नींद को लेकर लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियाँ हैं। खासकर कम सोने को लेकर एक से एक ज्ञान देने वाले आपको मिल जाएंगे। हमारे यहाँ बाबा योगी ब्रम्हचारी इनको आधार बनाकर बहुत गलत तरीके से कम सोने को लेकर प्रचार किया जाता है। असल में सबके शरीर का अपना अलग-अलग सिस्टम होता है, कोई कम तो कोई थोड़ा ज्यादा सोता है। लेकिन उसके बावजूद भी अगर कोई 5-6 घंटे से कम की नींद ले रहा है इसका सीधा सा अर्थ यही है कि वह स्वस्थ नहीं है, एकदम अपवादों में से अपवाद कोई कठोर साधना करने वाले बाबा वगैरह की बात नहीं कर रहा, उनका तो दिन रात का काम ही यही सब रहता है तो उनके लिए ठीक है, आम साधारण लोगों की अपनी जीवनशैली अलग रहती है, उसमें ये बाबा साधकों वाले लाॅजिक को बीच में नहीं ठूंसना चाहिए। इसमें मुझे एलन मस्क की कही हुई बात सटीक मालूम होती है। वे कहते हैं कि पहले वे 5-6 घंटे सोते थे, लेकिन अब वे 6-7 घंटा सोते हैं, इससे वे पहले से कहीं ज्यादा ऊर्जावान महसूस करने लगे हैं। अपनी बात कहूं तो मेरा भी यही हाल है, 5-6 से अधिक की नींद हो ही नहीं पाती, स्कूल के दिनों में 6-7 घंटे की नींद होती थी, अब तो यह निरा स्वप्न सा हो गया है, हाँ भारत घूमने के दौरान कई बार 6-7 घंटे की बहुत बढ़िया नींद नसीब हुई, शरीर में अलग ही ऊर्जा महसूस होती थी। बीच में एक बार दिल्ली से रायपुर लगभग 1300 किलोमीटर लगातार 22 घंटे में बाइक चलाकर आया था, लेकिन मैं उस दिन सुबह 7 बजे निकला था, और उस रात भरपूर 7 घंटे की नींद हुई थी, शरीर में बढ़िया एनर्जी थी तब जाकर ही ऐसा कर पाया। उसके बाद जब अगले दिन सुबह घर पहुंचा तो सब धुंधला सा नजर आ रहा था, दोपहर को 3-4 घंटे की नींद ली, फिर रात को भी 6-7 घंटे की बढ़िया नींद ली तब जाकर बैलेंस हुआ। सबको अपने शरीर का हिसाब किताब खुद देखना चाहिए। अब ऐसे सफर के बाद मैं किसी बाबा की बात सुनके साधना रुपी 4 घंटे नींद की पालना करने लगूं तो मुझसे बड़ा मूर्ख कोई नहीं है। मुझे तो यही समझ आया कि कड़ाके की ठंड में 22 घंटे लगातार बाइक चलाना बड़ी साधना है, कोई 3-4 घंटे नींद लेने वाला बाबा ये करके दिखाए तो मानूं, खैर। 2023 की कोशिश तो यही है कि ज्यादा से ज्यादा गुणवत्तापूर्ण नींद हासिल की जाए। आप भी अच्छे से सोएं, तनावमुक्त होकर सोने के लिए जाएं और उतना जरूर सोएं जितने की जरूरत शरीर को है। और अगर कोई 2-4 घंटे सोने का ढोंग करता है, ऐसे बागड़बिल्लों का सही से हिसाब कीजिए।
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