एक बार एक महिला मित्र से बच्चों को लेकर चर्चा हो रही थी। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चे यूरिन करते हैं, उसकी सफाई तो मैं कर सकती हूं लेकिन मलत्याग करेंगे तो मैं साफ सफाई नहीं कर सकती। मैंने पूछा कि कल जाकर आपके अपने बच्चे हुए, तब आप कैसे करोगे। उनका जवाब रहा - नौकरानी रख लूंगी, मुझे यह अटपटा लगता है, मुझसे नहीं होगा ये कभी। मैंने कहा - जब आपको अपने ही बच्चे की सफाई करने में इतनी शर्मिंदगी महसूस हो रही है तो जो आप नौकर रखेंगी वह अपनेपन से सफाई कर देगा, इसकी आप कैसे गारंटी ले सकती हैं। उनका कोई जवाब नहीं आया। आपके माता पिता ने बचपन में ऐसा सोचा होता तो...ऐसी बहुत सी बातें आ रही थी लेकिन आजकल दोस्त यार भी थोड़े में आहत हो जाते हैं इसीलिए जाने दिया।
समझ नहीं आता बच्चों के प्रति इतनी हिंसा आखिर क्यों?
हर कोई मलत्याग करता है, आप सफाई करना सीख गये हैं, बच्चे इसके लिए विकसित नहीं हुए रहते तो उनके साथ इतनी बेरूखी???
अगर बच्चों में सचमुच क्षमता होती तो वे किसी का सहारा लेते ही नहीं, खुद ही अपना सब कुछ कर लेते। वैसे भी बच्चे यह सब अपने आप सीखते जाते हैं, बस उनको एक डायरेक्शन चाहिए होता है।
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