लखनऊ से गरीब रथ ट्रेन में बैठा था..बीस घंटे का लंबा सफर..थर्ड एसी कोच में ये मेरा पहला सफर था।एसी का सफर वो भी मजबूरी में, क्योंकि इस ट्रेन का नाम तो गरीब रथ है लेकिन ट्रेन पूरी थर्ड एसी है।हां तो हमेशा की तरह मैं अपने अपर बर्थ में जाकर लेट गया।अपर बर्थ इसलिए भी अच्छा है कि नीचे सीट वालों की बहस से बेखबर चुपचाप अपना आराम करो।लंबे सफर में हमेशा चर्चा बहस करने वाले मिल ही जाते हैं, अधिकांशतः बहस का स्तर भी ऐसा होता है कि कान में इयरफोन लगा लेना ही समझदारी का काम है।
इस बार मुझे ऐसी चर्चा सुनने को मिली कि मैं अपना इयरफोन निकालकर सुनने लग गया।तो हुआ यूं कि नीचे वाली बर्थ में दो अंकल थे दोनों पचास की उम्र लांघ चुके होंगे..और वहीं एक लड़की भी बैठी थी, शायद वो अकेले सफर कर रही थी..हमउम्र सी वो लड़की,गुलाबी रंग का एक बेहतरीन शू रंग बिरंगे मोजे के साथ और एक सिम्पल इंडियन आउटफिट पहने हुए..ठीक एक कालेज पासआउट लड़की की तरह जिसकी अपनी एक परिपक्वता(maturity level)होती है..और एक सहजता लिए हुए जिसका अपना एक ड्रेसिंग सेंस होता है।
वो लड़की भी मेरी तरह इयरफोन लगाये फोन में टाइमपास कर रही थी।
दोनों अंकल बातें कर रहे थे..
कभी सेल्फी खींचते लोगों को देखकर तरह तरह की बातें करते..तो कभी आजकल के लड़के लड़कियों के पहनावे को लेकर चर्चा करते।कभी लड़कों के किनारे से सफाचट किए बाल को लेकर कहते कि क्या हो गया है आजकल के बच्चों को..तो कभी लड़कियों के चमड़ी से चिपके ड्रेस को लेकर हताशा से भरी बातें करते।कभी कहते कि आजकल के बच्चों को कुछ नहीं आता..बड़ों का मान-सम्मान करना तो अब बीते जमाने की बातें हो गई।
तभी उस गुलाबी शू वाली लड़की ने इयरफोन निकालकर कहा - आप लोग आजकल के बच्चों का कितना सम्मान करते हैं अंकल?
दोनों अंकल भी घबरा गए कि ये क्या हुआ।
उन्होंने भी मुड़ के जवाब दिया..कि बेटा हम तो आज की पीढ़ी का सम्मान करते आ रहे हैं..पर आज की जनरेशन ही ऐसी है कि इन बच्चों से दो शब्द बात नहीं किया जा सकता..किसी की ये सुनना नहीं चाहते।
फिर शुरू हुई बहस..
लड़की ने कहा- अच्छा, आप आज की जनरेशन का कितना सम्मान करते हैं ये मैंने देख लिया..अभी आप लोगों से सुन भी लिया..
आपको तो लड़कों के बाल,दाढ़ी से लेकर लड़कियों के सेल्फी खींचने से भी प्राबल्म है, अंकल जी आप लोग सच में आजकल के बदलाव को एक्सेप्ट नहीं कर पाये हैं अगर कर लेते न तो ये ऐसी बातें नहीं करते।
और अंकल जी अब मैं बोलूं आपको, आप लोग भी तो चार इंच लंबी कली रखते थे..रोड में बाजा बजाने वाले बजनिया की तरह बाल रखते थे...आधा फुट लंबा कालर होता था आपके शर्ट का..आपके जमाने का पेंट एड़ी तक आते आते दो मुंही फ्राक बन जाता था...और तो और भद्दा सा गोदना गोदवाते थे हमने तो कभी इन सब चीजों पर कमेंट नहीं किया..पता है क्यों? क्योंकि हमको ये सब से मतलब ही नहीं है।
अंकल थोड़े देर चुप रहने के बाद बोले - ठीक है बेटा आप लोग का जमाना ही ज्यादा अच्छा है।हमारा जमाना तो पुराना बेकार था।
लड़की - मैं तो आपके जनरेशन को कुछ बोल ही नहीं रही..बस आपको बता रही हूं कि हर जनरेशन की अपनी कुछ कमी रहती है। और माफ करना अंकल पर आप लोगों को न बस आज की जनरेशन को कोसना आता है।इसके अलावा तो आपको कुछ दिखता ही नहीं..बोलिए तो हमारी जनरेशन में कुछ भी अच्छा नहीं है क्या? अगर कुछ अच्छा है भी तो भी वो आपको नहीं दिखेगा पता है क्यों..क्योंकि आप देखना ही नहीं चाहते।
लड़के की बातों ने मानो दोनों अंकल का मुंह सिल दिया हो।एक बार को तो मन किया कि अपर बर्थ से तुरंत नीचे उतर जाउं और बहस में थोड़ी हिस्सेदारी निभाऊं लेकिन फिर मैंने खुद को रोक लिया।उनकी बहस चल ही रही थी और लड़की की बातें सुनके मैंने अपना पूरा मन बना लिया था कि इसका आटोग्राफ तो मैं लेकर रहूंगा।
लड़की ने आगे कहा - आपके टाइम गोदना होता था..हमारे टाइम आजकल टैटू होता है..आपके गोदने से तो ये लाख गुना अच्छा है।और वैसे भी हमारी जनरेशन आपकी तरह अंधविश्वासों में नहीं पड़ती..न ही बेकार की बहस में उलझना पसंद करती है।और भी बहुत सी अच्छाइयाँ हैं हमारी जनरेशन में।कभी देखने की कोशिश कीजिएगा।
अंकल तो ज्यादा कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे।उन्होंने पर्यावरण प्रदूषण और आज के टूटते समाज को लेकर लड़की को काउंटर करने की कोशिश की।पर लड़की भी सवाशेर..तुनककर फिर से जवाब दिया।
लड़की ने कहा- इसके पीछे भी आप ही लोग जिम्मेदार हैं..अगर आज की जनरेशन खराब है भी तो ये आपकी ही गलती है कि आपने इसको सही डायरेक्शन नहीं दिया।आपके पास इन सब को ठीक करने का कुछ आइडिया होगा तो वो बताइए..ये ऐसे ताना मारकर कुछ नहीं होने वाला ठीक है न।
अंकल- बेटा हम लोगों ने जितना डायरेक्शन दिया..अगर वो बातें आज के बच्चे मान लेते तो बात कुछ और होती।लेकिन आज की जनरेशन तो हाइटेक होने के साथ-साथ खोखली होती जा रही है।
लड़की- कुछ भी डायरेक्शन नहीं दिया आप लोगों ने..बस आपको अपना समय गोल्डन पीरियड लगता है...बाकी आगे आना वाला समय तो आपके लिए कलयुग,कबाड़युग और न जाने क्या क्या है।
और ट्रेन अपनी पटरी पर सरपट दौड़ती रही...बहस का न तो कोई आदि ना ही कोई अंत...बहस चलती रही...
इस बार मुझे ऐसी चर्चा सुनने को मिली कि मैं अपना इयरफोन निकालकर सुनने लग गया।तो हुआ यूं कि नीचे वाली बर्थ में दो अंकल थे दोनों पचास की उम्र लांघ चुके होंगे..और वहीं एक लड़की भी बैठी थी, शायद वो अकेले सफर कर रही थी..हमउम्र सी वो लड़की,गुलाबी रंग का एक बेहतरीन शू रंग बिरंगे मोजे के साथ और एक सिम्पल इंडियन आउटफिट पहने हुए..ठीक एक कालेज पासआउट लड़की की तरह जिसकी अपनी एक परिपक्वता(maturity level)होती है..और एक सहजता लिए हुए जिसका अपना एक ड्रेसिंग सेंस होता है।
वो लड़की भी मेरी तरह इयरफोन लगाये फोन में टाइमपास कर रही थी।
दोनों अंकल बातें कर रहे थे..
कभी सेल्फी खींचते लोगों को देखकर तरह तरह की बातें करते..तो कभी आजकल के लड़के लड़कियों के पहनावे को लेकर चर्चा करते।कभी लड़कों के किनारे से सफाचट किए बाल को लेकर कहते कि क्या हो गया है आजकल के बच्चों को..तो कभी लड़कियों के चमड़ी से चिपके ड्रेस को लेकर हताशा से भरी बातें करते।कभी कहते कि आजकल के बच्चों को कुछ नहीं आता..बड़ों का मान-सम्मान करना तो अब बीते जमाने की बातें हो गई।
तभी उस गुलाबी शू वाली लड़की ने इयरफोन निकालकर कहा - आप लोग आजकल के बच्चों का कितना सम्मान करते हैं अंकल?
दोनों अंकल भी घबरा गए कि ये क्या हुआ।
उन्होंने भी मुड़ के जवाब दिया..कि बेटा हम तो आज की पीढ़ी का सम्मान करते आ रहे हैं..पर आज की जनरेशन ही ऐसी है कि इन बच्चों से दो शब्द बात नहीं किया जा सकता..किसी की ये सुनना नहीं चाहते।
फिर शुरू हुई बहस..
लड़की ने कहा- अच्छा, आप आज की जनरेशन का कितना सम्मान करते हैं ये मैंने देख लिया..अभी आप लोगों से सुन भी लिया..
आपको तो लड़कों के बाल,दाढ़ी से लेकर लड़कियों के सेल्फी खींचने से भी प्राबल्म है, अंकल जी आप लोग सच में आजकल के बदलाव को एक्सेप्ट नहीं कर पाये हैं अगर कर लेते न तो ये ऐसी बातें नहीं करते।
और अंकल जी अब मैं बोलूं आपको, आप लोग भी तो चार इंच लंबी कली रखते थे..रोड में बाजा बजाने वाले बजनिया की तरह बाल रखते थे...आधा फुट लंबा कालर होता था आपके शर्ट का..आपके जमाने का पेंट एड़ी तक आते आते दो मुंही फ्राक बन जाता था...और तो और भद्दा सा गोदना गोदवाते थे हमने तो कभी इन सब चीजों पर कमेंट नहीं किया..पता है क्यों? क्योंकि हमको ये सब से मतलब ही नहीं है।
अंकल थोड़े देर चुप रहने के बाद बोले - ठीक है बेटा आप लोग का जमाना ही ज्यादा अच्छा है।हमारा जमाना तो पुराना बेकार था।
लड़की - मैं तो आपके जनरेशन को कुछ बोल ही नहीं रही..बस आपको बता रही हूं कि हर जनरेशन की अपनी कुछ कमी रहती है। और माफ करना अंकल पर आप लोगों को न बस आज की जनरेशन को कोसना आता है।इसके अलावा तो आपको कुछ दिखता ही नहीं..बोलिए तो हमारी जनरेशन में कुछ भी अच्छा नहीं है क्या? अगर कुछ अच्छा है भी तो भी वो आपको नहीं दिखेगा पता है क्यों..क्योंकि आप देखना ही नहीं चाहते।
लड़के की बातों ने मानो दोनों अंकल का मुंह सिल दिया हो।एक बार को तो मन किया कि अपर बर्थ से तुरंत नीचे उतर जाउं और बहस में थोड़ी हिस्सेदारी निभाऊं लेकिन फिर मैंने खुद को रोक लिया।उनकी बहस चल ही रही थी और लड़की की बातें सुनके मैंने अपना पूरा मन बना लिया था कि इसका आटोग्राफ तो मैं लेकर रहूंगा।
लड़की ने आगे कहा - आपके टाइम गोदना होता था..हमारे टाइम आजकल टैटू होता है..आपके गोदने से तो ये लाख गुना अच्छा है।और वैसे भी हमारी जनरेशन आपकी तरह अंधविश्वासों में नहीं पड़ती..न ही बेकार की बहस में उलझना पसंद करती है।और भी बहुत सी अच्छाइयाँ हैं हमारी जनरेशन में।कभी देखने की कोशिश कीजिएगा।
अंकल तो ज्यादा कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे।उन्होंने पर्यावरण प्रदूषण और आज के टूटते समाज को लेकर लड़की को काउंटर करने की कोशिश की।पर लड़की भी सवाशेर..तुनककर फिर से जवाब दिया।
लड़की ने कहा- इसके पीछे भी आप ही लोग जिम्मेदार हैं..अगर आज की जनरेशन खराब है भी तो ये आपकी ही गलती है कि आपने इसको सही डायरेक्शन नहीं दिया।आपके पास इन सब को ठीक करने का कुछ आइडिया होगा तो वो बताइए..ये ऐसे ताना मारकर कुछ नहीं होने वाला ठीक है न।
अंकल- बेटा हम लोगों ने जितना डायरेक्शन दिया..अगर वो बातें आज के बच्चे मान लेते तो बात कुछ और होती।लेकिन आज की जनरेशन तो हाइटेक होने के साथ-साथ खोखली होती जा रही है।
लड़की- कुछ भी डायरेक्शन नहीं दिया आप लोगों ने..बस आपको अपना समय गोल्डन पीरियड लगता है...बाकी आगे आना वाला समय तो आपके लिए कलयुग,कबाड़युग और न जाने क्या क्या है।
और ट्रेन अपनी पटरी पर सरपट दौड़ती रही...बहस का न तो कोई आदि ना ही कोई अंत...बहस चलती रही...
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