Tuesday, 17 October 2023

आस्था के मायने

भारत से बाहर दो चार देश होकर आने वाले जब वापस भारत लौटते हैं तो अधिकतर लोगों के मन में एक चीज हमेशा आती है और वह है भारत को लेकर शिकायतें। समस्याओं की लंबी फेहरिस्त लेकर विवश होकर कहते है कि हमारे यहाँ ऐसा होना चाहिए, चाहे मामला सफाई का हो या शहरों गांवों की बसाहट का, वह अपनी नाराजगी जताते हैं। अगर सकारात्मक होकर कुछ बेहतर करने की दिशा में व्यक्ति यह मानसिकता रखता है तो इसमें कोई समस्या नहीं है। 

एक सज्जन हैं, बाहर रहते हैं, दूसरे देश की नागरिकता ले ली है। वे आए दिन अपने उस देश को बेहतर और भारत को कमतर बताते रहते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, मूलभूत सुविधाओं के नाम पर अपने देश को श्रेष्ठ बताते हुए भारत को छोटा दिखाते हैं। मैंने उनकी बात से सहमति जताते हुए एक बार पूछा - आप जिस देश में रहते हैं, माना कि वह देश उन्नत है, वहां बेहतर नागरिक सुविधाएं हैं, अच्छा मैनेजमेंट है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ/समस्याएं तो आपके यहां भी होंगी। उन्होंने झुंझलाते हुए साफ मना कर दिया। मुझे अपना उत्तर मिल चुका था। वह जिस देश में रहते हैं, उसी देश के उसी प्रांत में तब एक काॅलेज की दोस्त भी रहती थी। कोविड के समय जब उन्होंने अपने देश के मैनेजमेंट का महिमामंडन किया तो मैंने‌ अपने दोस्त से पूछा कि तुम्हारे यहां तो अच्छा मैनेजमेंट है तो उसने उस देश को खूब लानतें भेजी और कहा इससे बेहतर तो भारत में स्थिति है, मिसमैनेजमेंट है, मूलभूत सुविधाओं की समस्याएं हैं मानती हूं, लेकिन इंसान के साथ इतना रोबोट की तरह तो कम से कम व्यवहार नहीं किया जाता। 

एक दिन एक बात निकल कर आई। अमुक सज्जन ने कहा कि जो देश विकसित हैं, प्रोग्रेसिव हो रहे हैं, उन देशों के लोग खासकर यूरोपीय मूल के, ये देश अब भगवान को नहीं मानते, धार्मिक स्थल बंद पड़े रहते हैं, ये एक तरह से नास्तिकता की ओर बढ़ रहे हैं। कुछ एक और लोगों को यह कहते सुना है कि ये विकसित देश भगवान आस्था इन सब को नहीं मानते हैं, इन सब से अब ऊपर उठ रहे हैं। यह गजब ही विडंबना है। एक सवाल मेरे मन में आता है कि इन्हीं देशों के लोग जो उन्नति के साथ नास्तिकता के मार्ग पर प्रशस्त हैं, ये जब एक एयरक्राफ्ट से आसमान से नीचे कूद रहे होते हैं या युध्द जैसी आपात स्थिति में होते हैं तो हाथों से क्राॅस बनाकर या अन्य ऐसा कोई ईशारा कर या आंख मूंद कर अपने ईष्ट को क्यों याद करते हैं?

No comments:

Post a Comment