही था अधिकतर होमस्टे में ही रूकूंगा, कुछ होमस्टे टूरिज्म प्रमोशन टाइप का हो जाएगा। लेकिन मुझे कुछ इससे भी बहुत सस्ते विकल्प मिल गये इसलिए मामला स्किप हो गया। ऐसे विकल्प जहाँ अमूमन रहना लोगों को रास नहीं आता है, लेकिन मुझे पसंद है, मैं धर्मशालों में लंबे समय तक रूक सकता हूं।

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