एक स्तर होता है,
कहीं पहुंच जाने का।
नेता हो, पत्रकार हो या बाबा हो,
उन्हें लांघनी होती है,
नैतिकता की एक सीमा।
जिन्हें पहुंचना होता है,
झटके में सबसे ऊपर,
वह भरता है,
सबसे तेज हुंकार।
वह लांघता है,
सबसे अधिक सीमाएं।
देश दुनिया में यही चल रहा है,
सीमाएं लांघी जा रही है नैतिकता की।
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