यह शीर्षक पाठकों को असहज कर सकता है लेकिन हम जिस समाज में रहते हैं, वहाँ तरह-तरह के लोग होते हैं। जैसे बहुत अधिक शराब पीने वालों को दारूबाज, लगातार धोखा देने वालों को धोखेबाज, बहुत अधिक कुटिलता से ग्रसित लोगों को चालबाज, बहुत अधिक बोलने वाला बतोलेबाज, मुक्कों का प्रहार करने वाला मुक्केबाज, बेट चलाने वाला बल्लेबाज और जैसे बहुत अधिक महिलाओं के साथ प्रेम संबंधों में लिप्त रहने वालों को लड़कीबाज कहा जाता है, ठीक उसी तरह कुछ लड़के ऐसे भी होते हैं जिन्हें सभी लड़कियों को बहन बनाने का शौक चर्राया होता है, इन्हें मैं बहनबाज कहता हूं।
बहनबाज एक विशिष्ट प्रजाति है, स्कूल से लेकर काॅलेज तक हर जगह हर क्लास में एक न एक इस प्रजाति का व्यक्ति होता ही है। ये अमूमन बहुत ही अधिक डरपोक किस्म के लोग होते हैं, इनमें आत्मविश्वास की घोर कमी होती है। चूंकि इनका अपना खुद का कोई व्यक्तित्व नहीं होता है, खुद पर थोड़ा भी भरोसा नहीं होता है, लगातार अस्तित्व के संकट से जूझ रहे होते हैं इसलिए इनके अपने जीवन में कभी कोई खास रचनात्मक चीजें घटित नहीं होती है। आसपास के लोग भी इसलिए इनसे एक निश्चित दूरी बनाकर चलते हैं या इन्हें तवज्जो नहीं देते हैं, लड़कियाँ ऐसे नीरस उबाऊ लड़कों को अपना मित्र तक नहीं चुनती हैं, ये खुद भी अपने व्यक्तित्व के साथ इतने असहज होते हैं कि लड़कियों से मित्रता तक नहीं कर पाते हैं, घबराते हैं। ऐसे लड़के इस हद तक डरपोक होते हैं कि लड़कों से भी बराबर घबराते हैं। अंतत: दूसरों के जीवन में दखल देना उनकी बातें इधर से उधर करना इनका प्रिय शगल होता है। इस काम में इन्होंने मास्टरी कर ली होती है। चूंकि ये रिश्तों को लेकर अजीब किस्म की बीमारी से ग्रसित होते हैं इसलिए अपने भीतर की हिंसा, भीतर की कुण्ठा को जीने के लिए वह बहुत ही घटिया रास्ता चुनते हैं, वे सभी लड़कियों को अपनी बहन बनाते हैं और खुद सबके लिए एक प्यारे भाई, भैया की भूमिका निभाते हैं। कई बार तो ऐसा भी देखने में आता है कि लड़की की शादी तक हो जाती है लेकिन अपनी बहनबाजी नहीं छोड़ते हैं, आजीवन लगे रहते हैं।
ये बहनबाज भैया सरीखे लोग शुरूआत में अपनी नींव मजबूत करते हैं, भरोसा कायम करते हैं, सगे भाई से अधिक केयर करते हैं, खुद को इसके लिए पूरी तरह झोंक देते हैं, चूंकि ये अच्छी दोस्ती कायम नहीं कर पाते हैं, इसके अलावा भी अगर देखें तो इतनी क्षमता नहीं होती है कि किसी के साथ ईमानदारी से प्रेम संबंधों को भी जी पाएं। तो इनके पास अपनी उन सारी भीतरी लालसाओं को जीने का एकमात्र रास्ता या यूं कहें कि संपर्क बनाने का जो एकलौता रास्ता बच जाता है, वह बहन वाला होता है, इसलिए वे सभी को बहन बना लेते हैं। किसी भी लड़की को अमूमन ऐसे लड़कों से शिकायत नहीं रहती है जो खुद आगे से आकर भाई या भैया की भूमिका निभाना चाह रहा हो, लड़कियाँ प्रथम दृष्टया इस बात को सकारात्मक रूप में ही लेती हैं, और ऐसे लड़कों को अपना भाई/भैया बना ही लेती हैं, राखी भी बाँधती हैं।
कुछ इनमें उम्र से बड़े दूर के भैया या रिश्तेदारी वाले भैया होते हैं, ये तो उम्र में छोटी बहनों को अपनी यौन कुण्ठा का शिकार बनाना अपना नैतिक अधिकार समझते हैं, हक से बदतमीजी करते हैं, अपने भैया होने के तत्व को जमकर भुनाते हैं और शुरू से अपनी कुण्ठा को स्थापित करने के लिए एक विशेष किस्म का नैतिक दबाव बनाकर चलते हैं। इसमें कोई होते हैं जो थोड़ा कम फ्लर्ट करते हैं, वहीं कुछ एक लोग ऐसे होते हैं जो सारी सीमाएँ लांघ जाते हैं, आधार वही होता है बहन वाला, क्योंकि इससे बड़ा सेफ्टी वाल्व और कोई दूसरा है ही नहीं। अधिकतर लड़कियों के लिए कई बार बड़ा मुश्किल हो जाता है कि वह इस अजीब सी समस्या के बारे में आखिर किसी को बताए तो बताए कैसे। इस बात का भी खतरा रहता है कि उसी के चरित्र पर सवाल उठाया जाएगा। इसीलिए अधिकतर लड़कियाँ आजीवन ऐसे दंश झेलती रहती हैं।
सब कुछ ऐसे ही चलता रहता है, कई बार आजीवन चीजें पकड़ में ही नहीं आती है, ये अपनी नियत का प्रदर्शन करते रहते हैं लेकिन बहनें नजर अंदाज कर जाती हैं क्योंकि भाई मानती हैं। लेकिन भाई की भूमिका निभा रहे ये लोग शुरूआत में तो भाई बनकर पहले भरोसा कायम करते हैं लेकिन जब भरोसे का लेयर चढ़ जाता है फिर उसके बाद निजी जीवन की सारी जानकारियाँ जुटाते हैं, पसंद नापसंद सारी चीजें उन्हें पता होती है, तस्वीरों और तमाम मीडिया फाइल्स का कलेक्शन लेकर चलते हैं, ये सामान्य बातें हैं, जो सगा भाई भी करता ही है, इसमें कोई समस्या की बात नहीं है। लेकिन जब ऐसे भाई रिश्तों और प्रेम संबंधों को लेकर दखल देना शुरू करते हैं, किससे दोस्ती करनी है, किससे नहीं करनी है इसका फैसला करने लगते हैं, माता-पिता से अधिक सही गलत बताने लगते हैं, यहाँ से फर्क दिखना शुरू हो जाता है।
वे अपनी मुंह बोली बहन के प्रेम संबंधों के ठेकेदार की भूमिका निभाते हैं, रिश्ते बनाने का काम करते हैं, रिश्ते तोड़ने का भी काम करते हैं, इस बीच अपनी छवि को इंच मात्र भी आँच नहीं आने देते हैं, एक अच्छे भाई की भूमिका में बने रहते हैं जो बहुत ही अधिक हर चीज का ख्याल रखता है। इतना खयाल रखता है कि लड़कों से मध्यस्थता कराकर सेटिंग भी करवा देता है, और जब उसका इगो जवाब देता है तो रिश्ते तुड़वा भी देता है।
ऐसे भाई इस हद तक खतरनाक होते हैं कि वे अपनी बहनों के सामने सारी सीमाएं लांघते हुए तमाम तरह की बदतमीजी कर जाते हैं। वह सारी बातें कह जाते हैं जो शायद एक प्रेम में आकंठ डूबा प्रेमी अपनी प्रेमिका तक को न कह पाता हो। ऐसे भैया लोगों के लिए लव यू, किस यू, मिस यू कह जाना ये सब बहुत छोटे और मामूली शब्द होते हैं, इन शब्दों के आधार पर मैं कोई धारणा नहीं बना रहा हूं लेकिन बात नियत की है। आधार वही होता है कि अरे भैया हूं, कभी कभी मस्ती करता हूं, मेरा तो यही स्वभाव है, बुरा मत मानना। थोड़ा सा रो गा के दुःखी भी हो जाते हैं और इस बात को मजबूती से सामने रख देते हैं कि तुम मेरी प्यारी बहन हो और मैं तो तुम्हारा भैया/भाई हूं।
यहाँ तक कि लड़की को किससे दोस्ती करनी है, किससे प्रेम करना है, सभी चीजों का फैसला करने लगते हैं, निजी जीवन में जमकर हस्तक्षेप करते हैं। कब किस उम्र में किससे शादी करनी चाहिए, इसका निर्धारण भी करने लगते हैं, कई बार लड़की के माता-पिता तक को भी ज्ञान देने में पीछे नहीं हटते हैं। एक और चीज यह कि ऐसे भैया अपनी हर मुंह बोली बहन को यह एक ज्ञान जरूर देते हैं कि उनका रिश्ता इस दुनिया में बहुत अलग तरह का है, ठीक ये वैसा ही ज्ञान है जैसा नया नया प्रेम में आया हर आशिक अपनी प्रेमिका को कहता फिरता है कि वे तो इस दुनिया के ही नहीं हैं।
अधिकतर लड़कियाँ यह सब सह लेती हैं, उनको भीतर का चोर दिख रहा होता है, नियत साफ पता चल रही होती है, लेकिन ऐसे लोग निजी जीवन से लेकर घर परिवार हर जगह इतने गहरे तक घुस चुके होते हैं कि लड़कियाँ भी एक सीमा के बाद नजर अंदाज करने में ही भलाई समझती हैं।
ये उन लड़कियों को और अधिक परेशान कर जाते हैं जिनकी अपनी कोई खास समझ विकसित नहीं हुई होती है, ऐसी लड़कियों को ये जमकर अपने मन मुताबिक संचालित करते हैं, उनका खूब मानसिक शोषण करते हैं, इन्हें इस काम में बड़ा मजा आता है। इन्हें अच्छा लगता है कि लोग इन्हें अपना मान रहे हैं, इतनी अधिक तवज्जो दे रहे हैं, क्योंकि दोस्त या प्रेमी बनने पर वे तुरंत लतिया कर बाहर कर दिए जाएंगे।
खून के रिश्तों के अलावा भी भाई बहन के बहुत अपवाद सरीखे रिश्ते भी होते हैं, उन पर मैं कोई सवालिया निशान नहीं उठा रहा हूं, मैं खुद ऐसे रिश्तों को जीता हूं, खुद को खुशकिस्मत भी मानता हूं कि तीन सगी बहनों के अलावा भी कुछ ऐसी दीदी बहनें जीवन में मिलीं जिनसे वास्तव में अपनापन महसूस होता है। भाई बहन के रिश्ते के लेकर मेरी सोच बहुत अलग तरह की है और मेरा यह मजबूती से मानना है कि बात सिर्फ और सिर्फ नियत की है। जहाँ नियत साफ नहीं है वहाँ व्यक्ति बहन मानकर भी कुंठा को जी सकता है, और अगर नियत साफ है तो अलग से जबरन बहुत अधिक रिश्तों को बोझ की तरह लेकर चलने की आवश्यकता नहीं रहती है। इसलिए जो लड़कियाँ जबरन भाई/ भैया वाले रिश्तों को थोपने लगती हैं, उनसे मैं निश्चित दूरी बनाकर चलता हूं, साफ कह भी देता हूं कि मेरी नियत साफ है, आप अपना देख लीजिए कि बिना खांचे के साफ नियत से आप इंसानी रिश्तों को जीने की ताकत रखते हैं या नहीं।
मैं आए दिन अपने आसपास ऐसे मामले सुनता रहता हूं कि फलां दूर के भैया ने, चचेरे मौसेरे भाई ने मुझे कुछ आपत्तिजनक बातें कह दी। निजी जीवन की सारी जानकारियाँ जुटाते रहते हैं और दखल देते रहते हैं, जबरदस्ती बात करने के लिए दबाव बनाते हैं, अचानक रात को मना करने के बावजूद वीडियो काॅल करते हैं, आदि आदि। पहले यह सब सुन के बहुत आश्चर्य होता था, लेकिन अब इतने मामले देखना हो चुका है कि सामान्य लगता है। समाधान के तौर पर इसमें यही कहना है कि आप एकसूत्री कार्यक्रम चलाकर ऐसे दीमक सरीखे लोगों को अपने जीवन से दफा कर जीवन को थोड़ा हल्का कीजिए, ये लोग आपसे संपर्क न भी रखें तब भी बैकग्राउंड में रहकर दीमक की तरह आपको मानसिक रूप से कुतरने की क्षमता रखते हैं, इन सब चीजों से खुद को मुक्त करिए, जीवन इन सबसे आगे की चीज है, कितना ही अतिरिक्त तनाव लेकर चलेंगे, भगाइए ऐसे लोगों को अपने जीवन से, कुछ लोगों के लिए खराब बन जाइए।