Friday, 19 November 2021

झांसाराम को पत्र -

प्रिय झांसा,
आज सुबह मैं देर से उठा। उठा तो देखा कि कुछ लोगों के फोन आए थे, नेट आॅन किया तो देखा कि मैसेज में न्यूज देखने की बात कही जा रही है और शुभकामनाएँ दी जा रही है। नींद ढंग से खुली नहीं थी कि एक मित्र का फोन आ गया और उसने कहा कि फेंटा पानी हो गया। फिर एक से बात हुई तो कहा गया कि झांसाराम ने थूक के चाट ली। मैं भी आनन-फानन में तुरंत भावुक। एक पल के लिए यकीन नहीं हुआ कि झांसा झुक सकता है‌। 
पिछली रात नार्थ ईस्ट जाने के लिए पूरा रोडमैप तैयार कर लिया था, और मेरे अकेले घूमने की प्लानिंग ऐसी रहती है कि दुनिया की बड़ी से बड़ी अड़चन आ जाए, मुझे रोक नहीं पाती है, एक बार सोच लिया तो बस कर लिया, लेकिन आपने तो काले कृषि कानून वापिस लेने का फैसला लेकर एकदम चौंका दिया, अब तो आंदोलन स्थल आने का मन बन रहा है, C2+50% फार्मूला और एमएसपी की गारंटी पर कानून बनवाने का रास्ता आपने हमारे लिए तैयार कर दिया है। आपने हमें एक नई जिम्मेदारी सौंप दी है। 
आप इतने जिद्दी हैं, अपनी जिद पर टिके रहते हैं, जो आपको मन करता है वही करते हैं, किसी की नहीं सुनते, लोग कहते कहते थक गये, खूब आलोचना होती है आपकी कि क्यों आप आजतक इतने सालों में एक प्रेस कांफ्रेस तक नहीं कर पाए, लेकिन आपको कभी इंच मात्र फर्क नहीं पड़ा। आपने रियेक्ट नहीं किया, आप अप्रभावित रहे, आप नहीं झुके। लेकिन इस बार क्या हुआ झांसा जी। इस बार तो आपने खुद जो कानून जोर शोर से लाया था, साल भर फायदे गिनाते रहे, विरोध करने वालों को आंदोलनजीवी कहकर गालियाँ दी, अपमानित किया, सैकड़ों किसानों की मौत का मजाक बनाया। लेकिन आज आपको किसानों से माफी माँगते हुए कानून वापस लेने की बात कहनी पड़ी। आपने तो थूक के चाट लिया झांसाराम जी। शायद आगे भी आपको यह प्रक्रिया दुहरानी पड़े इसलिए मैंने आपके लिए आज एक नया नाम सोचा है, आज से आप मेरे लिए झांसाराम, जिल्लेइलाही या फेंटा नहीं कहलाएंगे, आज से मैं आपको थूकचट्टा बुलाऊंगा।
- एक नागरिक

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