पहले वे तुम्हारी तारीफ करेंगे,
फिर एक समस्या बताएंगे,
फिर वे आपसे उधार माँगेंगे,
फिर आप उधार देंगे।
यहाँ तक सब ठीक रहेगा।
फिर तय समय पर वे उधार चुकाएंगे।
लेकिन टैक्स काट के चुकाएंगे।
टैक्स कटेगा आपकी अच्छाई का।
क्योंकि उनके हिसाब से आप मूर्ख हैं,
और आपको 70-80% रकम भुगतान कर दिया जाए,
तो भी चल जाएगा, और आप सवाल नहीं करेंगे।
वे ऐसा करने के बाद माफी भी माँग लेंगे।
माफी का अर्थ यह हुआ कि वे इतना ही चुकाएंगे।
अगर जब पूरा चुकाना ही है तो माफी क्यों माँगना।
और जब कोई 70-80% रूपये चुका सकता है,
तो वह 100% तक क्यों नहीं जा सकता।
10-20% की कटौती कर वे एक बहुमूल्य रिश्ता खो देंगे,
वे खुद शर्मिंदगी के कारण आपसे संपर्क कम कर लेंगे।
भारतीय समाज अजीब किस्म की जटिलताओं से अटा पड़ा है।
आप लोगों से स्पष्टता की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।
फिर एक समस्या बताएंगे,
फिर वे आपसे उधार माँगेंगे,
फिर आप उधार देंगे।
यहाँ तक सब ठीक रहेगा।
फिर तय समय पर वे उधार चुकाएंगे।
लेकिन टैक्स काट के चुकाएंगे।
टैक्स कटेगा आपकी अच्छाई का।
क्योंकि उनके हिसाब से आप मूर्ख हैं,
और आपको 70-80% रकम भुगतान कर दिया जाए,
तो भी चल जाएगा, और आप सवाल नहीं करेंगे।
वे ऐसा करने के बाद माफी भी माँग लेंगे।
माफी का अर्थ यह हुआ कि वे इतना ही चुकाएंगे।
अगर जब पूरा चुकाना ही है तो माफी क्यों माँगना।
और जब कोई 70-80% रूपये चुका सकता है,
तो वह 100% तक क्यों नहीं जा सकता।
10-20% की कटौती कर वे एक बहुमूल्य रिश्ता खो देंगे,
वे खुद शर्मिंदगी के कारण आपसे संपर्क कम कर लेंगे।
भारतीय समाज अजीब किस्म की जटिलताओं से अटा पड़ा है।
आप लोगों से स्पष्टता की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।
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