एक बार मेडिकल छात्रों की कोचिंग में एक अध्यापक antigen antibody की कार्यशैली के बारे में पढ़ा रहे थे। उन्होंने antigen को समझाने के लिए तुलना करते हुए कहा कि परित्यक्त, विधवा और एकल महिलाएं antigen से अधिक खतरनाक हो जाती हैं। इस पर कोचिंग में बैठी बहुत सी लड़कियों ने घोर आपत्ति जताई। उन्होंने जवाब में कहा कि आप इसे अन्यथा न लें, वस्तुस्थिति समझने का प्रयास करें। फिर वे कहने लगे कि उनकी इस परिस्थिति के पीछे अन्यान्य कारण निहित हो सकते हैं लेकिन अमूमन इस तरह की अधिकांश महिलाएं चिढ़चिढ़ेपन और अवसाद की भेंट चढ़ जाती हैं और अपने आसपास के लोगों को इसका शिकार बनाती हैं, प्रेमपूर्वक व्यवहार नहीं कर पाती हैं, जीवन के प्रति सहज नहीं होती हैं। इस पर छात्राएं फिर से विरोध करने लगीं। उन्होंने छात्राओं को समझाते हुए कहा कि भले आप इस यथार्थ को मत स्वीकारिए लेकिन हकीकत यही है।
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