Monday, 16 January 2023

अथो MLM कथा -

वैसे तो MLM, नेटवर्क मार्केटिंग वाले लोग मेरे से दूर ही रहते हैं लेकिन एक बार एक दोस्त ने मुझे पकड़ लिया। कई सालों बाद उसने नंबर मांगा और बात की। तब तक मुझे इस प्रजाति के बारे में उतना नहीं था। हम दोनों के बीच जो चर्चा हुई उसे आपके सामने रख रहा हूं।

दोस्त - भाई तुझे नौकरी करनी है क्या, एक अच्छा काम है।
मैं - इतना अतिरिक्त समय नहीं है भाई।
दोस्त - घर बैठे हो जाएगा, इतना फायदा होगा, दिन का इतना घंटा देना होगा।
मैं - एक मिनट नहीं दे सकता, फायदा नहीं चाहिए भाई।
दोस्त - तू अपने लिए अच्छे पैसे नहीं कमाना चाहता।
मैं - नहीं भाई, ऐसे ही ठीक हूं। स्वस्थ हूं, खुश हूं, स्वास्थ्य से बड़ा धन कुछ है क्या।
दोस्त - ठीक है, लेकिन पैसा तो चाहिए न भाई।
मैं - तो है न भाई, बहुत पैसा है इधर।
दोस्त - हां, तो तू उन पैसों से अपने लिए मार्केट से चीजें खरीदता ही होगा।
मैं - नहीं भाई, मेरे शौक बहुत ही चुनिंदा/सीमित हैं, बहुत ज्यादा खरीददारी जैसा कुछ विशेष होता ही नहीं।
दोस्त - भाई तो डेली यूज के लिए टूथपेस्ट तो खरीदता होगा?
मैं - हाँ, पूरी दुनिया खरीदती है।
दोस्त - तो भाई, टूथपेस्ट मेरे से खरीदना, अच्छी गुणवत्ता का, साथ में साबुन आदि।
मैं - भाई मैं टूथपेस्ट वैसे भी कम करता हूं, कभी-कभी दातौन भी कर लेता हूं, मेरा तो वो 10 रूपए वाला पैकेट ही ठीक-ठाक चल जाता है।
दोस्त - भाई तो वो 10 रूपए वाला पैकेट भी अपने भाई से लेना, क्या दिक्कत है।
मैं - ठीक है, सोचता हूं। 

बस इसके बाद मैंने सरेंडर कर दिया, इतने सवाल जवाब के बाद मेरी सारी शक्तियाँ खत्म हो चुकी थी। उस दिन मैंने विद्या कसम खाते हुए स्वीकार कर लिया कि एक बार संयुक्त राष्ट्र संघ में जाकर डिबेट करने की क्षमता विकसित कर लूंगा लेकिन नेटवर्क मार्केटिंग वालों से चर्चा विमर्श करने लायक जो योग्यता चाहिए वह मुझमें नहीं है। 

No comments:

Post a Comment