Monday, 30 December 2019

For someone whom I Never met Before

अगर कुछ देना चाहो, कुछ भेजना चाहो,
जरा बारिश की कुछ बूंदे भिजवाना,
थोड़ी पत्तियों की बर्फीली ओस भी,
सच कहूं तुम्हारे अहसासों की बैचेनी बढ़ सी गई है।

अपने भीतर मेरे लिए हमेशा जगह बचाए रखना,
मुझे तुम्हारे हिस्से के अल्फाज भेजने हैं।

अगर मैं कुछ तोड़ना चाहता हूं,
तो तोड़ूंगा उन रंग बिरंगे फूलों को।
जो सिर्फ तुम्हारे हिस्से की होंगी।
होंगी सुशोभित तुम्हारे लंबे केश पर।
मेरी चाहना यही है कि वे फूल,
एक बार अपनी सही जगह पाएंगे‌।
होकर अंगीकृत तुम्हारे देह पर,
तुम्हारा मान बढ़ाएंगे।

अगर मैं लिखना चाहूं तुम पर,
तुम्हारे चेहरे की मुस्कुराहट पर नहीं,
तुम्हारी खामोशी को लिखूंगा‌

तुम हमेशा अस्वीकारना,
हमेशा खुद को बचाना,
अपने को किसी को मत देना,
हमेशा यूं खुद को बचा कर रखना,
अपने लिए बचाना, प्रेम के लिए बचाना,
मत बताना अपना समर्पण किसी को पूरी तरह,
हमेशा छुपाना खुद को, और अपने भीतर बसे प्रेम को भी।
प्रेम के बचे रहने के लिए ये जरूरी है कि
बहुत कुछ छुपा रहे, सुरक्षित रहे।

दुनिया के बड़े-बड़े रहस्य
किसी गुफा, किले या सुरंग में नहीं
बल्कि दो लोगों के बीच दफ्न होते हैं,
शायद उनके बीच के साझा हुए अहसासों में,
जो ढूंढ लेते हैं अपने लिए एक पाताललोक,
और हमेशा के लिए कहीं गुम हो जाते हैं।

कितना कुछ कह देना चाहता है तुम्हें मेरा ये छोटा सा मासूम मन,
शायद उसका आधा भी नहीं कह पाया है,
शायद समय कम पड़ जाए,
शायद ये जन्म छोटा लगे,
कुछ लोगों के नसीब में शायद अधूरापन ही आता है।


8 comments: